Maharashtra: शिवसेना का 185 सीटों तक बहुमत बढ़ाने का दावा

Shiv Sena. शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया है कि 170 सीटों का बहुमत कोई सामान्य बात नहीं है। कल को यह आंकड़ा 185 तक पहुंच सकता है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Mon, 02 Dec 2019 06:22 PM (IST) Updated:Mon, 02 Dec 2019 06:22 PM (IST)
Maharashtra: शिवसेना का 185 सीटों तक बहुमत बढ़ाने का दावा
Maharashtra: शिवसेना का 185 सीटों तक बहुमत बढ़ाने का दावा

मुंबई, एजेंसियां। Shiv Sena. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास अघाड़ी सरकार के 169 मतों के समर्थन से विश्वास मत जीतने के बाद शिवसेना ने कहा कि भविष्य में अगर उनके बहुमत का आंकड़ा 185 पहुंच जाए तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए।

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में कहा गया है कि 170 सीटों का बहुमत कोई सामान्य बात नहीं है। कल को यह आंकड़ा 185 तक पहुंच सकता है। संपादकीय में दावा किया गया है कि लोगों ने भाजपा से दूरी बना ली है। शिवसेना ने कहा, 'भाजपा के पास जो मौजूदा समर्थन है, वह संभवत: पार्टी के साथ नहीं रहेगा। पार्टी के साथ जो कुछ भी हो रहा है वह उसके पूर्व के कमरें का नतीजा है।'

प्रदेश भाजपा विधायक दल के नेता फड़णवीस को रविवार को विधानसभा में विपक्ष का नेता घोषित किया गया। शिवसेना ने कहा, 'फड़णवीस को याद रखना चाहिए कि इतिहास में उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा जिसने हर किसी को अंधेरे में रख कर और बहुमत के बिना अवैध तरीके से शपथ ली थी।'

शिवसेना ने उम्मीद जताई कि महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर देवेंद्र फड़णवीस उन गलतियों को नहीं दोहराएंगे जो उन्होंने राज्य का मुख्यमंत्री रहते हुए की थीं।

पार्टी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि वह उस पद पर महज '80 घंटों' के लिए रहे। संपादकीय में कहा गया कि अगर वह अपनी इस छवि से बाहर निकलना चाहते हैं तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष के तौर पर नियमानुसार काम करना होगा और भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं विधायक दल के पूर्व नेता एकनाथ खडसे से ट्यूशन लेनी चाहिए। संपादकीय में कहा गया, 'फड़णवीस को विपक्ष के नेता की गरिमा बरकरार रखना चाहिए और उन गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए जो उन्होंने महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रहते हुए की थीं।'

उल्लेखनीय है कि एक गठबंधन के तौर पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा और शिवसेना ने अलग-अलग क्रमश: 105 और 56 सीटें जीतें थीं और सत्तारूढ़ गठबंधन को स्पष्ट बहुमत भी हासिल हुआ था। लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर चुनाव बाद शिवसेना की दावेदारी के चलते यह गठबंधन टूट गया और शिवसेना ने पाला बदलकर राकांपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाई है।

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