ट्रेन की सभी साठ हजार बोगियों में होगी कूड़ेदान की व्यवस्था : प्रभु

रेल मंत्रालय जल्द ही देश की सभी यात्री ट्रेनों की प्रत्येक बोगी में इस्तेमाल में आसान कूड़ेदान लगाएगा। इनमें वातानुकूलित व गैर वातानुकूलित आरक्षित बोगियों के अलावा साधारण दर्जे की अनारक्षित बोगियां शामिल हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Sat, 10 Oct 2015 01:22 AM (IST) Updated:Sat, 10 Oct 2015 01:32 AM (IST)
ट्रेन की सभी साठ हजार बोगियों में होगी कूड़ेदान की व्यवस्था : प्रभु

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेल मंत्रालय जल्द ही देश की सभी यात्री ट्रेनों की प्रत्येक बोगी में इस्तेमाल में आसान कूड़ेदान लगाएगा। इनमें वातानुकूलित व गैर वातानुकूलित आरक्षित बोगियों के अलावा साधारण दर्जे की अनारक्षित बोगियां शामिल हैं। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इस बात का एलान किया। वह यात्री बोगियों के आंतरिक डिजाइन में सुधार पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे।

प्रभु ने कहा कि वातानुकूलित और गैर वातानुकूलित स्लीपर क्लास की बोगियों को छोड़कर ज्यादातर बोगियों में अभी कूड़ेदान की कोई व्यवस्था नहीं है। नतीजतन, यात्री बोगी के भीतर या खिड़की से बाहर इधर-उधर कचरे का निस्तारण करते हैं। ट्रेनों के भीतर और रेल पटरियों के दोनों ओर गंदगी का यह एक प्रमुख कारण है। यही वजह है कि उन्होंने रेल बजट में सभी बोगियों में कूड़ेदान लगाने का एलान किया था। इसके तहत सभी 60 हजार बोगियों में यथाशीघ्र कूड़ेदान लगाए जाएंगे।

अभी वातानुकूलित और गैर वातानुकूलित एचएचबी बोगियों में दोनों छोर पर एक-एक कूड़ेदान की व्यवस्था होती है। इसके अलावा चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) में बनने वाली सभी परंपरागत किस्म की वातानुकूलित बोगियों में भी कूड़ेदान का इंतजाम होता है। लेकिन गैर वातानुकूलित बोगियों में, चाहे वे स्लीपर क्लास की हों, या जनरल क्लास की, प्राय: कूड़ेदान नहीं दिखाई देते। जबकि इन्हीं बोगियों में इनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।

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इस पर अफसोस जताते हुए रेलमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षो में यात्री बोगियों को यात्रियों के माफिक बनाने की दिशा में काफी प्रगति हुई है। मसलन, टायलेट बेहतर हुए हैं, चादर-तौलियों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और सीट/बर्थ व सीढि़यां भी बेहतर हुई हैं। लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। लिहाजा, आंतरिक डिजाइन पर काम करने वाले संगठनों और डिजाइनरों के लिए करने के लिए बहुत कुछ है। उन्हें एकदम अलग ढंग से सोचना होगा और यात्रियों की सहूलियत के नए उपाय करने होंगे।

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लेकिन केवल यात्रियों को सहूलियत देने भर से उनका कार्य पूरा नहीं होगा। उन्हें इस पर आने वाले खर्च का ख्याल करते हुए इसकी भरपाई के तरीके भी अपने डिजाइन में ही निकालने होंगे। प्रभु का आशय कोच के डिजाइन में विज्ञापन और प्रचार की संभावनाएं तलाशने से था। इस तरह के प्रयोग पहले कुछ ट्रेनों में हो चुके हैं जिनमें कोच की बाहरी सतह का उपयोग कंपनियों और उत्पादों के विज्ञापनों के लिए किया गया था। लेकिन डिजाइन की खाकी के कारण उन बोगियों को यात्रियों ने पसंद नहीं किया। प्रभु ने कहा कि बोगियों का डिजाइन तैयार करते वक्त हर श्रेणी के यात्रियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। अभी सारे प्रयोग वातानुकूलित बोगियों पर किए जाते हैं। जबकि स्लीपर और साधारण द्वितीय श्रेणी के यात्रियों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट आफ डिजाइन (एनआइडी) और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नालॉजी (निफ्ट) से इस पर गौर करने को कहा।

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