लेफ्टिनेंट जनरल के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी, सरकारी धन के दुरुपयोग का है आरोप

भारतीय सेना ने भ्रष्टाचार के मामले में एक वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की है। सेना के इस अधिकारी के पर सरकारी धन के दुरुपयोग करने का आरोप है।

By TaniskEdited By: Publish:Sat, 11 May 2019 06:40 PM (IST) Updated:Sat, 11 May 2019 06:40 PM (IST)
लेफ्टिनेंट जनरल के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी, सरकारी धन के दुरुपयोग का है आरोप
लेफ्टिनेंट जनरल के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी, सरकारी धन के दुरुपयोग का है आरोप

नई दिल्ली, एएनआइ। भारतीय सेना ने भ्रष्टाचार के मामले में एक वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की आदेश दी है। सेना के इस अधिकारी के पर सरकारी धन के दुरुपयोग करने का आरोप है। बता दें कि सेना में नैतिक मर्यादा के उल्लंघन और वित्तीय भ्रष्टाचार के खिलाफ नो टालरेंस की नीति है। 

Army Lt Gen faces action for alleged corruption over misuse of govt funds

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— ANI Digital (@ani_digital) May 11, 2019

सेना के सूत्रों ने बताया कि सेना के इस अधिकारी के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद मुखयालय ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की आदेश दे दिए हैं। इस अधिकारी पर आरोप है कि उसने 10 लाख रुपये से ऊपर की सरकारी धन से नीजि इस्तेमाल के लिए समान खरीदे हैं।

उन्होंने कहा कि आरोपों के अनुसार, अधिकारी ने अपने अधीन आने वाले संस्थानों के लिए सरकारी धनराशि का इस्तेमाल अनधिकृत तरीके से अपने निजी इस्तेमाल के लिए किया। अधिकारी ने इसका इस्तेमाल एयर कंडीशनर, फर्नीचर और अन्य चीजें खरीदने के लिए किया। शिकायतें मिलते ही सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एक प्रधान कर्मचारी अधिकारी (PSO) की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दे दिया।

पीएसओ दैनिक कामकाज में सेना प्रमुख की सहायता के लिए मुख्यालय में तैनात वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट होते हैं। चूंकि जांच एक लेफ्टिनेंट जनरल के खिलाफ है, इसलिए इस जांच कमेटी के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल के रैंक के भी हैं।  'कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के पीठासीन अधिकारी ने जांच पूरी कर ली है और पहले ही सेना प्रमुख को इसके बारे में सूचित कर चुके हैं।' सूत्रों ने बताया कि इस अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है। 

जनरल बिपिन रावत के भारतीय सेना के प्रमुख के रूप में पदभार संभालने के बाद से सेना में नैतिक मर्यादा के उल्लंघन और वित्तीय भ्रष्टाचार के खिलाफ काफी सख्ती देखने को मिल रही है। इसके बाद से ऐसे मामलों में लिप्त पाए जाने पर कई अधिकारियों को बर्खास्त किया जा चुका है और बिना पेंशन के रिटायर किया जा चुका है।

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