किसानों के साथ बातचीत का रास्ता निकालने के लिए गृहमंत्री शाह के घर केंद्रीय मंत्रियों का मंथन

कृषि सुधार की दिशा में संसद से पारित कानून को लेकर दिल्ली पहुंचे किसानों के आंदोलन पर सरकार गंभीर है लेकिन किसान संगठनों की चुप्पी से कई तरह की आशंकाएं बढ़ने लगी हैं। यूपी के किसान संगठनों का आंदोलन के साथ खड़ा होना मजबूरी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 09:33 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 09:33 PM (IST)
किसानों के साथ बातचीत का रास्ता निकालने के लिए गृहमंत्री शाह के घर केंद्रीय मंत्रियों का मंथन
कृषि मंत्री ने कहा है कि किसान संगठनों को वार्ता के लिए बुलाया गया, लेकिन जवाब नहीं आया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि सुधार की दिशा में संसद से पारित कानून को लेकर दिल्ली पहुंचे किसानों के आंदोलन पर सरकार गंभीर है, लेकिन किसान संगठनों की चुप्पी से कई तरह की आशंकाएं बढ़ने लगी हैं। मसले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर केंद्रीय मंत्रियों की बैठक में सोमवार को इस पर विचार किया गया।

कृषि मंत्री ने कहा- किसान संगठनों को वार्ता के लिए बुलाया गया, लेकिन जवाब नहीं आया

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि किसान संगठनों को वार्ता के लिए पहले ही आमंत्रित किया गया है, लेकिन उनकी ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है। तोमर ने कहा कि वे चाहें तो पूर्व निर्धारित तीन दिसंबर से पहले ही वार्ता के लिए बैठक कर सकते हैं। इस पेशकश को लेकर भी उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

भाजपा ने विपक्षी राजनीतिक दलों पर किसानों में भ्रम फैलाने का लगाया आरोप

सरकार के स्पष्ट रुख के बावजूद किसान संगठनों के मौन से कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही है। विपक्षी दलों का किसानों के सहारे सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश है। सत्तारुढ़ भाजपा ने विपक्षी राजनीतिक दलों पर किसानों में भ्रम फैलाने का आरोप भी लगाया है। भाजपा ने किसानों को इस बात पर गुमराह न होने की सलाह दी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीद समाप्त कर दी जाएगी। यह प्रणाली ज्यों की त्यों जारी रहेगी।

पंजाब के किसान आंदोलन को मिल रहा वित्तीय समर्थन

पंजाब के किसानों के आंदोलन को मिल रहे वित्तीय समर्थन को लेकर भी आशंकाएं बढ़ रही हैं। खासतौर पर विदेशों में बस गए प्रवासी भारतीयों की ओर से उनके समर्थन में किए जा रहे समर्थन से इसे और बल मिल रहा है।

यूपी के किसान संगठनों का आंदोलन के साथ खड़ा होना मजबूरी है

उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों के बारे में बताया गया कि उनके लिए आंदोलन के साथ खड़ा होना स्वाभाविक मजबूरी है। पिछले कई दिनों से राजधानी के बाहरी हिस्से में राज्यों की सीमाओं पर किसान आंदोलनकारी डेरा डाले हुए हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस और वामपंथी दलों का परोक्ष और कहीं कहीं प्रत्यक्ष समर्थन मिल रहा है।

केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा- मंडियों के लिए कोई खतरा नहीं है

भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करने पर तीखी टिप्पणी की है। पार्टी के प्रमुख नेता और केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने अपने ट्वीट संदेश की श्रृंखला में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को समझाने की कोशिश की है। उन्होंने आंदोलन को समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों को आड़े हाथों भी लिया है। मंडियों के लिए कोई खतरा नहीं है और न ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद को बंद करने का कोई सवाल पैदा होता है। नया कानून किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। इसे अब मंडी के बाहर बिक्री करने पर कोई जुर्माना अथवा दंड का भागी नहीं होना पड़ेगा।

प्रसाद ने कहा- कांट्रैक्ट कानून के तहत किसानों का शोषण कंपनियां नहीं कर सकेंगी

केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कि कांट्रैक्ट कानून के तहत किसानों के शोषण नही कर सकेंगे। कंपनियों के साथ होने वाले अनुबंध से किसान किसी भी समय बाहर हो सकता है। इस नये कानून से किसानों को निश्चित मूल्य पर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्र हो जाएगा।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा- नये कानून किसानों के लिए वरदान साबित होंगे

भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि नये कानून किसानों के लिए वरदान साबित होगा, जिससे उसके जीवन में नये अवसर पैदा होंगे। किसानों को इन कानूनों से उसकी उपज के उचित व लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सकेंगे।

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