मराठा आरक्षण पर बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकारा

Maratha reservation issue. मराठा आरक्षण देने के नए कानून के तहत नौकरी का विज्ञापन निकालने पर बांबे हाई कोर्ट की महाराष्ट्र सरकार को फटकार।

By BabitaEdited By: Publish:Tue, 11 Dec 2018 08:16 AM (IST) Updated:Tue, 11 Dec 2018 08:16 AM (IST)
मराठा आरक्षण पर बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकारा
मराठा आरक्षण पर बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकारा

मुंबई, प्रेट्र। मराठा समाज को आरक्षण देने के नए कानून के तहत नौकरी का विज्ञापन निकालने पर बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई है। सोमवार को सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा, ‘इस तरह की गैर जरूरी परिस्थितियों से बचना चाहिए और सरकार को याचिकाओं को सुनने के लिए कोर्ट को कुछ समय देना चाहिए।’ अब अदालत इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 19 दिसंबर को सुनवाई करेगी। मराठा समाज को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 16 फीसद आरक्षण देने के कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कोर्ट में सुनवाई लंबित है।

आरक्षण के कानून पर जनहित याचिका दायर करने वाले एडवोकेट गुनारतन सदावर्ते ने कोर्ट का ध्यान महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग द्वारा निकाले गए विज्ञापन की तरफ दिलाया। उन्होंने बताया कि आवेदन हाल ही में लागू किए गए मराठा आरक्षण कानून के तहत मांगे गए  हैं। इस पर सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील वीके थोराट ने कहा कि केवल आवेदन मांगे गए हैं। इन पदों के लिए अंतिम परीक्षा जुलाई 2019 में होनी है। ऐसे में इन पदों पर पूर्ण नियुक्ति के लिए छह महीने से अधिक का समय लगेगा।

मराठा आरक्षण का विरोध करने वाले वकील पर कोर्ट के बाहर हमला

मराठा आरक्षण कानून के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले वकील गुनारतन सदावर्ते पर कोर्ट के बाहर एक मराठा समाज के एक युवक ने हमला कर दिया। वैजनाथ पाटिल नाम के इस युवक को पुलिस ने पकड़ लिया है। वह जालना जिले का रहने वाला है। हमला उस समय किया गया जब वह आरक्षण के मुद्दे पर कोर्ट के बाहर मीडिया से बात  कर रहे थे। 

ठीक है कि तकनीकी तौर पर सरकार ने कुछ गलत नहीं किया है, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे कुछ और दिन इंतजार कर लेना चाहिए था।

-बांबे हाई कोर्ट

आखिर विज्ञापन जारी करने की इतनी जल्दी क्या थी

कोर्ट दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटिल और जस्टिस एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि आखिर विज्ञापन जारी करने की इतनी जल्दी क्या थी। सरकार कुछ और दिन इंतजार कर सकती थी। कई लोगों ने बिना यह जाने कि इस मुद्दे को कोर्ट में चुनौती दी गई अपने आवेदन भेज दिए हैं। हम नहीं चाहते हैं कि जिन युवाओं ने आवेदन भेजा है। 

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