Madhya Pradesh: बच्‍चों को अपनी स्‍कूटी पर खुद लेकर आती है शिक्षिका, बंद होने की कगार पर था स्‍कूल

बैतूल का एक प्राथमिक स्‍कूल (Primary School Betul) बंद होने की कगार पर था लेकिन शिक्षिका अरुणा महाले की मेहनत रंग लायी और स्‍कूल बंद होने से बच गया। शिक्षिका अपनी स्‍कूटी पर ही बच्‍चों को लेकर आती है और बाद में घर भी छोड़ती है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 06 Aug 2022 12:24 PM (IST) Updated:Sat, 06 Aug 2022 12:24 PM (IST)
Madhya Pradesh: बच्‍चों को अपनी स्‍कूटी पर खुद लेकर आती है शिक्षिका, बंद होने की कगार पर था स्‍कूल
शिक्षिका अरुणा महाले खुद बच्‍चों को अपनी स्‍कूटी पर स्‍कूल पहंंचाती हैं

भैंसदेही/बैतूल, जागरण आनलाइन डेस्‍क। बैतूल के तहसील क्षेत्र के घुड़िया गांव में प्राथमिक विद्यालय जब बंद होने की कगार पर पहुंचा तो वहां पढ़ाने वाली शिक्षिका अरुणा महाले (Aruna Mahale) ने एक नया प्रयोग किया। जब उन्होंने गांव के बच्चों के स्कूल नहीं आने के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि ढाने में रहने के कारण अभिभावक भी अपने बच्चों को घर से दूर स्कूल भेजने से परहेज कर रहे हैं।

10 से 85 पहुंची बच्‍चों की संख्‍या

शिक्षिका ने माता-पिता को सलाह दी और खुद उन्हें स्कूल ले जाने और उन्हें वापस छोड़ने का विकल्प दिया। इससे बच्चे भी खुश हुए और उनके माता-पिता को भी सड़क पर पैदल चलकर दुर्घटना की आशंका से मुक्ति मिली।

इस नव प्रयोग का असर यह हुआ कि जिस स्कूल में सात साल पहले सिर्फ 10 बच्चे बचे थे, वहां अब पहली से पांचवीं तक 85 बच्चे पढ़ रहे हैं। अब शिक्षिका समय से पहले स्‍कूल पहुंचकर 17 बच्चों को अपनी स्‍कूटी से स्कूल लाती है और घर वापस छोड़ने का काम भी करती है।

अभिभावकों के साथ-साथ बच्चे भी खुश

शिक्षिका अरुणा ने बताया कि विद्यालय में दो शिक्षक पदस्‍थ हैं, लेकिन पंजीकृत संख्या घटकर 10 रह गई थी। ऐसे में शासन स्तर से विद्यालय बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।

माता-पिता को सलाह देने के साथ-साथ पारिवारिक वातावरण में शिक्षा की शुरुआत हुई। नतीजा यह है कि अब स्कूल बंद होने की प्रक्रिया से बाहर हो गया है और अभिभावकों के साथ-साथ बच्चे भी खुश हैं।

गांव कौरिधाना में रहने वाली शिक्षिका विद्यालय खुलने के निर्धारित समय से पहले गांव पहुंच जाती है। स्कूल घुड़िया नई में है जहां से स्कूल की दूरी लगभग दो किमी है।

प्राथमिक कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को इतनी दूरी तय करने में काफी परेशानी होती थी। अब सभी बच्चे शिक्षिका के साथ स्‍कूटी पर बैठकर स्कूल पहुंचते हैं और छुट्टी के बाद घर भी वापस आ जाते हैं।

गांव की रूपा बामने ने बताया कि शिक्षक द्वारा शुरू किए गए इस इनोवेशन से बच्चे सुबह-सुबह खुद स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। घर के सामने से शिक्षिका उन्हें स्‍कूटी पर बिठाकर वापस ले भी जाती है। राधिका कापसे ने बताया कि पहले तो सभी उन्हें पैदल स्कूल भेजने से डरते थे, लेकिन अब चिंता की कोई बात नहीं है।

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