एम्स नर्सिंग परीक्षा में 80 फीसद महिला आरक्षण को कैट में चुनौती, केंद्र को नोटिस जारी

एम्स की गवर्निंग बाडी सेंट्रल इंस्टीट्यूट बाडी (सीआइबी) ने 27 जुलाई 2019 की बैठक में एम्स की नर्सिंग भर्ती में 80 फीसद पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया।

By Tilak RajEdited By: Publish:Sun, 30 Aug 2020 12:08 AM (IST) Updated:Sun, 30 Aug 2020 12:08 AM (IST)
एम्स नर्सिंग परीक्षा में 80 फीसद महिला आरक्षण को कैट में चुनौती, केंद्र को नोटिस जारी
एम्स नर्सिंग परीक्षा में 80 फीसद महिला आरक्षण को कैट में चुनौती, केंद्र को नोटिस जारी

नई दिल्ली, माला दीक्षित। आरक्षण एक ऐसा मुद्दा है जो किसी न किसी रूप में अदालतों का चक्कर काटता रहता है। नया मामला एम्स नर्स भर्ती में 80 फीसद महिला आरक्षण का है। दो पुरुष अभ्यर्थियों ने केन्द्रीय प्रशासनिक ट्रिब्युनल (कैट) में याचिका दाखिल कर एम्स नर्सिंग भर्ती में 80 फीसद पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने को चुनौती दी है। कैट ने याचिका पर केन्द्र सरकार और एम्स को नोटिस जारी किया है। हालांकि, कैट ने परीक्षा पर अंतरिम रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। परीक्षा आठ सितंबर को होनी है। यह मामला देश के 12 एम्स में करीब 4000 नर्सों की भर्ती का है।

एम्स की गवर्निंग बाडी सेंट्रल इंस्टीट्यूट बाडी (सीआइबी) ने 27 जुलाई 2019 की बैठक में एम्स की नर्सिंग भर्ती में 80 फीसद पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया। इसी के अनुरूप 80 फीसद महिला आरक्षण के साथ एम्स दिल्ली ने नर्सिग भर्ती का 5 अगस्त 2020 को विज्ञापन निकला था। राजस्थान के दो पुरुष अभ्यर्थियों ने वकील ज्ञानंत सिंह के जरिये याचिका दाखिल कर भर्ती में 80 फीसद महिला आरक्षण के सीआइबी के फैसले और गत पांच अगस्त की एम्स दिल्ली की भर्ती अधिसूचना को कैट में चुनौती दी है।

मामले पर कैट में बहस के दौरान गत सोमवार को वकील ज्ञानंत सिंह ने कहा कि एम्स की गवर्निंग बॉडी सीआइबी को आरक्षण पर निर्णय लेने और उसे लागू करने का अधिकार नहीं है। नियम 24 कहता है कि गवर्निंग बॉडी योग्यता के संबंध में जो भी संस्तुति करेगी, वह सरकार के नियमों के मुताबिक करेगी। अभी तक सरकार ने नर्स भर्ती में 80 फीसद महिला आरक्षण का कोई नियम नहीं बनाया है। यह आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14,15,16,19(1)(जी) का उल्लंघन है। ये अनुच्छेद लिंग आधारित भेदभाव की मनाही करते हैं और जीवन के अधिकार के साथ रोजगार की आजादी प्रदान करते हें। सिंह की दलील थी कि 19(1)(जी) में मिली रोजगार की आजादी पर नियंत्रण सिर्फ कानून के जरिए ही लगाया जा सकता है किसी प्रशासनिक आदेश के जरिये उस पर नियंत्रण नहीं लगाया जा सकता।

याचिका में कहा गया है कि सीआइबी ने मरीज के आराम और सुविधा के आधार पर 80 फीसद महिला आरक्षण दिया, जबकि ये आधार सही नहीं है, क्योंकि यह मामला किसी हास्पिटेलिटी से जुड़ा नहीं है, बल्कि दक्ष चिकित्सीय देखभाल का है। आरक्षण के इस नियम से आम मरीज के मेरिट के आधार पर चयनित दक्ष नर्स से इलाज कराने के अधिकार का भी हनन होता है। कहा गया है कि ऐसा कोई आंकड़ा या रिसर्च नहीं है, जिससे साबित होता हो कि महिलाएं ज्यादा अच्छी देखभाल कर सकती हैं और जिसके आधार पर 80 फीसद आरक्षण को सही ठहराया जा सके। कैट ने दलीलें सुनने के बाद मामले में केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स को नोटिस जारी किया। परीक्षा पर रोक मांग नहीं मानी।

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