Stay Home Stay Empowered: जानें डिजिटल कॉलेज, एप और यूनिवर्सिटी की ए टू जेड जानकारी

Stay Home Stay Empowered लॉकडाउन की स्थित एकाएक आ गई लेकिन शुक्र है कि हमारे पास डिजिटल कंटेंट की कमी नहीं हैं। उच्च शिक्षा के लिए स्वयं ( SWAYAM) बेहद शानदार पहल है।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Sat, 11 Apr 2020 09:21 AM (IST) Updated:Sat, 11 Apr 2020 09:28 AM (IST)
Stay Home Stay Empowered: जानें डिजिटल कॉलेज, एप और यूनिवर्सिटी की ए टू जेड जानकारी
Stay Home Stay Empowered: जानें डिजिटल कॉलेज, एप और यूनिवर्सिटी की ए टू जेड जानकारी

नई दिल्ली, विनीत शरण। कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन है। देश के लगभग सभी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी बंद हैं। इससे करोड़ों छात्रों के समक्ष अनिश्चितताएं छा गई हैं।  प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की कोचिंग भी बंद हैं। ऐसे में सभी स्टूडेंट्स पढ़ाई के वैकल्पिक उपायों पर गंभीरता से विचार करने लगे हैं। छात्रों की इन्हीं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हम विशेषज्ञों के जरिए उन्हें यह बताने जा रहे हैं कि फिजिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी की जगह अब उनके पास और क्या विकल्प हैं? अब वे किन ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर जाकर अपने लिए डिजिटल कंटेंट हासिल कर सकते हैं? किन सरकारी वेबसाइट्स और निजी प्लेटफार्म्स पर अच्छे डिजिटल कंटेंट उपलब्ध हैं?

डिजिटल कंटेंट के लिए पहले से तैयार है एमएचआरडी

नेशनल रिसोर्स सेंटर ऑफ केमेस्ट्री (एमएचआरडी) की क्वार्डिनेटर डॉ विमल रार बताती हैं कि लॉकडाउन की स्थित एकाएक आ गई, लेकिन शुक्र है कि हमारे पास डिजिटल कंटेंट की कमी नहीं हैं। उच्च शिक्षा के लिए स्वयं ( SWAYAM) बेहद शानदार पहल है। स्वयं प्रभा प्रोग्राम के वीडियो को टीवी चैनलों पर प्रसारित किया जा रहा है। इसके अलावा, एनसीईआरटी की दीक्षा, ई-पाठशाला और वर्चुअल लैब हैं। वहीं, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने माना है कि लॉकडाउन में नेशनल ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफार्म की पहुंच तीन गुना बढ़ गई है।

पढ़ाई के लिए ये हैं बेस्ट एजुकेशनल प्लेटफार्म्स-

1. स्वयं (https://swayam.gov.in" rel="nofollow/-कक्षा नौ से पोस्ट ग्रेजुएट तक के छात्रों के लिए।

2. शोधगंगा (https://shodhganga.inflibnet.ac.in/" rel="nofollow)- रिसर्च स्टूडेंट या पीएचडी के लिए।

3. शोधसिंधु (https://ess.inflibnet.ac.in/" rel="nofollow)- हायर एजुकेशन।

4. दीक्षा  (diksha.gov.in)- शिक्षकों के लिए है यह प्लेटफार्म।

5. स्वयंप्रभा (https://www.swayamprabha.gov.in" rel="nofollow/)- यह 32 डीटीएच चैनल्स का ग्रुप है, जहां विज्ञान, कला, कॉमर्स, परफॉर्मिंग आर्ट्स, सोशल साइंस, ह्यूमैनिटीज सब्जेक्ट्स, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चर, लॉ और मेडिसिन के कंटेंट हैं।

7. वर्चुअल लैब (http://www.vlab.co.in/" rel="nofollow)- साइंस और इंजीनियरिंग।

8. ई-पाठशाला : (epathshala.gov.in)- एनसीईआरटी की किताबों को मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है।

9. नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया (https://ndl.iitkgp.ac.in/" rel="nofollow)-प्राइमरी से लेकर पोस्ट-ग्रेजुएशन लेवल तक की टेक्नोलॉजी, विज्ञान, एग्रीकल्चर, ह्यूमैनिटीज, सामाजिक विज्ञान, नेचुरल साइंस, हिस्ट्री, लैंग्वेज आदि की एजुकेशनल किताबें उपलब्ध हैं।

10-सीईसी (http://cec.nic.in/cec/mediacentres" rel="nofollow)-87 अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के साथ 24110 ई-कंटेंट मॉड्यूल उपलब्ध हैं।

इग्नू ज्ञानवाणी रेडियो, वेबसाइट और टोलफ्री नंबर से करा रहा है पढ़ाई-

लॉकडाउन में छात्रों की पढ़ाई जारी रखने के लिए इग्नू एफएम रेडियो 105.6 मेगाहर्ट्ज पर शिक्षा पहुंचा रहा है। इसके अलावा, फ़ोन के माध्यम से भी विद्यार्थी अपने सवाल, टोल फ्री नंबर 1800112347, 01129533103, 29533581 पर पूछ सकते हैं। वहीं, वेबसाइट (http://www.ignouonline.ac.in/gyandhara" rel="nofollow) पर ज्ञानवाणी के कार्यक्रमों को भी आप सुन सकते हैं और चैट के माध्यम से अपने सवाल भी पूछ सकते हैं।

