Jabalpur: अब ड्रोन 'भैया' भी कृषि को तकनीकी संबल संग देंगे स्वरोजगार को गति, लाइसेंस की दर में भी की कमी

जबलपुर के पिपरिया खमरिया निवासी 25 वर्षीय निखिल साहू ने जबलपुर संभाग में प्रथम ड्रोन हाईटेक हब की स्थापना की है। पिपरिया स्थित श्रीराम इंटरप्राइजेज ने कीटनाशक के छिड़काव के लिए 10 एग्रीकल्चर ड्रोन लिए हैं। निखिल गांवों में पहुंचकर निश्शुल्क डेमो भी दे रहे हैं। एक ड्रोन से दिनभर में लगभग 20 एकड़ क्षेत्र में छिड़काव किया जा सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya Publish:Mon, 06 May 2024 07:17 PM (IST) Updated:Mon, 06 May 2024 07:17 PM (IST)
Jabalpur: अब ड्रोन 'भैया' भी कृषि को तकनीकी संबल संग देंगे स्वरोजगार को गति, लाइसेंस की दर में भी की कमी
कृषि अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारी ड्रोन के साथ (File Photo)

दीपक जैन, जबलपुर (जेएनएन)। खेतों में अब ड्रोन दीदी के बाद ड्रोन वाले 'भैया' भी नजर आएंगे। ड्रोन का प्रशिक्षण लेकर युवाओं को निश्शुल्क प्रदर्शन करके दिखा रहे जबलपुर के पीयूष का कहना है कि वह स्वयं और अन्य युवाओं को भविष्य में आत्मनिर्भर होने की तरफ ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। खेती को तकनीक से जोड़ने से समय और पैसों दोनों की बचत होगी। दस ड्रोन लेकर वे जिले के विभिन्न गांवों में पहुंचते हैं और किसानों-युवाओं को इसके फायदे समझाते हैं। वर्तमान में एक ड्रोन की कीमत फिलहाल 5 से 15 लाख रुपये तक है। ड्रोन संचालन से पहले पायलट लाइसेंस लेना अनिवार्य है।

प्रशिक्षण पर सब्सिडी

भोपाल और इंदौर स्थित प्रशिक्षण केंद्र से सात दिन का प्रशिक्षण लेने के बाद शासन की योजना का लाभ और ड्रोन में सब्सिडी भी मिल जाती है। 30 हजार रुपये के शुल्क वाले इस प्रशिक्षण पर सब्सिडी देकर फिलहाल 18 हजार रुपये लिए जा रहे हैं। बता दें कि खेती में ड्रोन के उपयोग को लेकर दो वर्षों से जबलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में कार्य चल रहा है। कृषि अभियांत्रिकी विभाग के संचालक इंजी. राजीव चौधरी कहते हैं कि प्रदेश में पहली बार किसानों को ड्रोन अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है। मप्र में अन्य प्रदेशों की तुलना में कम दर पर ड्रोन पायलट लाइसेंस की व्यवस्था भी की है।

अन्नदाता मजबूत होंगे, युवा समृद्ध

अन्नदाता के हाथ को मजबूत करने के साथ ही समय की बचत का मंत्र लिए यह आधुनिक ड्रोन आठ मिनट में एक एकड़ कृषि भूमि में कीटनाशक का छिड़काव करने में सक्षम हैं। यह तकनीक युवाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही आर्थिक रूप से समृद्ध भी बनाएगी। कृषि विभाग ने भी जबलपुर, सतना, रीवा, सागर समेत अन्य संभागों में ड्रोन को कृषि कार्य से जोड़ने के लिए पहल की है। सब्सिडी के जरिए ड्रोन खरीद के फायदे भी बताए जा रहे हैं। पहले चरण में पंद्रह से अधिक प्रशिक्षित ड्रोन जिले में पहुंच गए हैं।

घंटों का काम मिनटों में होगा

खेती में नवोन्मेष व तकनीक के साथ बढ़ रहे इन कदमों से अन्नदाता की बड़ी समस्या काफी हद तक दूर होगी। यूरिया, कीटनाशक या अन्य तरल पदार्थ के छिड़कने स्वयं खेतों का रुख करना पड़ता था या फिर मजदूरों का सहारा लेना पड़ता था। नई तकनीक से लैस ये ड्रोन आठ मिनट में एक एकड़ कृषि भूमि में कीटनाशक का छिड़काव करने में सक्षम हैं। पहले यह कार्य चार से पांच घंटे में होता था उसमें भी एक जैसा छिड़काव संभव नहीं हो पाता था। पांच से 25 लीटर तक कीटनाशक भरकर उड़ने की क्षमता वाले ड्रोन खेतों में कार्य करने के लिए उपलब्ध होने लगे हैं।

