दहेज पर बारात लौटाने वाली शिवांगी अब बेटियों को करेंगी प्रेरित

शिवांगी के पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि मेरी बेटी पढ़ी-लिखी है और समझदार है। उसने सही फैसला किया है। मैं बेटी के साथ हूं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 18 Feb 2019 11:33 AM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 11:33 AM (IST)
दहेज पर बारात लौटाने वाली शिवांगी अब बेटियों को करेंगी प्रेरित
दहेज पर बारात लौटाने वाली शिवांगी अब बेटियों को करेंगी प्रेरित

जोगेंद्र सेन, ग्वालियर। मंडप के नीचे शादी की हर रस्म के साथ दहेज की नई मांग से परेशान पिता का चेहरा देख इंजीनियरिंग व एमबीए पास बेटी ने फेरों के बाद बारात को लौटा दिया। दुल्हन के जोड़े में बेटी की यह हिम्मत देख पिता ने भी उसके फैसले का साथ दिया। हुआ यह था कि सभी रस्में चल रही थीं पर बार-बार दुल्हन के पिता से दूल्हे के परिजन किसी ने किसी कमी पर कमेंट कर रहे थे। हद उस समय हो गई जब दूल्हे के पिता ने मंडप के नीचे फेरे के तत्काल बाद ही उनका दिए हुए उपहार खोलने और 2 लाख रुपए नकद रखने की मांग कर दी। इस पर दुल्हन के पिता की आंखों में आंसू आ गए और यही एक बेटी से देखा नहीं गया।

दतिया निवासी द्वारिका प्रसाद अग्रवाल सराफा व्यवसायी हैं। उनकी चार बेटियां है पर शिवांगी उनमें से सबसे छोटी और लाड़ली बेटी है। शिवांगी खुद इंजीनियर होने के साथ-साथ एमबीए की पढ़ाई भी पूरी कर चुकी हैं। अभी वह एक पैरा माउंड कंपनी में जॉब भी कर रही है। 6 माह पहले व्यापारी श्री अग्रवाल ने बेटी का रिश्ता ग्वालियर के फालका बाजार निवासी व्यवसायी सुरेशचन्द्र अग्रवाल के बेटे प्रतीक अग्रवाल से किया था। प्रतीक खुद फालका बाजार में सेनेट्री शॉप चलाते हैं। रिश्ता तय होते समय शिवांगी के ससुराल पक्ष से कोई भी मांग नहीं होने की बात कही गई थी।

6 माह पूर्व सगाई के बाद 15 फरवरी शुक्रवार को ग्वालियर के जीवाजी क्लब से दोनों ही परिवार का संयुक्त समारोह होना था। शुक्रवार रात जीवाजी क्लब में बड़े ही जोर-शोर से प्रतीक का परिवार बारात लेकर पहुंचा। बस यही वह पल था जहां से लडके पक्ष ने अपनी मांग बढ़ाना शुरू कर दी। इसके बाद शिवांगी के पिता का चेहरा धीरे-धीरे उदास सा होता गया।

मंडप के नीचे 2 लाख रुपए की रखी मांग

बारात जीवाजी क्लब पहुंचने और स्टेज पर वरमाला होने के बाद मंडप की रस्में पूरी होना थी। शुक्रवार-शनिवार दरमियानी रात 2 बजे का समय था। मंडप के नीचे रस्में शुरू होते ही दूल्हे के पिता ने बारातियों को उपहार पर चर्चा शुरू कर दी। उन्होंने कुछ विशेष बारातियों के लिए बड़े गिफ्ट और रुपयों की बात कही। इस पर दुल्हन के पिता ने किसी तरह बात को संभाला, लेकिन उनके चेहरे पर उस मांग को पूरी करने का बोझ दिखने लगा। पर हद उस समय हो गई जब फेरों के बाद शादी में दिए जेवर, साड़ी व अन्य सामान से भरे संदूक को खोलकर दिखाने के लिए दूल्हे के पिता सुरेशचन्द्र ने कहा। जब संदूक खोला गया तो सामान कम होने पर उन्होंने 2 लाख रुपए की मांग कर दी। यहां दुल्हन के पिता, चाचा व भाई सभी दंग रह गए। काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी।