डिजिटल कंटेंट पर फोकस और और शिक्षकों को ट्रेनिंग

डॉ विमल के मुताबिक, एमएचआरडी बेहतरीन डिजिटल कटेंट तैयार करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। उच्च शिक्षा में धीरे-धीरे शिक्षकों के लिए डिजिटल ट्रेनिंग अनिवार्य की जा रही है। कई जगहों पर टीचर के प्रमोशन के लिए भी डिजिटल एजुकेशन का ऑनलाइन कोर्स (https://swayam.gov.in" rel="nofollow/explorer?category=ARPIT) भी अनिवार्य किया जा रहा है।

डॉ विमल के मुताबिक, ट्रेनिंग के दौरान शिक्षकों को प्रेरित किया जाता है, क्योंकि डिजिटल टीचर बनने के लिए सबसे जरूरी है मोटिवेशन। फिर शिक्षकों को बताया जाता है कि डिजिटल कंटेंट को क्लास में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। हम उन्हें फ्लिप्ड क्लास रूम ( flipped classroom) जैसी तकनीक के बारे में बताते हैं कि कैसे वे अपने छात्रों के पास लेक्चर से पहले ही डिजिटल मैटेरियल भेजकर उन्हें लेक्चर के लिए तैयार कर सकते हैं। छात्रों को माइंड मैपिंग तकनीक (Mind Mapping) तकनीक का इस्तेमाल करना सिखा सकते हैं।

MOOC पर करना होगा फोकस

पीडीएम यूनिवर्सिटी के वीसी और ई लर्निंग विशेषज्ञ डॉ ए के बख्शी ने बताया कि देश में 12 साल पहले से ई-लर्निंग के लिए कंटेंट बन रहा है। ई-लर्निंग को बढ़ावा देने के दो कारण थे- पहला, देश में उच्च शिक्षा में पंजीकरण सिर्फ 28 फीसदी है और पढ़ाई के स्तर में भी सुधार की काफी जरूरत है। शिक्षा में इनोवेशन काफी कम है। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि क्यों सन 130 (सी वी रमन को फिजिक्स का नोबेल मिला) के बाद भी किसी भारतीय को विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार नहीं मिला?  यानी उच्च शिक्षा की पहुंच ज्यादातर युवाओं तक पहुंचाने के लिए ई-लर्निंग की काफी जरूरत है। पर साथ ही ई-लर्निंग के कंटेंट की क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। अगर कंटेंट खराब होगा तो छात्र समझने की जगह कंप्यूज हो जाएगा।

डॉ ए के बख्शी ने कहा कि कंटेंट में सुधार के लिए 2013-14 से MOOCs (मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज) पर जोर देना शुरू किया गया। मूक्स में किसी कोर्स के सेमेस्टर और पेपर के हिसाब से कंटेंट बनता है। मतलब किसी 2 साल के कोर्स के चार सेमेस्टर में कुल 16 पेपर हैं तो 16 मूक्स तैयार होंगे। देश में उच्च शिक्षा के करीब 50 फीसदी कोर्स के मूक्स तैयार हो चुके हैं और बाकी पर काम किया जा रहा है।

बनानी होगी वर्चुअल यूनिवर्सिटी

ई-लर्निंग विशेषज्ञ डॉ ए के बख्शी के मुताबिक, लॉकडाउन ने ई लर्निंग को बढ़ावा देने की एक सीख दी है। अब देश को वर्चुअल यूनिवर्सिटी बनानी चाहिए। इस यूनिवर्सिटी में सामान्य यूनिवर्सिटी की तरह हर कोर्स और उसमें हर तरह की फैकल्टी हो। इससे देश में उच्च शिक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जा सकता है।

 

निजी ई-लर्निंग प्लेटफार्म्स क्या कर रहे-

1. कई ऑनलाइन लर्निग एप ने फ्री कर दिया है कंटेंट

एजुकेशन एप नोटबुक (https://www.notebook.school" rel="nofollow/) ने भी अपना कंटेंट 31 मई तक के लिए फ्री कर दिया है। इस फ्री कंटेंट के लिए नोटबुक की वेबसाइट पर जाकर यूजरनेम और पासवर्ड (Username: NOCORONA,Password: 1234)की एंट्री करनी होगी। नोटबुक के सीईओ और को-फाउंडर अचिन भट्टाचार्य ने बताया कि उनके एप पर सीबीएसई, आईसीएसई, यूपी बोर्ड और पश्चिम बंगाल बोर्ड के 1 से 12 वीं क्लास तक का एजुकेशन कंटेंट है।

