स्टार वार सिस्टम पर छह लाख करोड़ रुपये खर्च करेगा भारत

भारतीय सेना भी अमेरिका की तर्ज पर भविष्य के हथियारों से लैस होने की तैयारी में है। रक्षा मंत्रालय के एक दस्तावेज के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बल लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले रोबोट, सटीक भेदन क्षमता वाली विशेष मिसाइलों और निगरानी रखने वाले उपग्रहों जैसे उच्च तकनीकी उपकरणों पर छह लाख करोड़ रुपये खर्च

By Edited By: Publish:Fri, 28 Jun 2013 12:35 AM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2013 03:14 AM (IST)
स्टार वार सिस्टम पर छह लाख करोड़ रुपये खर्च करेगा भारत

नई दिल्ली। भारतीय सेना भी अमेरिका की तर्ज पर भविष्य के हथियारों से लैस होने की तैयारी में है। रक्षा मंत्रालय के एक दस्तावेज के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बल लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले रोबोट, सटीक भेदन क्षमता वाली विशेष मिसाइलों और निगरानी रखने वाले उपग्रहों जैसे उच्च तकनीकी उपकरणों पर छह लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई जा रही है।

सशस्त्र बलों के लिए अगले 15 वर्ष की योजनाओं के दस्तावेज 'टेक्नोलॉजी एंड कैपेबिलिटी रोडमैप' में रक्षा मंत्री एके एंटनी ने स्पष्ट किया है कि उनका विभाग पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ इनकी खरीददारी की प्रक्रिया पूरी करेगा। दस्तावेज के मुताबिक, अगले 15 वर्ष में भारतीय बलों में बड़ा आधुनिकीकरण होगा। इसके लिए बड़े पैमाने पर खरीददारी करनी होगी, जिस पर मोटा रुपया खर्च होगा। भारतीय उद्योगों के लिए स्वदेशी हथियारों के जरिये छह लाख करोड़ रुपये के बाजार में हिस्सेदारी की काफी संभावनाएं होंगी। रक्षा मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराया गया दस्तावेज घरेलू निजी व सरकारी कंपनियों को जरूरत के मुताबिक खुद को तैयार कर हथियार मुहैया कराने का रोडमैप सुझाएगा। इस दस्तावेज को सार्वजनिक किया जा रहा है, ताकि भारतीय रक्षा क्षेत्र की निजी व सरकारी कंपनियों को समान मौके मिल सकें।

दस्तावेज के मुताबिक, अंतरिक्ष क्षेत्र में सशस्त्र बलों को एंटी-सेटेलाइट हथियारों से सुरक्षा के लिए 'वाचडॉग सेटेलाइट' की जरूरत होगी। इसके अलावा सभी बल इको-फ्रेंडली कार्यप्रणाली की ओर बढ़ रहे हैं। इसके लिए उन्हें सौर ऊर्जा, पनबिजली और विद्युत ऊर्जा की जरूरत होगी। इससे ईधन की खपत व प्रदूषण घटेगा और जहाजों के बिना आवाज परिचालन में भी मदद मिलेगी। लड़ाई के मैदान में निगरानी, टोह लेने और लैंडमाइन व आइईडी निष्क्रिय करने में कृत्रिम योद्धाओं की मदद ली जाएगी। रक्षा मंत्रालय के 45 पन्नों के दस्तावेज में दुश्मनों की बैलिस्टिक मिसाइलों से निपटने के लिए ज्वाइंट एरिया मिसाइल डिफेंस क्षमता की जरूरत बताई गई है।

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