भूषण का केजरी पर हमला,बताया तानाशाह

आम आदमी पार्टी (आप) में एक-दूसरे के खिलाफ लगातार तलवारबाजी कर रहे दोनों खेमे शुक्रवार को एक कदम और आगे बढ़ गए। विद्रोही नेता प्रशांत भूषण ने केजरीवाल को तानाशाह और निरंकुश बताया और उनके साथियों को झूठा।

By Sachin BajpaiEdited By: Publish:Sat, 28 Mar 2015 12:39 AM (IST) Updated:Sat, 28 Mar 2015 12:51 AM (IST)
भूषण का केजरी पर हमला,बताया तानाशाह

नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (आप) में एक-दूसरे के खिलाफ लगातार तलवारबाजी कर रहे दोनों खेमे शुक्रवार को एक कदम और आगे बढ़ गए। विद्रोही नेता प्रशांत भूषण ने केजरीवाल को तानाशाह और निरंकुश बताया और उनके साथियों को झूठा। वहीं, केजरीवाल के करीबी संजय सिंह का कहना है कि एक दिन पहले विरोधी खेमे के साथ सुलह हो गई थी और योगेंद्र यादव ने माफीनामा भी लिख दिया था। मगर इसके बावजूद यादव और भूषण अब किसी बाहरी दबाव में अपना फैसला बदल रहे हैं।

केजरीवाल के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा रहे पार्टी के संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने आप संयोजक के खिलाफ बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भूषण ने कहा कि इस पूरे विवाद की जड़ केजरीवाल की कांग्रेस के साथ मिलकर दिल्ली में सरकार बनाने की कोशिश थी। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की बुरी हार के बाद केजरीवाल फिर से कांग्रेस विधायकों के समर्थन से सरकार बनाना चाहते थे, जबकि पार्टी का राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) और राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने इसके खिलाफ बहुमत से फैसला किया था। उन्होंने केजरीवाल को तानाशाह बताते हुए कहा, 'वे कहते हैं कि मैंने ऐसी किसी जगह काम नहीं किया जहां मेरी नहीं चलती हो।

मगर यह पार्टी उस तरह सिर्फ एक आदमी की मर्जी से नहीं चल सकती।' भूषण ने कहा कि केजरीवाल में कई खूबियां जरूर हैं, लेकिन दो बड़ी कमियां भी हैं। एक तो वे चाहते हैं कि वे जो चाहें वही फैसले लिए जाएं और उसको कोई चुनौती नहीं दे। जबकि हमारा मानना है कि पीएसी और कार्यकारिणी में ज्यादातर स्वतंत्र आवाज हों और खड़े होकर उनके विरोध में भी अपनी बात रख सकें। इसी तरह उनकी नीयत जरूर साफ है, लेकिन उन्हें अपने साधन भी साफ-सुथरे ही अपनाने चाहिएं। उन्होंने केजरीवाल गुट के लोगों को झूठा भी करार दिया।

विद्रोही नेताओं से बन गई थी सहमति

दूसरी तरफ, केजरीवाल गुट के संजय सिंह, आशुतोष और आशीष खेतान ने प्रेस कांफ्रेंस कर दावा किया कि एक दिन पहले बैठक के दौरान विद्रोही नेताओं से सहमति बन गई थी और उन्होंने माफीनामे पर दस्तखत भी कर दिए थे। इसके बाद दोपहर दो बजे उन्होंने आधे घंटे का समय मांगा। मगर उसके बाद मुलाकात से इन्कार कर दिया और उनका फोन आया कि उन्हें अरविंद केजरीवाल की किसी बात पर कोई भरोसा नहीं है। संजय सिंह ने इल्जाम लगाया, 'वे अंदर कुछ और बोलते हैं और बाहर कुछ और।' उनका कहना है कि शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान विद्रोही पक्ष की सारी मांगें मान ली गई थीं। इसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनकी पसंद के लोगों को शामिल करने से लेकर केजरीवाल पर कांग्रेस विधायकों की जोड़-तोड़ के आरोपों तक की लोकपाल से जांच करवाने तक की मांगें शामिल थीं। संजय सिंह के मुताबिक, 'मगर उनकी असली मंशा केजरीवाल को पद से हटाने की थी।'

विरोध में विधायक भी खुलकर आए

आप के विधायक खुलकर प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के खिलाफ आ गए हैं। 58 विधायकों का हस्ताक्षरयुक्त पत्र शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल को सौंपा गया। इसमें मांग की गई है कि इन दोनों नेताओं को पार्टी से बाहर निकाला जाए। इसके लिए शनिवार को होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रस्ताव लाया जाए।

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