नोटबंदी के बाद तीन गुणा हुई खातों को आधार से जोड़ने की रफ्तार

नोटबंदी के बाद डिजीटल भुगतान के कई विकल्प सामने आए और अब सरकार आधार के जरिए पेमेंट व्यवस्था लागू करने की तैयारियों में जुटी है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Sun, 02 Apr 2017 06:43 PM (IST) Updated:Mon, 03 Apr 2017 12:30 AM (IST)
नोटबंदी के बाद तीन गुणा हुई खातों को आधार से जोड़ने की रफ्तार
नोटबंदी के बाद तीन गुणा हुई खातों को आधार से जोड़ने की रफ्तार

नितिन प्रधान, नई दिल्ली। आधार के जरिए भुगतान की सुविधा को अमली जामा पहनाने की दिशा में सरकार तेजी से बढ़ रही है। इसी का नतीजा है कि नोटबंदी के बाद देश में बैंक खातों को आधार के साथ जोड़ने की रफ्तार तीन गुणा बढ़ गई है। डिजीटल पेमेंट की व्यवस्था को जमीन पर लाने की दिशा में यह काफी मददगार साबित होगा।

बीते 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को देश में डिजीटल पेमेंट सिस्टम कायम करने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। नोटबंदी के बाद डिजीटल भुगतान के कई विकल्प सामने आए और अब सरकार आधार के जरिए पेमेंट व्यवस्था लागू करने की तैयारियों में जुटी है। इसके लिए जरूरी है कि लोगों के बैंक खाते आधार से जुड़े हों। नोटबंदी के बाद सरकार ने बैंक खातों को आधार से जोड़ने की मुहिम भी तेज की है।

इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी से पहले रोजाना करीबन 60 लाख खाते आधार से जुड़ रहे थे। लेकिन नोटबंदी के बाद इनकी रफ्तार में लगभग तीन गुणा की वृद्धि हुई है। 15 मार्च 2017 तक के आंकड़ों के मुताबिक 1.70 करोड़ से 1.90 करोड़ खातों को आधार से रोजाना जोड़ा जाने लगा है। मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस तारीख तक करीब 42 करोड़ खातों को आधार के साथ लिंक किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त ई-केवाइसी का इस्तेमाल कर इस अवधि तक 5.71 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं।

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बैंक खातों के साथ साथ सरकार देश की जनसंख्या के बाकी बचे हिस्से को भी आधार के दायरे में लाने पर तेजी से काम कर रही है। सूत्रों के मुताबिक सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जिन राज्यों में लोगों को आधार से जोड़ने का काम बचा हुआ है वहां की सरकारों को तेजी लाने को कहा है। दो महीने पहले ही सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक दर्जन से अधिक राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर आधार के पंजीकरण में तेजी लाने के उपाय करने को कहा है।

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 128 करोड़ की आबादी में से करीब 15 करोड़ लोग ऐसे बचे हैं जिनके पास अभी आधार नहीं है। असम और मेघालय के अलावा जिन राज्यों में सबसे अधिक लोग आधार के दायरे से बाहर हैं उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 4.48 करोड़ लोग 15 मार्च 2017 तक आधार के दायरे से बाहर थे।

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