अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा एडीआर

एनजीओ ने कहा 19 नवंबर 2022 की अधिसूचना के जरिए चुनाव आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति को चुनौते देते हुए जनहित याचिका इस आधार पर दायर की जा रही है कि नियुक्ति मनमानी है और भारत के EC की संस्थागत अखंडता व स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है।

By AgencyEdited By: Publish:Sun, 16 Apr 2023 08:00 PM (IST) Updated:Sun, 16 Apr 2023 08:00 PM (IST)
अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा एडीआर
SC पहुंचा एनजीओ एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफा‌र्म्स। केंद्र व चुनाव आयोग पर लगा चयन प्रक्रिया में भाग लेने का आरोप।

नई दिल्ली, पीटीआई। एनजीओ एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफा‌र्म्स (एडीआर) ने चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक 'तटस्थ और स्वतंत्र समिति' के गठन की मांग की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार और चुनाव आयोग ने अपने लाभ के लिए योजनाबद्ध सावधानीपूर्वक बनाई गई चयन प्रक्रिया में हिस्सा लिया है।

भारत के चुनाव आयोग की अखंडता व स्वतंत्रता का उल्लंघन

गैर सरकारी संगठन एडीआर ने चुनाव आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गैर सरकारी संगठन ने दावा किया कि उनकी नियुक्ति मनमाने तरीके से की गई है और यह चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता और स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

एनजीओ ने याचिका में कहा कि 19 नवंबर 2022 की अधिसूचना के जरिए चुनाव आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति को चुनौते देते हुए जनहित याचिका इस आधार पर दायर की जा रही है कि नियुक्ति मनमानी है और भारत के चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता व स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है।

सेवानिवृत्त आइएएस के डाटाबेस को किया गया था शामिल

शीर्ष कोर्ट ने अपने दो मार्च के फैसले में कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) की सदस्यता वाली समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेंगे, ताकि चुनाव की शुचिता बनी रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस बात से हैरान है कि नौकरशाह अरुण गोयल ने पिछले साल 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कैसे किया जबकि उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त करने के प्रस्ताव के बारे में जानकारी नहीं थी।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजीव कुमार की 15 मई, 2022 से मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के बाद चुनाव आयुक्त का पद रिक्त हो गया था।

जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र की इस दलील पर गौर किया कि एक चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए 18 नवंबर, 2022 को मंजूरी मांगी गई थी और उसी दिन भारत सरकार के सचिव के पद पर सेवारत और सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारियों के डाटाबेस को शामिल किया गया था।

नियुक्ति के प्रस्ताव के बारे में जानकारी नहीं

जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा, ''उसी दिन 18 नवंबर, 2022 को एक नोट डाला गया था, जिसमें कानून मंत्री ने प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के विचार के लिए चार नामों के पैनल का सुझाव दिया था। हम इस बात से थोड़े हैरान हैं कि अधिकारी ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कैसे किया, अगर उन्हें उनकी नियुक्ति के प्रस्ताव के बारे में जानकारी नहीं थी।'

शीर्ष कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयुक्त या मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्ति के लिए छह साल की अवधि होनी चाहिए क्योंकि इससे अधिकारी के पास कार्यालय की जरूरतों के अनुरूप खुद को तैयार करने का पर्याप्त समय होगा।

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