भाजपा ने संजय राउत से पूछा - तलाक कब ले रहो हो ?

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता माधव भंडारी ने शिवसेना को करारा जवाब दिया। भंडारी ने शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत से पूछा है कि तलाक कब ले रहे हैं ?

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 24 Jun 2016 05:44 AM (IST) Updated:Fri, 24 Jun 2016 05:52 AM (IST)
भाजपा ने संजय राउत से पूछा - तलाक कब ले रहो हो ?

मुंबई, राज्य ब्यूरो। लगभग रोज ही अपने पार्टी मुखपत्र सामना के माध्यम से भाजपा पर प्रहार करनेवाली शिवसेना को गुरुवार को भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता माधव भंडारी ने पार्टी मुखपत्र 'मनोगत' में लेख लिखकर करारा जवाब दिया। भंडारी ने शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत से पूछा है कि तलाक कब ले रहे हैं ?

संजय राऊत ने हाल ही में कहा था कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें निजामशाही से भी बदतर स्थिति में काम कर रही हैं। इसका जवाब देते हुए माधव भंडारी ने अपने लेख में लिखा है कि एक ओर शिवसेना उसी निजाम द्वारा परोसी गई प्लेट में बिरयानी खा रही है, दूसरी ओर निजाम की आलोचना कर रही है। एक तरफ केंद्र एवं राज्य की सरकारों में अपने मंत्री बनवाकर उसी निजाम की बदौलत सत्ता का मजा लूट रहे हैं, दूसरी ओर भाजपा को कोसते रहते हैं। इसे कृतघ्नता नहीं तो और क्या कहेंगे। भंडारी कहते हैं कि वे हमारे साथ बैठते हैं, हमारे साथ खाते हैं, फिर हमारी ही आलोचना करते हैं। इससे तो अच्छा है कि तलाक ले लीजिए। शिवसेना को और खुलकर बाहर का रास्ता दिखाते हुए भंडारी कहते हैं कि यदि आप निजामशाही से इतने ही तंग आ गए हैं तो सत्ता छोड़ क्यों नहीं देते। लेकिन आप यह हिम्मत नहीं दिखा सकते।

भंडारी महाराष्ट्र में शिवसेना की घटती ताकत की ओर इशारा करते हुए लिखते हैं कि 1995 में शिवसेना 117 सीटें लड़कर 65 सीटें जीती थी। 2009 में भी शिवसेना से कम सीटों पर लड़कर उससे दो सीटें ज्यादा जीती थी। लेकिन संजय राउत और शिवसेना के अध्यक्ष यह सच्चाई हजम नहीं कर पा रहे हैं कि राज्य में शिवसेना की ताकत लगातार घटती जा रही है। उन्हें सच्चाई को स्वीकार कर हम पर आरोप-प्रत्यारोप बंद करने चाहिए। भंडारी ने शिवसेना को याद दिलाया कि भाजपा ने उसके लिए कई बार त्याग किया है। ठाणे, पुणे एवं गुहागार जैसी अपने कार्यकर्ताओं द्वारा हमेशा जीती जानेवाली सीटें उसने शिवसेना के लिए छोड़ दी हैं। मनोगत में छपे अपने इस लेख के पक्ष में बोलते हुए माधव भंडारी कहते हैं कि शुरुआत में हमने शिवसेना की ओर से आ रहे बयानों को नजरंदाज करने की कोशिश की। लेकिन पानी नाक से ऊपर जाने पर ही मुझे लेख में इस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल करना पड़ा है।

chat bot
आपका साथी