भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार

प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व गैर जाट नेता के हाथ में है।

By Mohit TanwarEdited By: Publish:Sun, 14 May 2017 12:22 AM (IST) Updated:Sun, 14 May 2017 12:22 AM (IST)
भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार
भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। हरियाणा में कांग्रेस का चेहरा बदलेगा। पार्टी अपने आजमाये नेता के भरोसे राज्य में भाजपा को सियासी शिकस्त देने की तैयारी में जुटी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हैं। राज्य कांग्रेस फिलहाल जबरदस्त अंदरूनी खींचतान की शिकार है। पार्टी को इससे उबारने और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए राज्य कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व गैर जाट नेता के हाथ में है। प्रदेश कांग्रेस की कमान भी गैर जाट नेता अशोक तंवर के पास है। उनके पार्टी की कमान संभालने के साथ ही संगठन में अंदरूनी घमासान चरम पर पहुंच गया। आये दिन टकराव होता रहा है और कई बार तो हिंसक भी हुआ। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस तरह की गुटबंदी से आजिज आ चुका है।

राज्य में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राजनीतिक कद फिलहाल अन्य नेताओं के मुकाबले ऊंचा है, जिसे केंद्रीय नेता भी मानते हैं। जाट नेता के रूप में हुड्डा की मजबूत पहचान है। प्रदेश अध्यक्ष बदलने के साथ कई नामों पर चर्चा हो रही है, जिनमें रणदीप सुरजेवाला और दीपेंद्र हुड्डा भी हैं। लेकिन इनके नेतृत्व को सैलजा और कैप्टन अजय यादव जैसे नेताओं के लिए पचा पाना आसान नहीं होगा। इन युवा नेताओं का राजनीतिक कद हुड्डा के कद के बराबर भी नहीं है।

राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने गैर जाट नेता मनोहर लाल को मुख्यमंत्री बनाया है। राज्य में जाट आरक्षण के मुद्दे पर जो हिंसक आंदोलन हुए उसने सूबे का सामाजिक ताना-बाना तो बिगाड़ा ही, राजनीतिक रूप से जाट और गैर जाटों के बीच खाईं को और चौड़ा कर दिया है। राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियों भाजपा व कांग्रेस के नेता गैर जाट हैं। जाट समुदाय को पार्टी के पक्ष में गोलबंद करने में हुड्डा मुफीद साबित हो सकते हैं। इसके लिए भूपेंद्र हुड्डा सबसे उपयुक्त व प्रबल दावेदार हैं। लोकसभा और अगले विधान चुनाव से पहले कांग्रेस राज्य में पार्टी की कमान मजबूत हाथों में जल्दी ही सौंप देना चाहती है।

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