मैं और मेरा पिता की परछाई

पापा जैसा कोई नहीं सोनारिका भदौरिया, टीवी आर्टिस्ट बेटियों के लिए तो पापा ही होते हैं उसके हीरो। वह अपने पार्टनर में भी उनकी ही छवि तलाशती है। जहां तक उनकी और मेरी समानता की बात है तो सब कुछ मिलता है पापा से। उनका गुस्सा, प्यार जताने का अंदाज, उनके खाने का तरीका, पसंद-नापसंद सब कुछ। बस एक ही अंतर पाती हूं। वे इंजीनि

By Edited By: Publish:Sat, 15 Jun 2013 05:28 PM (IST) Updated:Sat, 15 Jun 2013 05:28 PM (IST)
मैं और मेरा पिता की परछाई

पापा जैसा कोई नहीं

[सोनारिका भदौरिया, टीवी आर्टिस्ट]

बेटियों के लिए तो पापा ही होते हैं उसके हीरो। वह अपने पार्टनर में भी उनकी ही छवि तलाशती है। जहां तक उनकी और मेरी समानता की बात है तो सब कुछ मिलता है पापा से। उनका गुस्सा, प्यार जताने का अंदाज, उनके खाने का तरीका, पसंद-नापसंद सब कुछ। बस एक ही अंतर पाती हूं। वे इंजीनियर हैं और मैं आर्टिस्ट। लोग कभी-कभी यहां तक कह देते हैं कि मैं उनकी ब्लूप्रिंट हूं।

पापा से पाई विल-पॉवर

[हेमा सरदेसाई, प्लेबैक सिंगर]

मेरे डैडी मेरे आइडियल थे। उनमें गजब इच्छाशक्ति थी। उनके जैसा दृढ़ इंसान मैंने आज तक नहीं देखा। भगवान भी आ जाए तो भी मजाल है कि पापा इधर-से-उधर हो जाते! आज वो इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन पापा की ये बात मुझमें भी है। पापा की तरह ही मेरी इच्छाशक्ति काफी मजबूत है।

संगीत से मेरा जुड़ाव पापा की वजह से है। उन्होंने मुझे सिखाया था कि जब नाम और शोहरत मिल जाए, तो भी व्यक्ति को विनम्र होना चाहिए। इस बात की मैंने गांठ बांध ली है। वे सादगी पसंद थे और मैं भी ऐसी ही हूं। उनसे ही मैंने बड़ों की इच्जत करना, उनकी सेवा करना सीखा। अध्यात्म के प्रति जो लगाव मुझमें है वह भी मैंने पापा से ही सीखा है।

पापा की फोटोकॉपी हूं

[नुपुर कुंडू, पेंटर]

मैं एक अलग व्यक्तित्व हूं। बिल्कुल अलग ग्रोइंग हुई है हमारी, लेकिन जिनके संरक्षण में बड़ी हुई, उनके जैसा ही बन गई। मैंने बचपन से महसूस किया है कि मैं मां से ज्यादा पापा के करीब हूं। उनकी तकरीबन हर आदत खुद में पाती हूं। वे जो चीज पसंद करते थे, वही मुझे भी पसंद हैं। खाने-पीने की आदतों से लेकर हॉबी तक सब खुद में पाती हूं।

पेंटिंग की प्रेरणा मुझे पापा से ही मिली है। उन्हें डांस में रुचि थी। मुझे पेंटिंग से जब थोड़ी फुर्सत मिलती है तो मैं भी डांस कर लेती हूं। सच कहूं तो उनकी हर बात मेरे अंदर है। फोटोकॉपी हूं पापा की।

वो हर पल जिंदा हैं मुझमें

[अंगद हसीजा, टीवी आर्टिस्ट]

मेरी मां के साथ उनका बहुत प्यारा रिश्ता था। बहुत सम्मान देते थे वे एक-दूसरे को। कभी किसी से भी तू-तड़ाक करके बात नहीं की उन्होंने। अच्छा खाना, फैमिली को तरजीह देना और बिल्कुल टिपिकल पंजाबी वाली सारी बातें थीं उनमें। आज जब बड़ा हो गया हूं तो खुद में पापा की वे बातें बहुत करीब से महसूस करता हूं। लोग भी अक्सर कह देते हैं कि मैं अपने पापा पर गया हूं। बहुत अच्छा लगता है यह सुनकर।

हमेशा डैडी का साथ

[रविंदर कुहार, मॉडल]

मैं हरियाणा के ठेठ पारंपरिक परिवार से आता हूं। मेरे पापा काफी कड़क और अनुशासन प्रिय व्यक्ति हैं। जब छोटा था तो उनसे खूब डरता था। वो इस गली तो मैं उस गली.. पर आज स्थितियां इसके बिल्कुल उलट हैं। उनके बिना मेरा कोई काम नहीं होता। उनकी तरह ही मैं फोकस्ड हूं। अनुशासन में रहना और जिंदगी को उसके वास्तविक रूप में स्वीकार करने

का गुण मेरे अंदर उनसे ही आया है।

दही-चावल दिलाते हैं पापा की याद

[अदा शर्मा, अभिनेत्री]

वो विचारों की स्वतंत्रता के पक्के हिमायती हैं। मैं पढ़ाई नहीं करना चाहती थी। मुझे डांस और एक्टिंग में रुचि थी। पापा ने तुरंत हामी भर दी। दरअसल, पापा हमेशा से मेरा सपोर्ट करते आए हैं। मेरे हर फैसले का सम्मान करते हैं। उन्हें देखते-देखते उनकी कई बातें मेरे अंदर भी आ गई हैं। मैं भी यही मानती हूं कि दूसरों की देखा-देखी करने के बजाय हमें अपनी पहचान अपने दम पर बनानी चाहिए। हमारी सोच मिलती है और खानपान भी। मैं दही-चावल के बिना नहीं रह सकती। पापा का भी फेवरेट है दही-चावल।

उनकी सोच, मेरी सोच

[आलिया भट्ट, अभिनेत्री]

पापा की हर बात मुझे प्रेरित करती है। आज इस बात का अहसास होता है कि बहुत कुछ उनकी तरह हूं मैं। अक्सर ऐसा होता है कि बगैर बताये ही वे मेरे फैसले जान लेते हैं और मैं उनके दिल की बात सुन लेती हूं। इससे यह साफ हो जाता है कि हम दोनों एक जैसा ही सोचते हैं। बहुत सारे गुण उनसे ही मुझमें आए हैं। उन्होंने बहुत कुछ सिखाया-बताया, लेकिन उनकी एक बात मेरे जेहन में हमेशा के लिए बैठ गई है कि वही करो, जो तुम्हें सही लगे।

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