बांबे हाई कोर्ट ने पूछा, टीवी समाचारों को नियमित करने के लिए वैधानिक संस्था क्यों नहीं
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि जिस तरह से प्रिंट मीडिया के लिए भारतीय प्रेस परिषद है उसी तरह से आपको क्यों नहीं लगता कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए भी एक परिषद होनी चाहिए? उन्हें खुला क्यों छोड़ दिया जाना चाहिए?
मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से पूछा कि टीवी समाचार चैनलों के प्रसारण को नियमित करने के लिए कोई वैधानिक संस्था क्यों नहीं होनी चाहिए? सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में टीवी चैनलों के आक्रामक प्रसारण की पृष्ठभूमि में अदालत ने यह टिप्पणी की है।
अदालत ने पूछा कि टीवी समाचार प्रसारकों के लिए क्या कोई वैधानिक तंत्र है? मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि जिस तरह से प्रिंट मीडिया के लिए भारतीय प्रेस परिषद है, उसी तरह से आपको क्यों नहीं लगता कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए भी एक परिषद होनी चाहिए? उन्हें खुला क्यों छोड़ दिया जाना चाहिए?
हाई कोर्ट ने कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इन याचिकाओं में मीडिया खासकर टीवी चैनलों को सुशांत मामले की रिपोर्टिग करते समय संयम बरतने का निर्देश देने की मांग की गई थी। सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिकाओं में दावा किया गया था कि प्रेस इस मामले में मीडिया ट्रायल कर रहा है। इससे निष्पक्ष जांच पर असर पड़ सकता है।
दो न्यूज चैनलों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा बॉलीवुड
बॉलीवुड से जुड़े कई एसोसिएशन और करीब 34 फिल्म निर्माताओं ने देश के दो चैनलों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन पर गलत तरीके से क्राइम रिपोर्टिंग करने का आरोप लगा है। इसमें रिपब्लिक टीवी और आर भारत के सीइओ अर्नब गोस्वामी भी कटघरे में हैं। बॉलीवुड एसोसिएशन ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर न्याय की मांग की है। इस याचिका में बॉलीवुड के चार एसोसिशन सहित 34 फिल्म निर्माता शामिल जिन्होंने कार्रवाई की मांग की है।
किस-किस पर लगा है आरोप
इसमें दो प्रमुख चैनल रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ है। इसमें अर्नब गोस्वामी, प्रदीप भंडारी, राहुल शिवशंकर और नवीका कुमार सहित कई लोग भी आरोपित हैं। याचिका में कहा गया है कि इन्होंने अमर्यादित तरीके से खबरों को प्रस्तुत किया है। इससे बॉलीवुड की गरिमा को ठेस पहुंची है। बॉलीवुड उसके सदस्यों के खिलाफ गैर जिम्मेदाराना, अपमानजनक और अपमानजनक टिप्पणी करना या प्रकाशित करने के खिलाफ एक्शन की मांग की गई है।