असम के रास्ते देश में पहली बार अफ्रीकी स्वाइन फ्लू की दस्तक, कोरोना के बीच नए संकट से हड़कंप

देश में पहली बार असम के जरिये अफ्रीकी स्वाइन फ्लू ने दस्तक दी है। इस बेहद खतरनाक संक्रामक बीमारी के कारण 306 गांवों में अब तक 2500 सूअरों की मौत हो चुकी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 04 May 2020 01:26 AM (IST) Updated:Mon, 04 May 2020 01:37 AM (IST)
असम के रास्ते देश में पहली बार अफ्रीकी स्वाइन फ्लू की दस्तक, कोरोना के बीच नए संकट से हड़कंप
असम के रास्ते देश में पहली बार अफ्रीकी स्वाइन फ्लू की दस्तक, कोरोना के बीच नए संकट से हड़कंप

गुवाहाटी, प्रेट्र। असम के जरिये देश में पहली बार अफ्रीकी स्वाइन फ्लू ने दस्तक दी है। इस बेहद खतरनाक संक्रामक बीमारी के कारण असम के 306 गांवों में अब तक 2,500 सूअरों की मौत हो चुकी है। हालांकि, इस बीमारी का कोरोना वायरस से कोई संबंध नहीं है। राज्य के पशुपालन व पशु चिकित्सा मंत्री अतुल बोरा ने कहा, 'केंद्र से अनुमति के बावजूद राज्य सरकार सूअरों को तुरंत मारने की बजाय इस अत्यधिक संक्रामक रोग के नियंत्रण के लिए दूसरे विकल्पों पर विचार करेगी।' 

100 फीसद है मृत्‍युदर 

मंत्री बोरा ने बताया, 'राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (एनआइएचएसएडी) भोपाल ने अफ्रीकी स्वाइन फ्लू (एएसएफ) की पुष्टि की है। केंद्र सरकार ने बताया है कि देश में पहली बार इस बीमारी ने दस्तक दी है।' उन्‍होंने कहा, 'यह संक्रमण इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित सूअरों की मृत्युदर 100 फीसद है। इसलिए, हमने उन सूअरों को बचाने की रणनीति तैयार की है जो अभी तक संक्रमित नहीं हुए हैं। हालांकि, अभी यह बीमारी ज्यादा नहीं फैली है।'

नमूनों की होगी जांच 

उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सा विभाग प्रभावित इलाके के एक किलोमीटर के दायरे में नमूने इकट्ठा करके उनकी जांच करेगा। केवल उन्हीं सूअरों को मारा जाएगा जो संक्रमित होंगे। राज्य सरकार ने पड़ोसी राज्यों से आग्रह किया है कि वे अपने यहां सूअरों के आवागमन पर रोक लगाएं, ताकि संक्रमण न फैले।

सूअर के मांस, स्लाइवा व खून से फैलती है बीमारी

मंत्री ने बताया, 'अफ्रीकी स्वाइन फ्लू सूअर के मांस, स्लाइवा, खून और टिशू के जरिये फैलता है। इसलिए, असम सरकार सूअरों का अंतर्जिला परिवहन रोकेगी। हमने 10 किलोमीटर की परिधि को सर्विलांस जोन में तब्दील कर रखा है, ताकि वहां से सूअर अन्यत्र न जाने पाएं।'

चीन के जरिये तो नहीं आया यह संक्रामक रोग

बोरा ने कहा, 'इस बीमारी की शुरुआत अप्रैल 2019 में चीन के जियांग प्रांत के एक गांव में हुई थी जो अरुणाचल प्रदेश का सीमावर्ती है। असम में यह बीमारी इसी साल फरवरी के अंत में सामने आई थी। ऐसा लगता है कि यह बीमारी चीन से अरुणाचल होती हुई असम पहुंची है।'

मनुष्य भी हो सकता है संक्रमण का वाहक 

सामान्य तौर पर इधर-उधर घूमते रहने वाले सूअर इस संक्रमण से ग्रसित हैं, लेकिन फार्म के सूअर भी इससे अछूते नहीं हैं। एक पशुपालक के फार्म 250 और उसके कर्मचारी के सभी निजी सूअर इस संक्रमण से मारे गए। ऐसा लगता है कि कर्मचारी ही फार्म तक संक्रमण लेकर पहुंचा था। बोरा ने बताया कि पशुचिकित्सा विभाग ने सूअरों के टीकाकरण का काम शुरू किया था, लेकिन उसे इसलिए रोक दिया गया क्योंकि डॉक्टरों के जरिये भी संक्रमण फैल सकता था। हालांकि, यह वायरस आदमी को नुकसान नहीं पहुंचाता है। हमने लोगों को जागरूक करने के लिए 13 जिलों को चिह्नित किया है।

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