देश की सेवा करना चाहते हैं शहीद आजाद सिंह के बच्चे

कारगिल शहीद लांस नायक आजाद सिंह के बच्चे विभिन्न क्षेत्रों के माध्यम से देश की सेवा करना चाहते हैं। पिता का साया न होने का बच्चों में गम तो है लेकिन गर्व भी इस बात का है कि उनके पापा देश के लिए शहीद हुए। गांव मुमताजपुर निवासी लांस नायक आजाद सिंह ने अपने साथियों के साथ मश्कोह घाटी क

By Edited By: Publish:Fri, 26 Jul 2013 07:54 AM (IST) Updated:Fri, 26 Jul 2013 07:55 AM (IST)
देश की सेवा करना चाहते हैं शहीद आजाद सिंह के बच्चे

ओमप्रकाश अदलखा, पटौदी । कारगिल शहीद लांस नायक आजाद सिंह के बच्चे विभिन्न क्षेत्रों के माध्यम से देश की सेवा करना चाहते हैं। पिता का साया न होने का बच्चों में गम तो है लेकिन गर्व भी इस बात का है कि उनके पापा देश के लिए शहीद हुए।

गांव मुमताजपुर निवासी लांस नायक आजाद सिंह ने अपने साथियों के साथ मश्कोह घाटी की चौकी नंबर 4730 को 21 पाक सैनिकों को मारकर खाली करवा लिया था। बाद में पाकिस्तानी सैनिकों ने इस चौकी पर भारी तोप वर्षा कर दी थी। तोप का गोला फटने से आजाद सिंह सहित उसके तीन अन्य साथी 9 जुलाई 1999 को शहीद हो गए थे।

आजाद सिंह जब शहीद हुए थे उस समय उनके बड़े बेटे की आयु केवल चार वर्ष एवं छोटी बिटिया मात्र दो वर्ष की थी। शहीद की पत्‍‌नी सुशीला ने अपने बच्चों एवं दादा-दादी ने बच्चों को संभाला। बेटा राजू बारहवीं कक्षा पास कर चुका है एवं उसने दिल्ली के कालेज में कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में दाखिला लिया है। बेटी निधि ने ग्यारहवीं कक्षा में दाखिला लिया है तथा वह डाक्टर बनना चाहती है। राजू ने बताया कि उसे अपने पापा का चेहरा तो याद नहीं है क्योंकि वह बहुत छोटा था। उसे अपने पापा पर गर्व है। बहुत कम लोग होते हैं जो देश के लिए प्राण तक देते हैं। यदि उसे आफिसर लाइन में फौज में जाने का मौका मिला तो वह अवश्य जाना चाहेगा। निधि ने बताया कि वह डाक्टर बनकर अपने पापा के सपने को पूरा करना चाहती है। शहीद के पिता चौधरी सुल्तान सिंह का निधन हो चुका है। मां कमला देवी का दर्द यह है कि तत्कालीन सरकार ने स्मारक निर्माण के लिए दो लाख रुपये देने की बात कही थी लेकिन राशि नहीं दी गई। उन्हें अपने बेटे का स्मारक अपने पैसों से बनवाना पड़ा।

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