विदेशों में यह तकनीक कारगर

कृषि अभियांत्रिकी विभाग केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं के अंतर्गत कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्यरत है। ड्रोन खरीदने के लिए निश्चित कंपनियों के साथ सरकार ने करार किया है। भारत संकल्प यात्रा के दौरान भी ग्रामीण अंचलों में ड्रोन से किसानों को रूबरू कराया जा चुका है। यह ड्रोन कीटनाशक भरकर 10 से 100 फिट ऊपर तक उड़ने में सक्षम होते हैं। इसे जहां से इस उड़ाया जाएगा वहीं वापस भी आ जाएगा। बैटरी खत्म होने पर भी यह क्षतिग्रस्त नहीं होगा और सुरक्षित लैंड भी करेगा। ड्रोन जीपीएस, टाइमर सहित कई आधुनिक तकनीकों से लैस है।

ऐसी मिली रही है सब्सिडी

वर्ग - शासन से अनुदान अनुसूचित जाति-जनजाति या महिला- 50 प्रतिशत या पांच लाख जो कम हो। सामान्य वर्ग-40 प्रतिशत या चार लाख जो कम हो एफपीओ वर्ग-7.5 लाख तक का अनुदान संभव

किस जिले में कितने ड्रोन

जबलपुर-10 ड्रोन छिंदवाड़ा-02 ड्रोन सिवनी-02 ड्रोन नरसिंहपुर-01 ड्रोन

किसानों को नि:शुल्क डेमो

जबलपुर के पिपरिया, खमरिया निवासी 25 वर्षीय निखिल साहू ने जबलपुर संभाग में प्रथम ड्रोन हाईटेक हब की स्थापना की है। पिपरिया स्थित श्रीराम इंटरप्राइजेज ने कीटनाशक के छिड़काव के लिए 10 एग्रीकल्चर ड्रोन लिए हैं। निखिल गांवों में पहुंचकर निश्शुल्क डेमो भी दे रहे हैं। एक ड्रोन से दिनभर में लगभग 20 एकड़ क्षेत्र में छिड़काव किया जा सकता है।

किसानों के लिए ड्रोन काफी फायदेमंद हैं। ड्रोन के प्रयोग से समय की बचत के साथ पैसों की बचत भी होती है। ड्रोन खरीदने में शासन से अनुदान भी मिलता है। किसानों को आगे आना चाहिए और योजना का लाभ लेना चाहिए।

- वीके सोनवानी, कृषि यंत्री, जबलपुर संभाग

सिंगल चार्ज में दो घंटे से अधिक का बैकअप ड्रोन देता है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मानक स्तर की बैटरी का प्रयोग किया जाता है। कृषकों के लिए वास्तव में यह भविष्य में एक वरदान साबित होगा। फसलों में होने वाली बीमारियों की पहचान भी ड्रोन से संभव होगी।

- एनएल मेहरा, सहायक कृषि यंत्री, जबलपुर

मैंने शुरू से ही किसानों को आधुनिक संसाधनों के प्रयोग के लिए प्रेरित किया है। अभी भी कई नवाचार चल रहे हैं, जिसमे ड्रोन खास है। ड्रोन के माध्यम से ऊंचाई वाली फसलों पर आसानी से एवं समान रूप से छिड़काव संभव है। ड्रोन में प्रयोग होने वाली दवा में 30 प्रतिशत तक की बचत होती है।

- वीवी मौर्या, उपयंत्री कृषि अभियांत्रिकी जबलपुर

ड्रोन या हल्के विमानों का प्रयोग खेती किसानी में नया है। मजदूरों की अनुपलब्धता या अधिक मज़दूरी से किसान समय पर फसलों पर दवा का छिड़काव नहीं कर पाते हैं। ऐसे में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने के लिए कृषि विभाग तत्परता से काम कर रहा है। आने वाले समय में अच्छी संभावनाएं हैं।

-रजनीश दुबे, कृषि विस्तार अधिकारी

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