भारत में प्रदूषण से साल भर में ही मरे 25 लाख लोग

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली व इकहान स्कूल ऑफ मेडिसिन, अमेरिका के शोधकर्ताओं के अनुसार प्रदूषण से हुई 92 प्रतिशत मौतें निम्न व मध्य आय वाले देशों में हुई।

By Manish NegiEdited By: Publish:Fri, 20 Oct 2017 05:34 PM (IST) Updated:Fri, 20 Oct 2017 05:41 PM (IST)
भारत में प्रदूषण से साल भर में ही मरे 25 लाख लोग
भारत में प्रदूषण से साल भर में ही मरे 25 लाख लोग

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत के लिए प्रदूषण मौत का दूत साबित हो रहा है। 2015 के ही आंकड़े को लें। एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में साल भर में ही अलग-अलग प्रकार के प्रदूषण से 25 लाख लोग मौत के मुंह में समा गए। इनमें सबसे ज्यादा लोग वायु प्रदूषण के शिकार हुए। पूरी दुनिया में इससे मरने वालों की संख्या 65 लाख रही। वहीं जल प्रदूषण से 18 लाख लोग जान गंवा बैठे। यहां तक वर्कप्लेस पॉल्यूशन(कार्यस्थल पर प्रदूषण) से भी आठ लाख लोग मरे। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली व इकहान स्कूल ऑफ मेडिसिन, अमेरिका के शोधकर्ताओं के अनुसार प्रदूषण से हुई 92 प्रतिशत मौतें निम्न व मध्य आय वाले देशों में हुई। यह शोध लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित हुई है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदूषण से लोग हृदय, मष्तिष्क, फेफड़े व सांस संबंधी बीमारियों के शिकार हुए। असामयिक मौतों के लिए पानी से लेकर मिट्टी तक का प्रदूषण जिम्मेदार रहा। कार्यस्थल पर प्रदूषण भी जानलेवा हो रहा है। कोयला खदानों में काम करने वालों को सांस की गंभीर बीमारियां तो एस्बेस्टस निर्माण में लगे कामगारों को फेफड़े का कैंसर जकड़ रहा है।

दुनिया भर में 90 लाख लोग मरे

दुनिया भर की स्थिति पर नजर दौड़ाएं तो 2015 में प्रदूषण से 90 लाख लोग मरे। यह विश्व में हुई कुल मौतों का 16 फीसद यानी छह में एक है। प्रदूषण से दम तोड़ने वालों की संख्या एड्स, टीबी व मलेरिया से मरने वालों से तीन गुना ज्यादा रही। वहीं सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों से छह गुना व धूम्रपान से मरने वालों से डेढ़ गुना अधिक रही। भारत के बाद प्रदूषण से सबसे ज्यादा 18 लाख मौतें चीन में हुई। औद्योगिक क्षेत्र में विकास कर रहे भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, मेडागास्कर व केन्या जैसे देशों में तो चार में एक मौत का कारण प्रदूषण ही रहा।

प्रदूषण रोकने पर नहीं दिया गया अपेक्षित ध्यान

इकहान स्कूल ऑफ मेडिसिन में शिक्षक व शोध में शामिल रहे प्रो. फिलिप लैंड्रिगान ने कहा कि प्रदूषण पर कई अध्ययन किए गए हैं। इसके बावजूद प्रदूषण रोकने की दिशा में देशों ने अपेक्षित ध्यान नहीं दिया है।

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