Maharashtra Politics: शिवसेना ने कांग्रेस पर कसा तंज, पुरानी खटिया क्‍यों शोर मचा रही है

Maharashtra Politics शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्‍यम से कांग्रेस के मंत्रियों बालासाहेब थोराट और अशोक चव्हाण के हालिया बयानों पर कसा तंज।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Tue, 16 Jun 2020 09:51 AM (IST) Updated:Tue, 16 Jun 2020 09:51 AM (IST)
Maharashtra Politics: शिवसेना ने कांग्रेस पर कसा तंज, पुरानी खटिया क्‍यों शोर मचा रही है
Maharashtra Politics: शिवसेना ने कांग्रेस पर कसा तंज, पुरानी खटिया क्‍यों शोर मचा रही है

मुंबई, एएनआइ। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में अनबन की खबरें अब तेज हो गयी हैं। इस बीच सत्ताधारी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्‍यम से गठबंधन की साझीदार कांग्रेस पर तंज कसते हुए, कांग्रेस के मंत्रियों बालासाहेब थोराट और अशोक चव्हाण के हालिया बयानों को लेकर पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा है कि पुरानी खाट क्‍यों शोर मचा रही है?   

शिवसेना ने उद्धव ठाकरे सरकार के छह माह के कार्यकाल के पूरे होने पर कहा कि कुछ लोगों को लगता था कि गठबंधन की यह सरकार एक माह भी नहीं चल पाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आगे भी ऐसी कोई संभावना नहीं है। पार्टी ने कहा कि कांग्रेस भी अच्छा कार्य कर रही है, लेकिन समय-समय पर पुरानी खटिया रह-रह आवाज करती है। इस खटिया की भी अपनी एक ऐतिहासिक विरासत है। 

गौरतलब है कि एक अंग्रेजी दैनिक में दिए साक्षात्‍कार में अशोक चव्हाण ने कहा था कि सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन सरकार में हमारी भी बात सुनी जाए। प्रशासन के अधिकारी नौकरशाही विवाद पैदा कर रहे हैं। हम मुख्यमंत्री से ही बात करेंगे!' इसके बाद ये तय हुआ कि दोनों मंत्री महोदय मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहने वाले हैं। शिवसेना ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि हालांकि उन्‍हें यह भी ध्‍यान रखना चाहिए कि इस तरह का दीर्घ अनुभव शरद पवार और उनकी पार्टी के लोगों को भी है लेकिन वहां किसी प्रकार की कोई आहट सुनाई नहीं दे रही है।

शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय के अंतिम भाग में लिखा है कि, ''कांग्रेस हो या एनसीपी दोनों ही राजनीति में मंझे लोगों की पार्टी हैं। उन्हें इस बात का पूरा अनुभव है कि कब और कितना कुरकुराना है और कब करवट बदलनी है...राजनीति अंततः सत्ता के लिए ही है और किसी को सत्ता नहीं चाहिए ऐसा बिलकुल भी नहीं है। लेकिन उद्धव ठाकरे ऐसे नेता नहीं हैं, जो सत्ता के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाएंगे। हर किसी के गले में मंत्री पद का हार है। हम यह नहीं भूल सकते कि शिवसेना का त्याग भी महत्वपूर्ण है। खाट कितनी भी क्यों न कुरकुराए या आवाज करे, कोई चिंता न करे, हम बस इतना ही कहना चाहते हैं।'' 

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