सोचने वाली मशीन से मनुष्य को खतरा, कहीं कठपुतली बन कर रह न जाएं हम!

गूगल के एक इंजीनियर ने एक ऐसा एआइ चैटबाट विकसित करने का दावा किया है जो मानव की तरह सोचने में सक्षम है। एआइ से लैस कंप्यूटर्स ने आज हमारी दुनिया में इतनी गहरी पैठ बना ली है कि कई कठिन काम बिना इनकी मदद के संभव नहीं।

By TilakrajEdited By: Publish:Sat, 25 Jun 2022 01:04 PM (IST) Updated:Sat, 25 Jun 2022 01:04 PM (IST)
सोचने वाली मशीन से मनुष्य को खतरा, कहीं कठपुतली बन कर रह न जाएं हम!
एआइ के दबदबे वाला भविष्य कैसा होगा, इसका जवाब तो भविष्य के गर्भ में

नई दिल्‍ली, प्रदीप। हाल ही में गूगल की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) डेवलपमेंट टीम के एक सीनियर साफ्टवेयर इंजीनियर ब्लेक लेमोइन (Blake Lemoine) द्वारा किए गए एक दावे के बाद तकनीक की दुनिया में हड़कंप मच गया है। उन्होंने दावा किया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) संवेदनशील हो गया है। ब्लेक लेमोइन के मुताबिक वे जिस एआइ चैटबाट ‘लैम्डा’ (Chat Board lambda) पर काम कर रहे थे, उसमें चेतना (सेंटिएंस) है। वैसे गूगल ने अपने इंजीनियर को थर्ड पार्टी के साथ कंपनी के प्रोजेक्ट के बारे में गोपनीय जानकारी साझा करने का आरोप लगाकर निलंबित कर दिया है। इस प्रकरण से एक बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि क्या वर्तमान में एआइ के क्षेत्र में कुछ ऐसा घटित हो रहा है कि गूगल जैसी दिग्गज कंपनी भी उसे छिपाने के प्रयास कर रही है?

एआइ से लैस कंप्यूटर्स ने आज हमारी दुनिया में इतनी गहरी पैठ बना ली है कि कई कठिन और जोखिम भरे काम बिना इनकी मदद के संभव नहीं रह गए हैं। हमें यह खतरा हमेशा से ही महसूस होता रहा है कि निरंतर उन्नत होती तकनीक से कहीं आगे चलकर कंप्यूटर इतने अक्लमंद न हो जाएं कि वे इंसानों को ही पीछे छोड़ दें और हम मशीनी युग में कठपुतली बन कर रह जाएं?

इस सवाल पर स्टीफन हाकिंग और सुंदर पिचाई के साथ-साथ एलन मस्क और बिल गेट्स जैसे विशेषज्ञ अपनी राय प्रकट करते रहे हैं। इन सभी का मानना है कि दुनिया में एक ऐसा वक्त आएगा जब किसी मशीन को मनुष्यों से कमांड लेने की जरूरत नहीं होगी। वर्तमान में एआइ के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधानों का मकसद मशीनों को इस तरह विकसित करना है कि परिस्थितियों के मुताबिक, वे स्वयं यह निर्धारित कर सकें कि उन्हें आगे क्या करना है। यदि ऐसा होता है तो इंसानों की जरूरत ही नहीं रह जाएगी, हम अप्रासंगिक हो जाएंगे। मशीनों को नियंत्रित नहीं किया जा सका तो वे मानव के विनाश का कारण भी बन सकती हैं!

लेखक मार्टिन फोर्ड अपनी एक किताब ‘राइज आफ रोबोट्स: टेक्नोलाजी एंड द थ्रेट आफ जाबलेस फ्यूचर’ में लिखते हैं, ‘टेक्नोलाजी के प्रतीक एआइ से लैस रोबोट आने वाले समय में सामान्य तरह के रोजगार हथिया लेंगे। स्थिति यह है कि रोबोट के कारण 21वीं सदी में वैश्वीकरण और मशीनीकरण के विस्तार के साथ शताब्दियों से चली आ रही मनुष्य की बल और बुद्धि की श्रेष्ठता के खत्म हो जाने का खतरा मंडराने लगा है।’

एआइ के दबदबे वाला भविष्य कैसा होगा, इसका जवाब तो भविष्य के गर्भ में ही है। कहा जाता है मशीन और मनुष्य के बीच अब केवल भावना का अंतर रह गया है, लेकिन गूगल के एआइ चैटबाट ‘लैम्डा’ से संबंधित हालिया प्रकरण इस अंतर को धूमिल करता नजर आ रहा है जिसमें एआइ चैटबाट एक मानव की तरह सोच-समझकर ब्लेक लेमोइन से वार्तालाप कर रहा था!

(लेखक विज्ञान के जानकार हैं)

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