Engineer’s Day 2020: जानिए उस महान शख्स के बारे में, जिनकी याद में आज मनाया जाता है इंजीनियर्स डे

Engineer’s Day 2020 देश भर में तमाम ऐसे इंजीनियर्स ने जिन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा न केवल देश बल्कि दुनिया में भी मनवाया है।

By Nandini DubeyEdited By: Publish:Tue, 15 Sep 2020 12:01 PM (IST) Updated:Tue, 15 Sep 2020 12:18 PM (IST)
Engineer’s Day 2020: जानिए उस महान शख्स के बारे में, जिनकी याद में आज मनाया जाता है इंजीनियर्स डे
Engineer’s Day 2020: जानिए उस महान शख्स के बारे में, जिनकी याद में आज मनाया जाता है इंजीनियर्स डे

Engineer’s Day 2020: देश भर में तमाम ऐसे इंजीनियर्स ने जिन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा न केवल देश बल्कि दुनिया में भी मनवाया है। अपनी काबिलियत से देश और दुनिया में नाम कमाने वाले ऐसे ही इंजीनियर्स के लिए आज का दिन बड़ा अहम है। दरअसल आज यानी कि 15 सितंबर को ‘इंजीनियर्स डे’ मनााया जाता है। भारत रत्न सर डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस के रूप में इसे भारत में मनाया जाता है। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर में 15 सितम्बर 1861 को हुआ था। विश्वेश्वरैया भारतीय सिविल इंजीनियर, विद्वान थे।इसके अलावा साल1955 में उन्हें सर्वोच्च भारतीय सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

सर डॉ. विश्वेश्वरैया ने अपने डिजाइन और निर्माण के साथ राष्ट्र-निर्माण में बहुत योगदान दिया था। वह मांड्या में कृष्णा राजा सागर बांध के निर्माण में चीफ आर्किटेक्ट थे। यह वही बांध है, जिसने खेती के लिए आसपास के बंजर भूमि को उपजाऊ मैदान में बदलने में मदद की। इसके अलावा उन्होंने भद्रावती आयरन एंड स्टील व‌र्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी, बैंक ऑफ मैसूर का निर्माण हो पाया। इसके अलावा अन्य कई अन्य अहम परियोजनाओं का निमार्ण शुरू कराया था। आइए जानते हैं उनके योगदान के बारे में।

- मांड्या में कृष्णा राजा सागर बांध को डिजाइन करने के अलावा एम विश्वेश्वरैया ने तिरुमाला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण की योजना तैयार की थी।

वह एक ऐसे इंजीनियर थे, जिन्होंने आजादी से पहले 1934 में भारतीय अर्थव्यवस्था की योजना बनाई थी।

यह एम विश्वेश्वरय्या के प्रयासों का ही परिणाम था कि मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना हो पाई थी।

- एम विश्वेश्वरय्या ने साल 1895 में सुक्कुर की नगर पालिका के लिए जलकुंडों का डिजाइन और निर्माण भी किया था। इसके अलावा उन्होंने ब्लॉक प्रणाली के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह ब्लॉक प्रणाली वह थी, जो बांधों में पानी के खराब प्रवाह को रोकती थी।

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