आक्रामक कूटनीति: चीन के OBOR के जवाब में भारत भी बनाएगा सड़क

केंद्र सरकार की आक्रामक कूटनीति को और धार मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में पांच ऐसे फैसले किए।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 13 Jul 2017 06:09 AM (IST) Updated:Thu, 13 Jul 2017 12:43 PM (IST)
आक्रामक कूटनीति: चीन के OBOR के जवाब में भारत भी बनाएगा सड़क
आक्रामक कूटनीति: चीन के OBOR के जवाब में भारत भी बनाएगा सड़क

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार की आक्रामक कूटनीति को और धार मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट और सीसीईए की बैठक में पांच ऐसे फैसले किए गए, जो सरकार की कूटनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनमें सबसे अहम फैसला पड़ोसी देशों के साथ सड़क कनेक्टिविटी बढ़ाने से जुड़ा हुआ है।

इसके तहत सरकार ने सासेक कॉरिडोर परियोजना को तेज करने का फैसला लिया है। चीन जिस तरह से वन बेल्ट-वन रोड (ओबोर) परियोजना को बढ़ा रहा है, उसे देखते हुए इसकी अहमियत बढ़ गई है। दो फैसले पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ रणनीतिक संबंधों को और मजबूत बनाने से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा दो फैसला फलस्तीन को स्वास्थ्य व आर्थिक क्षेत्र में मदद देने से संबंधित है।

 सासेक परियोजना :

भारत ने कई वर्ष पहले भूटान, नेपाल, बांग्लादेश व म्यांमार को जोड़ने के लिए सासेक (साउथ एशियन सब रिजनल इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) कॉरिडोर शुरू किया था। इसके तहत मणिपुर के इंफाल-मोरेह (म्यांमार) को जोड़ने की सड़क परियोजना को 1630.29 करोड़ रुपये और दिए गए हैं। इस मार्ग को पूर्वी एशियाई बाजार के लिए भारत का प्रवेश द्वार माना जाता है। भारत की योजना इस मार्ग के जरिये न सिर्फ पूर्वी एशियाई बाजारों को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने की है, बल्कि वह यह भी दिखाना चाहता है कि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की अवधारणा को वह स्वीकार करता है।

 सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में सासेक परियोजना को लेकर कुछ और अहम फैसले होंगे।फलस्तीन के लिए हर मदद मोदी हाल में ही इजरायल की बेहद सफल यात्रा संपन्न कर स्वदेश लौटे हैं। लेकिन स्वदेश लौटने के बाद अपनी पहली कैबिनेट बैठक में उन्होंने फलस्तीन को सहयोग देने से जुड़े दो अहम परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसमें एक परियोजना स्वास्थ्य और औषधि के क्षेत्र में है। इससे फलस्तीन को स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतरीन प्रशिक्षण देने, संक्रामक बीमारियों के रोक थाम की तकनीकी देने, दवाइयां व स्वास्थ्य से जुड़े अन्य उपकरण देने का रास्ता साफ होगा।

आने वाले दिनों में भारत व फलस्तीन में इसके लिए एक कार्य दल का भी गठन होगा। इसके अलावा फलस्तीन को सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मदद देने संबंधी प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई गई है। इससे इस छोटे से देश के सरकारी काम काज में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिलेगा। सनद रहे कि मोदी इजरायल की यात्रा पर जाने वाले पहले भारतीय पीएम हैं। इससे भारत व फलस्तीन के ऐतिहासिक रिश्ते पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे में भारत ने यह दिखाने की कोशिश की है कि उसके लिए फलस्तीन का अलग महत्व है।

बांग्लादेश से बढ़ेगी करीबी

कैबिनेट ने बांग्लादेश के साथ पहले से ही मजबूत हो रहे रिश्ते को और गहराई देने के लिए दो अहम फैसले किए हैं। एक फैसला बांग्लादेश के साथ निवेश बढ़ाने संबंधी समझौते को आसानी से लागू करने के लिए एक समग्र नोट्स को मंजूरी देने से जुड़ा हुआ है। इसे ज्वाइंट्स इंटरप्रेटिव नोट्स (जेआइएन) कहा गया है जो आने वाले दिनों में दोनो देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेगा।

बांग्लादेश में भारी भरकम निवेश करने की तैयारी में बैठी भारतीय कंपनियों को भरोसा हो सकेगा कि उनका निवेश सुरक्षित है। कैबिनेट ने भारत व बांग्लादेश के बीच साइबर हमले के मामले में रणनीतिक सहयोग बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी है। हाल के वर्षो में बांग्लादेश भारत का सबसे विश्वस्त पड़ोसी देश के रुप में स्थापित हुआ है। ऐसे में भारत की तरफ से उसे हरसंभव मदद देने की भी कोशिश हो रही है।

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