दो दिनों में मायानगरी को 80 करोड़ की चपत

मुंबई के गोरेगांव स्थित फिल्मसिटी स्टूडियो में दर्जन भर से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग प्रभावित हुईं। जानकारों के मुताबिक, मंगलवार को नुकसान कम रहा, लेकिन बुधवार को महाराष्ट्र बंद के आह्वान के चलते शूटिंग पूरी तरह से ठप रहीं।

By Sachin BajpaiEdited By: Publish:Wed, 03 Jan 2018 11:16 PM (IST) Updated:Wed, 03 Jan 2018 11:16 PM (IST)
दो दिनों में मायानगरी को 80 करोड़ की चपत
दो दिनों में मायानगरी को 80 करोड़ की चपत

अनुज अलंकार, मुंबई। मंगलवार और बुधवार को मायानगरी मुंबई में तनाव के माहौल से मनोरंजन की दुनिया भी अछूती नहीं रही और एक अनुमान के तौर पर इन दो दिनों में फिल्मों, टेलीविजन और दूसरी शूटिंग स्थगित होने से इस इंडस्ट्री को लगभग 80 करोड़ का नुकसान हुआ।

मुंबई के गोरेगांव स्थित फिल्मसिटी स्टूडियो में दर्जन भर से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग प्रभावित हुईं। जानकारों के मुताबिक, मंगलवार को नुकसान कम रहा, लेकिन बुधवार को महाराष्ट्र बंद के आह्वान के चलते शूटिंग पूरी तरह से ठप रहीं। फिल्मसिटी में छोटे परदे के लोकप्रिय धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा चश्मा की शूटिंग होती है। दो दिन ठीक से काम न हो पाने की वजह से इस सीरियल का एपीसोड वक्त पर तैयार नहीं हो सका। सीरियल की प्रोडक्शन टीम के मुताबिक, एक दिन शूटिंग न होने से लाखों का घाटा होता है। इसी स्टूडियो में तीन फ्लोर पर विज्ञापन फिल्मों की शूटिंग होनी थी, जिनको रद करना पड़ा।

विज्ञापन फिल्मों को इन दो दिनों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। एड मेकर शांतनु मौर्या का मानना है कि मुंबई में ही शूटिंग न हो पाने से एक दर्जन से ज्यादा विज्ञापन फिल्मों की शूटिंग रद हो गई। मौर्या की यूनिट को शूटिंग के लिए बेंगलुरु पहुंचना था, लेकिन बुधवार को उनकी यात्रा रद करानी पड़ी और एक दिन की शूटिंग न होने की वजह से उनकी एड फिल्म का बजट लड़खड़ा गया।

अंधेरी के एक रिकार्डिंग सेंटर में पांच गानों की रिकार्डिंग रद हुई, जबकि अंधेरी इलाके में छोटे बड़े 40 से ज्यादा रिकार्डिग सेंटर हैं। रिकार्डिग के अलावा एडीटिंग और डबिंग के स्टूडियो भी दो दिन सूने रहे। नई फिल्मों के प्रमोशन के चार समारोह, जो बुधवार को होने थे, उनको भी रद कर दिया गया।

फिल्म इंडस्ट्री के विश्लेषक अरविंद काल्पे के अनुसार, ऐसी स्थिति में किसी के लिए भी हाथ पर हाथ रखकर बैठने के अलावा कोई और रास्ता नहीं होता। इस तरह के बंद और हिंसा से इंडस्ट्री को होने वाले नुकसान की कोई भरपाई भी नहीं करता। काल्पे का कहना है कि सबसे ज्यादा नुकसान फिल्मों की शूटिंग से जुड़े उन तकनीशियनों को होता है, जो रोजाना मिलने वाले भत्ते पर काम करते हैं। शूटिंग न हो पाने से उनको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।

गोरेगांव के एक सिंगल रूम में तीन बच्चों के साथ रहने वाले शकील सिद्दीकी पिछले तीन सालों से स्पॉट ब्वाय के तौर पर काम करते हैं और रोज 800 रुपये तक कमा लेते हैं। वे बताते हैं कि मंगलवार को उनको दोपहर बाद शूटिंग पर जाना था, लेकिन इसे रद कर दिया गया और बुधवार को भी घर पर ही बैठना पड़ा।

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