मंदिर में मिले, प्रेम परवान चढ़ा और अमेरिका से ब्याह रचाने आ गई लड़की

दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में एक अमेरिकी लड़की का एक भारतीय लड़के से मुलाकात हुई। बाद में दोनों ने शादी कर ली।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Thu, 28 Jul 2016 09:53 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jul 2016 01:22 PM (IST)
मंदिर में मिले, प्रेम परवान चढ़ा और अमेरिका से ब्याह रचाने आ गई लड़की

होशंगाबाद(ब्यूरो)। नर्मदा नदी के कोरी घाट स्थित चित्रगुप्त मंदिर में बुधवार को सात समंदर पार से आई दुल्हन ने हिंदुस्तानी लड़के से ब्याह रचा लिया।

सेंट्रल अमेरिकी देश अल सल्वाडोर की रहने वाली क्लाओडिया डेबोरा कैटालॉन (26) की बुधनी स्थित ट्राइडेंट के इंजीनियर शंकर दयाल शुक्ला (25) से पहली मुलाकात दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में हुई थी। तभी से दोनों सोशल मीडिया हाईके के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े थे। वर्ष 2015 में हुई दोस्ती एक साल के दौरान प्यार में बदली और दोनों ने हिंदू रीति-रिवाज से विवाह कर लिया।

उप्र के बस्ती जिला निवासी शंकर ने बताया कि उनकी पहली मुलाकात जुलाई 2015 में अक्षरधाम में हुई थी। उस वक्त क्लाओडिया टूरिस्ट वीजा पर मंदिर में घूमने आई थी। शंकर के मुताबिक उसके मामा दिल्ली के शिवमंदिर में पुजारी हैं। क्लाओडिया को भारतीय सभ्यता और संस्कृति के संबंध में जानकारी दिलाने के लिए मामा के घर ले गया।

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हाईक पर पनपा प्यार

दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद दोनों दोनों सोशल मीडिया हाईक पर एक-दूसरे से संपर्क में रहे। सोशल मीडिया पर ही एक दूसरे को प्रपोज किया, विचार मिले तो बात शादी तक पहुंच गई।

सब किस्मत का खेल

क्लाओडिया ने बताया कि वह सेंट्रल अमेरिका के कंसोलेट जनरल ऑफ इंडिया की पूर्व कर्मचारी रही है। घर में मां और दो बहनें भी हैं। पिता की मृत्यु 2009 में ही हो चुकी है। शादी की बात मां और बहनों को बताई तो वे राजी हो गई। उन्होंने बताया कि जब प्यार किया तो क्या गुण, क्या धर्म। बचपन से पहले कैथोलिक धर्म का पालन किया, लेकिन जब बड़ी हुई तो भगवान गणेश को अपना अराध्य माना। मंदिर में पूजा करने के साथ ही हिंदू धर्म का पालन भी करती हूं। शादी के बाद पति ही मेरा सब कुछ हैं। वो जहां रहेंगे, जैसा रखेंगे मैं रहूंगी।

क्लाओडिया का कहना है कि कभी सोचा नहीं था कि भारत में शादी करूंगी। सब किस्मत का खेल है जहां ले जाए। शंकर के परिवार में माता-पिता और छोटा भाई है। दोनों के परिजन की मुलाकात अप्रैल 2016 में हुई।

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