एजुकेशन तकनीक से जुड़ी कंपनी बायजू ने हाल में घोषणा की कि उसने स्कूल स्टूडेंट के लिए अप्रैल तक लर्निंग प्रोग्राम फ्री कर दी है। इसके बाद साइट के यूजर में 60 फीसदी का इजाफा आया है। इसके बाद टॉपर, ग्रेडअप और अन-एकेडमी ने भी ऐसे ही पैकेज ऑफर किए हैं। एक्सट्रामार्क्स डॉट कॉम ने ‘गो टू स्कूल इनिशिएटिव’ शुरू की है। अनअकेडमी ने 20,000 मुफ्त लाइव क्लासेस का ऐलान किया है। यूपीएससी, बैंकिंग, रेलवे जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स इन क्लासेस का लाभ ले सकते हैं। आईआईटी-जेईई और नीट जैसी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स एमबाइब, वेदांतू और एक्सट्रामार्क्स जैसी वेबसाइट की मदद ले सकते हैं।

2. एजुकेशन एप के यूजर्स बढ़े

करेंट अफेयर एप KNAPPILY के सीईओ यशस्वी कुमार ने बताया कि उनका एप सिविल सर्विसेज और बैंकिंग एग्जाम के लिए है। एक महीने में यूजर डबल हो गए हैं। उनका कंटेंट ज्यादा कंज्यूम भी हो रहा है। यशस्वी कुमार बताते हैं कि लॉकडाउन का यह वक्त ऑनलाइन एजुकेशन प्रदान करने वालों के लिए खुद को साबित करने का अच्छा मौका है। इस वक्त ज्यादा लोग ऑनलाइन एजुकेशन कटेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे लोगों में अच्छे और खराब ऑनलाइन एजुकेशन कंटेंट को लेकर समझ बढ़ेगी। इससे लॉकडाउन खत्म होने के बाद वे चुन पाएंगे कि कौन सा कंटेंट अच्छा है। इसलिए कंटेंट की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए ऑनलाइन में अच्छे टीजर को आगे आना होगा। 

डिजिटल एजुकेशन ये हैं चुनौतियां और फायदे-

1. ऑनलाइन एजुकेशन की तस्वीर बदलेगी और रोजगार बढ़ेंगे-कोरोना वायरस का यह समय एजुकेशन तकनीक के लिए बदलाव का वक्त हो सकता है। तेजी से बढ़ती मांग के चलते इस सेक्टर में काफी रोजगार के अवसर आएंगे।

2. सस्ती हो जाएगी शिक्षा और दूसरे देशों में भी नहीं जाना पड़ेगा- अगर ऑनलाइन एजुकेशन एक मानक बनेगा तो इससे कई और फायदे होंगे, क्योंकि ऑनलाइन एजुकेशन काफी सस्ती है। अगर दुनिया की ज्यादातर बड़ी यूनिवर्सिटी ऑनलाइन शिक्षा देने लगें तो  छात्रों को पढ़ने के लिए दूसरे देशों में नहीं जाना पड़ेगा। छात्रों को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा उनके गृह देश में ही मिलेगी।

3. सामाजिक अनुभव कम मिलेगा- दूसरे देशों में शिक्षा के लिए जाने पर सामाजिक अनुभव भी खूब मिलता है। ऑनलाइन कोर्स की मान्यता और गुणवत्ता नियंत्रण की भी समस्या है। क्रॉस इंस्टीट्यूट क्रेडिट सिस्टम पारंपरिक शिक्षा प्रणालियों के लिए भी चुनौती है और ऑनलाइन एजुकेशन का लचीलापन इसे और भी खराब बना सकता है। कई यूनिवर्सिटी को शक होता है कि क्या उनके ऑनलाइन कोर्स परंपरागत कोर्स जितने लोकप्रिय होंगे।

4. व्यावहारिक चुनौतियां- ऑनलाइन पढ़ाई में कई व्यावहारिक चुनौतियां भी हैं। जैसे, इंटरनेट की समस्या, बैकग्राउंड की आवाज और फोकस होने में मुश्किल। ये चीजें छात्र और शिक्षक दोनों पर प्रभाव डालती हैं।

5. ग्रामीण भारत को भी साथ लेकर चलना होगा- कुछ लोगों का मानना है कि ऑनलाइन एजुकेशन केवल विकसित देशों में ज्यादा सफल हो सकता है। हमारे देश में जहां मिड डे मील स्कूली बच्चों के आकर्षण की एक बड़ी वजह है, वहां कई हिस्सों में ऑनलाइन एजुकेशन फिलहाल असंभव है। ऑनलाइन क्लास के लिए स्थिर बिजली और भरोसेमंद इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत है। ऐसे में अगर ऑनलाइन एजुकेशन एकाएक बढ़ता है तो कम आय वाले घरों, पिछड़े जिलों और गरीब देशों में लर्निंग गैप बढ़ जाएगा।

ये चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन ये अजेय नहीं हैं। ऑनलाइन एजुकेशन अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र है। एजुकेशन सेक्टर का झुकाव को रिमोट लर्निंग की ओर बढ़ाना होगा और इसे बेहतर बनाने के हर संभव प्रयास करने होंगे।

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