मध्यम वर्ग को भी अफोर्डेबल हैल्थ केयर उपलब्ध, मेडिकल डिवाइसों की कीमत पर अंकुश लगेगा

नीति आयोग ने मेडिकल डिवाइसों पर ट्रेड मार्जिन तय करने की दिशा में विचार विमर्श भी शुरु कर दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 09 Jun 2018 08:14 PM (IST) Updated:Sat, 09 Jun 2018 11:47 PM (IST)
मध्यम वर्ग को भी अफोर्डेबल हैल्थ केयर उपलब्ध, मेडिकल डिवाइसों की कीमत पर अंकुश लगेगा
मध्यम वर्ग को भी अफोर्डेबल हैल्थ केयर उपलब्ध, मेडिकल डिवाइसों की कीमत पर अंकुश लगेगा

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। दस करोड़ गरीब परिवारों को सालाना पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा की सुविधा देने के लिए 'आयुष्मान भारत' योजना का ऐलान करने के बाद सरकार मध्यम वर्ग को अफोर्डेबल हैल्थ केयर उपलब्ध कराने की तैयारी कर रही है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए केंद्र करीब डेढ़ दर्जन मेडिकल डिवाइसों की कीमत नियंत्रित कर सकता है।

-नीति आयोग ने शुरु किया मेडिकल डिवाइस पर 'ट्रेड मार्जिन' फिक्स करने की दिशा में विचार विमर्श

-नीति आयोग ने मांगे सुझाव

नीति आयोग ने मेडिकल डिवाइसों पर ट्रेड मार्जिन तय करने की दिशा में विचार विमर्श भी शुरु कर दिया है। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से मेडिकल डिवाइसों की कीमत पर अंकुश लगेगा जिससे आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री फिलहाल करीब 10 अरब डालर की है। अगले कुछ वषरें में इसके बढ़कर 20 अरब डालर होने का अनुमान है। मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री में मेडिकल डिस्पोजेबल्स एंड कंज्यूमेबल्स, मेडिकल उपकरण और इंप्लांट्स जैसी चीजें आती हैं।

भारत अपनी जरूरत की 75 प्रतिशत से अधिक मेडिकल डिवाइस आयात करता है। सरकार को मेडिकल डिवाइस की कीमत पर अंकुश लगाने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि मेडिकल डिवाइस के आयात मूल्य और उपभोक्ता द्वारा चुकाए जाने वाली कीमत में बड़ा अंतर है। ऐसें में जब इलाज के दौरान किसी मरीज को मेडिकल डिवाइस की जरूरत पड़ती है तो उसे इसके लिए बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है।

नीति आयोग के एडवाइजर और वरिष्ठ आइएएस अधिकारी आलोक कुमार का कहना है कि फिलहाल सिर्फ 23 मेडिकल डिवाइस को ड्रग्स यानी दवा के रूप में ड्रग्स एंड कॉस्मेाटिक्सि एक्ट के तहत नियमित किया गया है। इनमें से भी सिर्फ चार डिवाइसों- कार्डिक स्टेंट, ड्रग इल्यूकटिंग स्टेंट, कंडोम और इंट्रा यूटेराइन डिवाइसेस को आवश्याक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल किया गया है और इनकी कीमत तय की गयी है। इसके अलावा घुटने के इलाज में इस्तेमाल होने वाले 'नी इंप्लाट' को भी ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) आर्डर, 2013 के पैरा 19 के तहत लाकर इसकी कीमत तय की गयी है। शेष करीब डेढ़ दर्जन मेडिकल डिवाइस की कीमतों पर फिलहाल कोई नियंत्रण नहीं है।

स्वास्थ्य और पोषण मामलों के विशेषज्ञ कुमार ने कहा कि आयोग सभी पक्षों के साथ चर्चा करके यह तय करना चाहता है कि मेडिकल डिवाइस का नियमन दवा के रूप में किया जाए या डिवाइस के रूप में। सबको अफोर्डेबल स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लक्ष्य से सरकार का इरादा आम लोगों को अफोर्डेबल कीमत पर जीवनरक्षक मेडिकल डिवाइस उपलब्ध कराना है। यही वजह है मेडिकल डिवाइस पर ट्रेड मार्जिन तय करने पर विचार किया जा रहा है। नीति आयोग ने इस संबंध में सभी पक्षों से उनकी राय मांगी है। वे 15 जून तक अपने विचार दे सकते हैं। सभी पक्षों के विचार मिलने के बाद आयोग अगले महीने इस दिशा में आगे कदम उठायेगा।

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