सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी योजनाओं में आधार के इस्तेमाल को स्वैच्छिक मंजूरी दी

सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया है कि मनरेगा, ईपीएफओ, जन धन योजना समेत अन्य पेंशन स्कीमों में आधार कार्ड का इस्तेमाल जारी रहेगा। शीर्ष अदालत की पांच जजों की पीठ ने बृहस्पतिवार को कई सरकारी योजनाओं और पेंशन स्कीमों के लिए आधार कार्ड के इस्तेमाल को मंजूरी दे

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Wed, 14 Oct 2015 08:13 PM (IST) Updated:Thu, 15 Oct 2015 04:52 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी योजनाओं में आधार के इस्तेमाल को स्वैच्छिक मंजूरी दी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया है कि मनरेगा, ईपीएफओ, जन धन योजना समेत अन्य पेंशन स्कीमों में आधार कार्ड का इस्तेमाल जारी रहेगा। शीर्ष अदालत की पांच जजों की पीठ ने बृहस्पतिवार को कई सरकारी योजनाओं और पेंशन स्कीमों के लिए आधार कार्ड के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि आधार कार्ड का यह इस्तेमाल पूरी तरह से ऐच्छिक होगा, इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सरकार को इन योजनाओं में आधार कार्ड का इस्तेमाल करने की छूट है, लेकिन ऐसे लोगों को किसी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए, जिनके पास आधार नहीं है।

इससे पहले कोर्ट ने सिर्फ एलपीजी गैस सिलिंडर और पीडीएस स्कीमों में ही आधार कार्ड के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। लेकिन अदालत के इस फैसले के बाद सरकार को अन्य योजनाओं के धारकों की पहचान के लिए आधार के इस्तेमाल की मंजूरी से मदद मिल सकेगी। कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि आधार नंबर के इस्तेमाल से सुरक्षा और निजता में सेंध की चिंता को खारिज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह सुनिश्चित करे कि कैसे आधार नंबर के इस्तेमाल से नागरिकों की निजता को किसी तरह का खतरा नहीं है।

आधार कार्ड के इस्तेमाल की वजह से निजता के खतरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बृहत्तर बेंच सुनवाई करेगी। इस पीठ में 9 से 11 जजों को शामिल किया जा सकता है। इस सुनवाई में शीर्ष अदालत यह भी तय करेगी कि निजता लोगों को मौलिक अधिकार है या नहीं। इसके अलावा सरकार को यह भी बताना होगा कि हम आधार और बिना आधार वाले लोगों में कोई भेदभाव नहीं कर रहे हैं।

सामाजिक लाभ की योजनाओं में आधार कार्ड के स्वैच्छिक उपयोग का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से बुधवार को सुप्रीमकोर्ट ने सवाल किया कि जब एलपीजी और पीडीएस दो योजनाओं में आधार के स्वैच्छिक उपयोग की इजाजत दी जा सकती है तो फिर अन्य में क्यों नहीं। हालांकि आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर आज भी कोर्ट का रुख सख्त ही रहा। कोर्ट ने यहां तक कहा कि अगर कोई आधार कार्ड पेश करने के लिए मजबूर करता है तो वह सुप्रीमकोर्ट की अवमानना का भागी हो सकता है।

सुप्रीमकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आधार की अनिवार्यता और निजता के अधिकार के हनन का मसला विचार के लिए संविधानपीठ को भेजते हुए गत 11 अगस्त को आधार के उपयोग पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सिर्फ एलपीजी सब्सिडी और पीडीएस योजना में ही आधार के स्वैच्छिक उपयोग की इजाजत दी थी। केंद्र सरकार और उसके संगठन जैसे आरबीआइ, सेबी, ट्राई, पेंशन विभाग तथा कुछ राज्यों ने सुप्रीमकोर्ट में अर्जी दाखिल कर अंतरिम आदेश में बदलाव की मांग करते हुए आधार के स्वैच्छिक उपयोग की इजाजत मांगी है। मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ ने बुधवार को अर्जी पर सुनवाई शुरू की।

सुनवाई के दौरान पीठ की ओर से किये गए सवालों और टिप्पणियों का जवाब देते हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि सरकार आधार के सिर्फ स्वैच्छिक उपयोग की इजाजत चाहती है ताकि जिसके पास आधार के अलावा कोई दूसरा पहचान पत्र नहीं है वह न सिर्फ बैंक में अपना खाता खोल सके बल्कि सामाजिक योजनाओं का लाभ भी ले सके। रोहतगी ने सरकार की ओर से कोर्ट को भरोसा दिलाया कि आधार सिर्फ स्वैच्छिक होगा और आधार कार्ड न होने पर किसी को भी किसी लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा।

कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल के बयान को भरोसे लायक मानते हुए याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि जब पीडीएस और एलपीजी सब्सिडी में आधार के स्वैच्छिक उपयोग की इजाजत दी जा सकती है तो फिर बाकी में क्यों नहीं। हालांकि याचिकाकर्ताओं ने आधार के उपयोग का विरोध करते हुए कहा कि आधार योजना के तहत सरकार नागरिकों की बायोमेट्रिक पहचान एकत्र कर रही है जबकि ऐसा करने के लिए न तो कोई सरकारी आदेश है और न ही कोई कानून। नागरिकों के निजता के अधिकार का सरकार हनन नहीं कर सकती। वैसे भी सरकार के पास बायोमेट्रिक पहचान का कार्ड बनाने की तकनीकि नहीं है सरकार ने प्राइवेट कंपनी को इसका ठेका दिया है। एकत्रित डाटा की सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं है।

जबकि उनके पहले केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल ने आधार के स्वैच्छिक उपयोग की इजाजत मांगते हुए कहा कि सरकार इसके जरिये कोई जासूसी नहीं करने जा रही बल्कि सामाजिक लाभ की योजनाएं हर एक गरीब और वंचित वर्ग तक पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि मनरेगा में किये गए काम का पैसा देना हो या फिर विधवा, गरीब अथवा वृद्धावस्था पेंशन देनी हो, बैंक अधिकारी आधार कार्ड में दिए गए नंबर के जरिये घर बैठे व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करके घर पर ही उसे पैसा दे सकता है। ऐसा नहीं होने पर उस व्यक्ति को 500 रुपए पेंशन लेने के लिए घर से दूर स्थित बैंक जाना होगा और अपनी पहचान सुनिश्चित करनी होगी। रोहतगी ने कहा कि आज तकनीक इतनी आगे बढ़ गई है कि गुगल, यू ट्यूब और वाट्सऐप आदि कई जगह आपकी पहचान साझा होती रहती है।

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