पिता सोच रहा था क्या कहूं, बेटी ने आगे बढ़कर लौटा दी बारात

बेटी के ससुराल पक्ष द्वारा की गई मांग पर अभी शिवांगी के पिता सोच रहे थे कि वह क्या जवाब दें। वह मांग को कैसे पूरा करेंगे, लेकिन पिता का परेशान चेहरा देख भाई का गुस्से से लाल चेहरा देख शिवांगी पर नहीं रहा गया। वह मंडप से खड़ी हुई और प्रतीक के पास जाकर बोल दिया यहां अब कोई शादी नहीं होगी बारात खाली हाथ लेकर लौट जाओ। सभी रिश्तेदारों व ससुराल पक्ष के मेहमानों के बीच बेटी शिवांगी के इस तरह उठकर दहेज लोभी दूल्हे को न कहने से पूरे परिवार में हिम्मत आ गई। जिसके बाद तत्काल डायल 100 पर कॉल कर पुलिस को बुलाया गया। पुलिस के आते ही दूल्हा व उसके परिजन शिवांगी के पिता के पैर में गिरकर विदा करने की मांग करते रहे, लेकिन वह नहीं माने।

मेरी मां को देना होगा वेतन

बीकॉम करने के बाद एमबीए कर रहे प्रतीक ने शिवांगी से पूछा कि अब तक की तुम्हारी सैलरी कहां हैं? इस महीने की सैलरी का क्या किया? शिवांगी ने बताया कि शॉपिंग पर खर्च कर दी। प्रतीक बोला कि अब प्रतिमाह सैलरी मेरी मां को देनी होगी।

मैं तो पेटी में साड़ी देख रहा था

दूल्हे के पिता सुरेशचंद्र अग्रवाल ने सफाई दी कि उन्हें मालूम यह क्या हो रहा है। मैंने कोई दहेज नहीं मांगा। पेटी देखनी की बात स्वीकार करते हुए कहा कि मैं तो देखना चाहता था कि पेटी में कितनी साड़ी हैं। पेटी में गहने होते ही नहीं हैं।

मैं शादी के लिये तैयार हूं

बीकॉम के बाद सेनेट्री की दुकान करने वाले प्रतीक अग्रवाल ने शिवांगी के विदाई करने से इनकार करने पर कहा कि हमने कोई डिमांड नहीं की है। मैं तो साथ ले जाने के लिए तैयार हूं।

मैं बेटी के फैसले के साथ

शिवांगी के पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि मेरी बेटी पढ़ी-लिखी है और समझदार है। उसने सही फैसला किया है। मैं बेटी के साथ हूं। मैं भी ऐसे लोगों के घर बेटी को विदा नही कर सकता हूं।

आवाज उठाएं महिलाएं

मेरे पिता से पहले पांच लाख की मांग की गई। वह पूरी करते ही 10 तोला सोना मांगा गया। जब मांग पूरी करते गए तो प्रतीक के परिजन मांग बढ़ाते चले गए। मैं पढ़ी लिखी हूं, कंपनी में जॉब भी कर रही हूं। जब पिता का चेहरा देखा तो समझते देर नहीं लगी। ऐसे लड़के और घर में कैसे खुश रह सकती हूं। मेरी लड़कियों से अपील है कि वह ऐसे लोगों के खिलाफ आवाज उठाएं।

-शिवांगी अग्रवाल, दुल्हन

मैंने कोई मांग नहीं की, हम अभी भी तैयार हैं मैंने कोई मांग नहीं की है। हम अब भी तैयार हैं, लेकिन वे लोग पुलिस को बुलाकर हम पर दवाब बना रहे हैं। रिश्ता उन्हीं ने ठुकराया है।

- प्रतीक अग्रवाल, दूल्हा

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