इंदौर : 38 वें नंबर की बिजली कंपनी कैसे बनी नंबर 1 ? यह है कहानी

देश में पहली रेडियोफ्रिक्वेंसी आधारित सबसे ज्यादा स्मार्ट मीटर भी इंदौर की कंपनी लगाने जा रही है।

By Krishan KumarEdited By: Publish:Mon, 06 Aug 2018 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 06 Aug 2018 06:00 AM (IST)
इंदौर : 38 वें नंबर की बिजली कंपनी कैसे बनी नंबर 1 ? यह है कहानी

इंदौर-उज्जैन संभाग के 15 जिलों के हर घर को रोशन करने की जिम्मेदारी पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी निभा रही है। फैलाव और उपभोक्ता संख्या के लिहाज से प्रदेश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी चार वर्ष पहले तक देश में 38वें नंबर पर थी। तीन वर्षों में कंपनी ने देश प्रदेश में नंबर वन का मुकाम हासिल कर लिया। तीन वर्षों में बिजली व्यवस्था में सुधार और नए प्रयोगों को अंजाम देकर बिजली कंपनी की कायापलट करने में कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक आकाश त्रिपाठी का अहम रोल है।

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आईएएस अधिकारी और कलेक्टर के तौर पर इंदौर में लंबी पारी खेलने वाले त्रिपाठी ने बिजली कंपनी का चेहरा और रवैया किसी आईटी कंपनी की तर्ज पर बदल दिया। इन तीन वर्षों में पहली बार हुआ कि घाटे की बजाय कंपनी की बैलेंस शीट में 550 करोड़ रुपए का मुनाफा दिखा सिलसिला यहीं नहीं रूका लगातार दूसरे वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनी अपने मुनाफे को बढ़ाकर करीब 700 करोड़ रुपए तक ले जा रही है।

जून 2015 में जब आकाश त्रिपाठी ने बिजली कंपनी की कमान संभाली तब कंपनी का लॉस 23 प्रतिशत था। आदर्श स्थिति में किसी भी बिजली कंपनी का कमर्शियल और टेक्निकल लॉस 15 प्रतिशत तक ही स्वीकार किया जाता है। यही लॉस बिजली कंपनी की पिछड़ी रैकिंग के साथ घाटे की भी अहम वजह माना जा रहा था।

इस सबके साथ बिजली अमले की स्वेच्छाचारी रवैया और गुल होने पर घंटों सुनवाई नहीं होना भी उपभोक्ता के लिए बड़ी परेशानी थी। बैलेंसशीट पर कमाल करने वाली पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने उपभोक्ता सेवा में भी चेहरा बदल लिया। कंपनी अब किसी मल्टीनेशनल कंपनी की तरह मोबाइल ऐप पर समस्याएं सुन ही नहीं रही है, बल्कि दो घंटे में हल होने की गारंटी भी दे रही है।

इंदौर की कंपनी से सीखकर जयपुर ने इस मॉडल को अपनाया है। हालांकि ज्यादा लागत के बावजूद जयपुर अब तक दो घंटे में समस्या दूर करने की गारंटी नहीं दे सका है। टैक्स डिपार्टमेंट की तरह त्रिपाठी पहली बार बिजली में भी सेल्फ असेसमेंट का विचार लाए और सफलता से लागू भी कर दिया।

कंपनी के अंतर्गत शहर-कस्बों के 15 लाख उपभोक्ता अब अपने बिजली मीटर की रीडिंग खुद लेकर हर महीने कंपनी को भेज रहे हैं। असर यह हुआ कि रीडरों द्वारा एक जगह बैठकर की जाने वाली बोगस कॉफी टेबल रीडिंग बंद हो गई, साथ ही साथ गलत बिलों की समस्या भी दूर हो गई। केंद्र की महत्वाकांक्षी सौभाग्य योजना पर अमल कर हर घर को बिजली कनेक्शन से जोड़ने का कारनामा भी प्रदेश में सबसे पहले पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने कर दिखाया है।

एमडी त्रिपाठी के सफल प्रयोगों का नतीजा रहा कि 6 लाख 20 हजार उपभोक्ताओं वाले इंदौर शहर में बिजली गुल होने से लेकर कंपनी से जुड़ी अन्य शिकायतें घटकर 7 से 8 हजार प्रति माह रह गई हैं। कंपनी सेवाओं में और सुधार कर इनकी संख्या कुल उपभोक्ताओं के 1 प्रतिशत से कम पर लाना चाह रही है।

देश में पहली रेडियोफ्रिक्वेंसी आधारित सबसे ज्यादा स्मार्ट मीटर भी इंदौर की कंपनी लगाने जा रही है। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी शहर में 75 हजार स्मार्ट मीटर लगाएगी, जो हर मिनट अपनी रीडिंग सीधे कंपनी को भेजेंगे। इसी के साथ इंदौर सबसे ज्यादा रेडियो फ्रिक्वेंसी मीटर वाला देश का अकेला शहर भी बन जाएगा।

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