साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा, टाटा ग्रुप और टाटा ट्रस्ट के खिलाफ कैविएट दायर किया

मंगलवार को टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल में कैविएट फाइल किया है। यह कैविएट रतन टाटा, टाटा ग्रुप और टाटा ट्रस्ट के खिलाफ फाइल किया गया है।

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Tue, 25 Oct 2016 04:41 PM (IST) Updated:Wed, 11 Jan 2017 03:42 PM (IST)
साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा, टाटा ग्रुप और टाटा ट्रस्ट के खिलाफ कैविएट दायर किया

नई दिल्ली: मंगलवार को टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल में कैविएट फाइल किया है। यह कैविएट रतन टाटा, टाटा ग्रुप और टाटा ट्रंप के खिलाफ फाइल किया गया है। कैविएट फाइल हो जाने के बाद अब कोर्ट कोई भी फैसला बिना दोनों पक्षों को सुने नहीं लेगा। इससे पहले रतन टाटा, टाटा संस, टाटा ट्रस्ट तीनों ने साइरस मिस्त्री के खिलाफ चार केविएट दायर किये थे।

क्या होता है कैविएट फाइल करने का मतलब – एक्सपर्ट से समझें

कॉपरेट मामलों के जानकार एडवोकेट नवीन सिंह ने बताया कि न्यायालय में कैविएट फाइल करने का अर्थ यह होता है कि कोर्ट बिना पक्ष सुने उस व्यक्ति के खिलाफ कोई भी फैसला नही लेगा। न्यायालय की प्रक्रिया के मुताबिक कोई प्रतिवादी कुछ तारीखों पर उपस्थित नहीं होता है तो ऐसी स्थिती में कोर्ट मुकदमे को एक्सपार्टी कर प्रतिवादी के खिलाफ फैसला दे सकता है। कैविएट फाइल हो जाने के बाद यह निश्चित किया जाता है कि जिन लोगों के खिलाफ कैविएट दाखिल किया गया है, यदि वे भविष्य में कोई मुकदमा दायर करते हैं तो कोर्ट कैविएट दायर करने वाले का पक्ष सुने बिना किसी फैसले पर नहीं पहुंचेगा। नवीन ने यह भी बताया कि कैविएट 90 दिनों तक वैध रहता है।

गौरतलब है कि सोमवार को हुई टाटा संस की बोर्ड बैठक में साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि शपूरजी ग्रुप इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जा सकता है। लेकिन आज दोपहर शपूरजी ग्रुप की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि वे बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में नहीं जाएंगे।

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