14 अप्रैल के बाद कोरोना वायरस की उलटी गिनती गिना रहे पंचांग, पहले ही दे दिए थे संकेत

भारतीय पंचांगों के अनुसार 14 अप्रैल 2020 को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ ही कोरोना वायरस महामारी की तीव्रता कम होने लग जाएगी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 21 Mar 2020 10:22 PM (IST) Updated:Sat, 21 Mar 2020 10:22 PM (IST)
14 अप्रैल के बाद कोरोना वायरस की उलटी गिनती गिना रहे पंचांग, पहले ही दे दिए थे संकेत
14 अप्रैल के बाद कोरोना वायरस की उलटी गिनती गिना रहे पंचांग, पहले ही दे दिए थे संकेत

नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना वायरस का खात्मा मध्य अप्रैल से प्रारंभ हो जाएगा। राहत भरी यह भविष्यवाणी भारतीय पंचांगों ने उन्हीं ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर की है, जिसके आधार पर उन्होंने सालभर पहले ही बता दिया था कि दुनिया का इस वर्ष 'विषाणुजनित महामारी' से सामना होगा। कोरोना वायरस का प्रभाव दिसंबर 2019 में चीन में दिखना शुरू हुआ था, लेकिन फरवरी-मार्च 2019 में प्रकाशित हो चुके भारतीय पंचांगों को देखें तो इनमें 'विषाणुजनित' वैश्विक महामारी के संकेत दे दिए गए थे। अब जब यही ज्योतिषशास्त्री कह रहे हैं कि 14 अप्रैल के बाद कोराना का प्रभाव कम होने लग जाएगा, तो इस पर विश्वास न करने का कोई तर्क नहीं है।

भारतीय पंचांगों ने पहले ही दे दिए थे 'विषाणुजनित महामारी' के संकेत

पुरातन भारतीय ज्ञान-विज्ञान की गूढ़ बातों को 'पोंगापंडिताई' बता इनका मखौल उड़ाने वालों को हालांकि यह बात रास नहीं आएगी, लेकिन यह सुस्पष्ट प्रमाण उन्हें तर्कहीन करने के लिए पर्याप्त है। जिस समय दुनिया को इस बात का अंदेशा तक नहीं था कि कोई महामारी उसकी प्रतीक्षा में है, भारतीय ज्योतिषशास्त्र ने इसकी भविष्यवाणी कैलेंडरों में दर्ज करा दी थी। यह भी बता दिया था कि विषाणुजनित महामारी। देश के मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेशचंद्र पोखरियाल ने जब कोरोना फैलने के पहले ही ऐसी किसी महामारी की आशंका जताई थी, तो देश के एक वर्ग ने उनका जमकर मजाक उड़ाना शुरू कर दिया था। हालांकि अब मजाक उड़ाने वालों को दूसरा बहाना खोजना होगा।

पाप ग्रह सूर्य, शनि और केतु के मिलने से बना दुर्योग

अब जबकि संपूर्ण विश्र्व कोरोना महामारी की चपेट में आ गया है और इससे हजारों लोगों की मृत्यु हो चुकी है, तो मुंबई निवासी आचार्य पवन त्रिपाठी कहते हैं कि जब भी पृथ्वी पर किसी भी प्रकार की कोई घटना-दुर्घटना होती है, तो उसके पीछे ग्रह-नक्षत्रों का व्यापक प्रभाव होता है। यानी जनजीवन पर ग्रह-नक्षत्रों का व्यापक प्रभाव भी होता है, और इनके बदलाव से समस्या से निजात भी मिलने लग जाती है। आचार्य त्रिपाठी के अनुसार कोविड-19 का स्पष्ट प्रभाव दिसंबर 2019 में चीन से दिखाई देना शुरू हुआ है। दिसंबर 2019 में शनि, बृहस्पति, केतु और सूर्य धनुराशि में थे। सूर्य, शनि और केतु पाप ग्रह हैं, जिनके मिलने से इस प्रकार का दुर्योग बना कि एक विषाणुजनित महामारी का वैश्विक प्रसार हो रहा है। 24 जनवरी, 2020 को गोचर में शनि के मकर राशि में प्रवेश के बाद इस बीमारी का संकट और गहराया और विषाणु तेजी से अपने पांव पसारने लगा। त्रिपाठी के अनुसार 14 अप्रैल, 2020 को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ ही इस महामारी की तीव्रता कम होने लग जाएगी।

पवन त्रिपाठी के अनुसार बृहस्पति 30 मार्च को मकर में प्रवेश करेंगे, जो उनकी नीच राशि है। फिर शनि से जुड़ जाएंगे, जो अधिक अशुभ फल देने वाला है। वर्तमान वर्ष की शुरुआत, चैत्र मास शुक्ल पक्ष के पहले दिन, शनिवार पड़ा था। वर्ष का पहला दिन ही ज्योतिष के अनुसार वर्ष का राजा माना जाता है। राजा शनि के फल में ही लिखा है कि किसी विषाणुजनित महामारी का प्रकोप होगा। बृहद संहिता में भी यही कहा गया है।

सालभर पहले कर दी थी भविष्यवाणी..

आचार्य त्रिपाठी कहते हैं कि विषाणुजनित महामारी का उल्लेख भारतीय पंचांगों ने साल भर पहले ही कर दिया था। जाहिर है, भारतीय पंचांग चैत्र माह में हिंदू नववर्ष की शुरुआत पर उपलब्ध हो जाते हैं, जिनकी छपाई इससे भी पहले पूर्ण कर ली जाती है। पिछले वर्ष प्रकाशित श्री ऋषिकेष हिंदी पंचांग के पृष्ठ तीन पर 'विश्र्व तथा भारत का फल' शीर्षक के अंतर्गत किसी विषाणुजनित महामारी के संकेत दिए गए हैं।

जून तक कोरोना के बुरे प्रभाव में आने लगेंगी कमियां

इस महामारी से राहत के बारे में पवन त्रिपाठी बताते हैं कि भारत वर्ष की कुंडली के अनुसार भी 14 अप्रैल तक समय ज्यादा खराब है। भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 25 मार्च, 2020 दिन बुधवार को होगा। यानी आनेवाले वर्ष के राजा बुध होंगे। उनके साथ मंत्री के रूप में चंद्र रहेंगे। इन दोनों के प्रभाव से इस रोग का शमन जून 2020 तक हो जाएगा। 13 अप्रैल को रात्रि 8.23 मिनट से सूर्य का संक्रमण मीन राशि से मेष राशि में हो जाएगा। उसके बाद कोरोना वायरस के बुरे प्रभाव में कमियां आने लगेंगी। 27-28 अप्रैल के बाद सूर्य का संक्रमण मेष में 15 डिग्री से आगे बढ़ने पृथ्वी स्थित वासी इसके बुरे प्रभाव से बचने लगेंगे।

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