ममता के एक वर्ष के शासन की होगी परीक्षा

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा एक वर्ष के शासन काल में किये गये कार्यो की परीक्षा आगामी जून माह में होने जा रही है।

By Edited By: Publish:Wed, 25 Apr 2012 07:49 PM (IST) Updated:Wed, 25 Apr 2012 08:10 PM (IST)
ममता के एक वर्ष के शासन की होगी परीक्षा

कोलकाता [जागरण ब्यूरो]। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा एक वर्ष के शासन काल में किये गये कार्यो की परीक्षा आगामी जून माह में होने जा रही है।

दो तृणमूल विधायकों के निधन के कारण रिक्त हुई पश्चिम मेदिनीपुर के दासपुर व बांकुड़ा जिले के बांकुड़ा सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव 12 जून को होना है। 15 जून को मतगणना होगी। उपचुनाव के लिए मंगलवार शाम को ही विज्ञप्ति जारी हो गई और इसी के साथ दोनों विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गयी। हालांकि 18 मई को अधिसूचना जारी होने के साथ नामांकन शुरू हो जाएगा।

उपचुनाव की तिथि की घोषणा होने से पहले लालगढ़ में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जंगलमहल के लिए कई योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया। हालांकि डेवरा में मुख्यमंत्री खुद शिलान्यास व उद्घाटन नहीं कर सकीं, क्योंकि तब तक उपचुनाव की घोषणा हो चुकी थी। यह उपचुनाव जहां ममता के लिए अहम है, वहीं माकपा के लिए भी प्रतिष्ठा की लड़ाई होगी क्योंकि इसी चुनाव से तय होगा कि ममता का जादू बंगाल की जनता पर बरकरार है अथवा धीरे-धीरे फिर से लोगों का झुकाव माकपा की ओर हो रहा है।

विभिन्न मुद्दों पर एक-दूसरे पर हमला बोलने में जुटी माकपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच उपचुनाव के बाद एक और दिलचस्प चुनावी जंग होगी। यह जंग पांच नगरपालिकाओं पर कब्जे के लिए होगी। माओवाद प्रभावित दो विस सीटें बांकुड़ा सदर तृणमूल विधायक काशीनाथ मिश्रा और पश्चिम मेदिनीपुर के दासपुर से तृणमूल के टिकट पर जीते अजित भुइयां के निधन के कारण रिक्त हुई हैं। मुख्य चुनाव अधिकारी सुनील गुप्ता ने बताया कि 18 मई को अधिसूचना जारी होगी और 12 जून को वोट पड़ेंगे तथा 15 जून को मतगणना होगी। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अपनी हालिया सफलता से उत्साहित तृणमूल दोनों सीटों पर अपनी जीत को लेकर विशेष चिंतित नहीं है लेकिन माकपा सरकार विरोधी कई मुद्दों को उठाकर दोनों सीट अपने नाम करने की कोशिश करेगी। इसके अलावा दुर्गापुर सहित 6 नगरपालिकाओं के लिए जून में ही चुनाव होने हैं, हालांकि इसके लिए अभी विज्ञप्ति जारी नहीं हुई है। दोनों दलों के लिए अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा बचाने के लिए दोनों चुनाव अहम हैं क्योंकि इन्हीं उपचुनाव व नगरपालिका चुनाव से साबित हो जायेगा कि ममता की लोकप्रियता बनी हुई है या फिर माकपा एक बार फिर से खोई जमीन पाने की ओर अग्रसर है।

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