पवार से दोस्ती पर महाराष्ट्र भाजपा दोफाड़

महाराष्ट्र के दिग्गज मराठा नेता शरद पवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना का ही विरोध नहीं है, बल्कि भाजपा की महाराष्ट्र इकाई भी दोफाड़ दिखाई दे रही है।

By Edited By: Publish:Sat, 01 Feb 2014 05:33 PM (IST) Updated:Sat, 01 Feb 2014 06:59 PM (IST)
पवार से दोस्ती पर महाराष्ट्र भाजपा दोफाड़

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र के दिग्गज मराठा नेता शरद पवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना का ही विरोध नहीं है, बल्कि भाजपा की महाराष्ट्र इकाई भी दोफाड़ दिखाई दे रही है।

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महाराष्ट्र भाजपा पहले से ही यहां के दो दिग्गज नेताओं नितिन गडकरी व गोपीनाथ मुंडे के गुटों में बंटी है। लोकसभा चुनाव में शरद पवार से हाथ मिलाने के सवाल पर भी ये दोनों गुट आमने-सामने नजर आ रहे हैं। इस मामले में गडकरी गुट के भी दूसरी पंक्ति के नेता नहीं चाहते कि शरद पवार से किसी तरह का राजनीतिक संबंध कायम किया जाए। भाजपा के केंद्रीय नेताओं से पवार या उनकी पार्टी के अन्य नेताओं की बातचीत आगे न बढ़े, इसके लिए मुंडे गुट ने दो दिन पहले पवार के गढ़ पश्चिम महाराष्ट्र में राजग की विशाल रैली कर डाली। रैली में पवार को खूब खरी-खोटी भी सुनाई गई। महाराष्ट्र में राजग की इस पहली चुनावी रैली में भाजपा-शिवसेना के अलावा अब राजग का हिस्सा बन चुके रिपब्लिकन पार्टी व स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता भी शामिल हुए। गौरतलब है कि स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता सांसद राजू शेंट्टी भी पवार के कंट्टर विरोधी माने जाते हैं।

दूसरी ओर, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी पवार से दोस्ती के लिए जाने जाते हैं। गडकरी इस दोस्ती को छुपाते भी नहीं हैं। गाहे-बगाहे अपने व्यावसायिक कार्यक्रमों में वह केंद्रीय मंत्री शरद पवार को प्रमुख अतिथि के रूप में आमंत्रित भी करते रहते हैं। गडकरी शरद पवार को विकास की दृष्टि रखने वाला नेता मानते हैं। माना जा रहा है कि उन्होंने ही भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह व प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से पवार को लोकसभा चुनाव से पहले या बाद में राजग में शामिल करने की सिफारिश की होगी। पवार के प्रति नरम कोना रखने वाले भाजपा नेताओं का यह भी मानना है कि राजग को अपने दम पर सरकार बनाने लायक सीटें न मिलने पर शरद पवार भाजपा के लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं। क्योंकि देश के कई राजनीतिक दलों के नेताओं से पवार प्रगाढ़ संबंध रखते हैं।

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