व्यापमं मुद्दे पर उमा भारती ने साधा मौन

व्यापमं मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती अब मौन हैं, ज्यादा कुरेदने पर प्रतिक्रिया देने से इंकार कर रही हैं। गुरुवार को भोपाल में उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब मैं कुछ नहीं बोलूंगी। इस घोटाले की जांच एसटीएफ और एसआईटी कर रही हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 17 Apr 2015 02:49 AM (IST) Updated:Fri, 17 Apr 2015 02:56 AM (IST)
व्यापमं मुद्दे पर उमा भारती ने साधा मौन

भोपाल [ब्यूरो]। व्यापमं मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती अब मौन हैं, ज्यादा कुरेदने पर प्रतिक्रिया देने से इंकार कर रही हैं। गुरुवार को भोपाल में उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब मैं कुछ नहीं बोलूंगी। इस घोटाले की जांच एसटीएफ और एसआईटी कर रही हैं। मुझे इन जांच एजेंसियों पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि पहले मैंने जो बात कही थी उस वक्त एसआईटी नहीं बैठी थी।

भोपाल के सीजेएम कोर्ट में तिरंगा अपमान को लेकर चल रहे एक मामले के संदर्भ में आई उमा भारती ने एक विशेष चर्चा में यह बात कही। उन्होंने ओला-बारिश से हुए फसलों के नुकसान पर भी चिंता जताई।

उन्होंने कहा कि किसानों की आत्महत्याएं रकनी चाहिए। मौत कैसी भी हो, संबंधित घर पर आफत ही आ जाती है। उन्होंने कहा कि यदि किसी किसान की जमीन पर कर्ज है और फसल नुकसान अथवा किसी अन्य वजह से उसकी मौत हो जाए तो उसका कर्ज माफ हो जाना चाहिए। ऐसे प्रकरण में एनपीए [नॉन परफार्मिंग एसेट] हो जाए इसके लिए मैं पहल करूंगी। उमा ने बताया कि इस संबंध में पहले भी यह मांग उठा चुकी हैं।

किसानों को समझाइश

उमा ने बताया कि उनके संसदीय क्षेत्र झांसी में भी काफी नुकसान हुआ है। वहां किसानों को हिम्मत बंधाने के लिए मैंने एक मोबाइल नंबर तय कर दिया है। जिस पर किसानों के प्रकरणों की शिकायत दर्ज की जा रही है। यदि किसी का केस बिगड़ गया है और मामला गंभीर है तो उससे मैं खुद बात करती हूं। किसानों को यह समझा रही हूं कि मरने की बात बिल्कुल न सोचें स्थिति ठीक हो जाएगी।

तिरंगे की खातिर छोड़ी थी कुर्सी

तिरंगा मामले पर उन्होंने कहा कि दरअसल बात हुबली की है वहां मेरा स्वागत हो रहा था। उसी दौरान कई लोगों ने मेरे हाथों में तिरंगा थमा दिए, उस समय का ही फोटो मैग्जीन के पन्ने पर छप गया था। तिरंगे के अपमान को लेकर मैं तो कभी सोच भी नहीं सकती। तिरंगे की खातिर ही मैंने मुख्यमंत्री पद छोड़ कर हुबली तक तिरंगा रैली निकाली थी।

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