अन्नाद्रमुक के 18 बागी विधायक अयोग्य करार

दरअसल, 28 अगस्त को पलानीस्वामी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में दिनाकरन को पार्टी के उपमहासचिव पद से हटा दिया गया था।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Mon, 18 Sep 2017 06:40 PM (IST) Updated:Mon, 18 Sep 2017 06:40 PM (IST)
अन्नाद्रमुक के 18 बागी विधायक अयोग्य करार
अन्नाद्रमुक के 18 बागी विधायक अयोग्य करार

चेन्नई, प्रेट्र/आइएएनएस : अन्नाद्रमुक के 18 बागी विधायकों को तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी. धनपाल ने सोमवार को अयोग्य करार दिया। टीटीवी दिनाकरन का कहना है कि उनके समर्थक विधायक इस फैसले के खिलाफ अदालत जाएंगे। जबकि अयोग्य ठहराए गए बागी विधायकों ने इस निर्णय को 'लोकतंत्र की हत्या' करार दिया है।

विधानसभा सचिव के. भूपथी ने बयान जारी कर बताया कि मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी के खिलाफ बगावत करने वाले 18 विधायकों पर दल-बदल विरोधी और अयोग्यता नियम-1986 के तहत कार्रवाई की गई है। माननीय अध्यक्ष के इन विधायकों को अयोग्य ठहराने के साथ ही 18 सितंबर, 2017 से उनकी सदस्यता खत्म हो गई है।

इस फैसले की वजह से तमिलनाडु विधानसभा में प्रभावी सदस्य संख्या 234 से घटकर 215 रह गई है क्योंकि जयललिता के निधन की वजह से एक सीट पहले से खाली है। इससे पहले अन्नाद्रमुक के कुल 134 विधायक थे। जबकि द्रमुक के 89, कांग्रेस के 8 और आइयूएमएल का एक विधायक है।

फैसले के बाद दिनाकरन समर्थक एक विधायक पी. वेत्रीवेल ने कहा कि अब यह अदालत ही तय करेगी कि अयोग्य ठहराने का फैसला वैध है अथवा नहीं। उन्होंने कहा, 'हमारे मुताबिक यह फैसला गलत है।'

उन्होंने दावा किया कि यह कदम इसलिए उठाया गया है कि ताकि संभावित विश्वास मत प्रस्ताव पर पलानीस्वामी की जीत सुनिश्चित की जा सके क्योंकि विधानसभा में उनके पास जरूरी 117 विधायकों का समर्थन नहीं था।

दरअसल, 28 अगस्त को पलानीस्वामी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में दिनाकरन को पार्टी के उपमहासचिव पद से हटा दिया गया था। लेकिन, 19 पार्टी विधायक दिनाकरन का समर्थन कर रहे थे। लिहाजा, मुख्य सरकारी सचेतक एस. राजेंद्रन ने विधानसभा अध्यक्ष से पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते इन विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया था।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों को नोटिस जारी किए थे। इस बीच एक बागी विधायक एसटीके जक्कीयन पलानीस्वामी खेमे में लौट आए थे। खास बात यह है कि बागी 18 विधायकों ने न ही पार्टी की सदस्यता छोड़ी और न ही किसी अन्य दल में शामिल हुए। यही वे आधार हैं जिन पर विधायकों को अयोग्य ठहराया जा सकता है। 

द्रमुक की मांग, इस्तीफा दें मुख्यमंत्री

तमिलनाडु में प्रमुख विपक्षी दल द्रमुक ने 18 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष धनपाल पद पर रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं।

इसी तरह मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी को भी स्वेच्छा से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वह विश्वास मत के लिए कथित तौर पर विधायकों की खरीद-फरोख्त और उन्हें अवैध रूप से अयोग्य ठहराने में लिप्त हैं।

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