शहर के अंदर नहीं बनेगा स्लाटर हाउस, CM बोले- अफसर नहीं सरकार तय करेगी जगह

शहर में आबादी के बीच स्लाटर हाउस नहीं बनेगा। मंगलवार शाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा कर दी।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 07 Sep 2016 06:11 AM (IST) Updated:Wed, 07 Sep 2016 06:19 AM (IST)
शहर के अंदर नहीं बनेगा स्लाटर हाउस, CM बोले- अफसर नहीं सरकार तय करेगी जगह

भोपाल। शहर में आबादी के बीच स्लाटर हाउस नहीं बनेगा। मंगलवार शाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा कर दी। इससे पहले सुबह मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों की बैठक में यह मुद्दा आने पर वह काफी नाराज दिखे। अफसरों को फटकार लगाते हुए उन्होंने सवाल किया- स्लाटर हाउस कहां बने, कहां नहीं, यह फैसला आप लोग कैसे ले रहे हैं? नीति बनाना और फैसले लेने का काम सरकार का है। शाम को सांसद आलोक संजर, मंत्री विश्वास सारंग, विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह और महापौर आलोक शर्मा सीएम से मिलने पहुंचे। बताया कि जिस कंपनी से निगम अनुबंध करने जा रहा है उस पर गोवंश वध के भी आरोप लग चुके हैं। इसके बाद सीएम ने स्लाटर हाउस शहर के अंदर न बनाने की घोषणा कर दी।

नई जगह के लिए फैसला 8 को, अफसरों को बुलाया

न आदमपुर छावनी, न मुगलिया कोट, तीसरी जगह चुनी जाएगी
शहर की जनता के भारी विरोध के बाद सरकार झुकी। अब स्लाटर हाउस कहां बनेगा, इसका फैसला आठ सितंबर को होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस दिन अफसरों की बैठक बुलाई है। आदमपुर छावनी में नगर निगम की जमीन और मुगालिया कोट में सरकारी जमीन के प्रस्तावों पर सहमति नहीं बन रही है। अब स्लाटर हाउस के लिए अफसरों को तीसरी जगह भी तलाशनी पड़ सकती है।

पद्मनाभ नगर के रहवासियों ने जलाए दीप, आतिशबाजी भी की

स्लाटर हाउस आबादी से बाहर बनाए जाने की घोषणा की जानकारी मिलते ही ग्रीन मिडोस, सुभाष नगर, पद्मनाभ नगर समेत आसपास की कॉलोनियाें में उत्सव का माहौल था। इस दौरान रहवासियों ने दीप जलाए, अातिशबाजी भी की। पूरे कैंपस में मिठाई भी बांटी गई।

अफसरों के तौर-तरीकों पर सवाल, चार महीने में सीएम को बदलना पड़े शहर से जुड़े तीन बड़े फैसले
पहले स्मार्ट सिटी की लोकेशन, फिर बड़े तालाब की रिटेनिंग वॉल और अब स्लाटर हाउस। इन तीनों ही मुद्दों पर अफसरों ने नगर निगम की भद्द पिटवा दी। मामले नियंत्रण से बाहर हाेते देख खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मोर्चा संभाला। 16 मई को स्मार्ट सिटी, 1 अगस्त को रिटेनिंग वॉल और स्लाटर हाउस पर मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से अफसरों की कार्यशैली व निर्णय लेने के तरीके पर सवाल उठ रहा है। आनन-फानन में लिए गए फैसले की वजह से निगम को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा बल्कि जनता की गाढ़ी कमाई से वसूली जाने वाली टैक्स की कमाई का लगभग दस करोड़ रुपए पानी में चला गया। पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच तो साफ कह चुकी हैं कि अफसरों से इसकी वसूली होना चाहिए।
स्लाटर हाउस को लेकर 2014 में एनजीटी में याचिका लगी। 30 सितंबर 2015 को एनजीटी ने आदेश दिया कि 30 जून 2016 तक इसे शहर के बाहर ले जाया जाए। इन छह महीने में प्रशासनिक अधिकारी स्थान का ही चयन नहीं कर पाए। अफसरों ने आनन-फानन में स्टड फार्म की जमीन का चयन कर लिया। इस पर आम लोग विरोध में उठ खड़े हुए। ग्रीन मिडोस सोसायटी की अध्यक्ष रेणु भार्गव, उपाध्यक्ष मनोज जैन, अतुल खन्ना, बीएस यादव के साथ अन्य लोगों ने इस विरोध को जन आंदोलन का रूप दिया।

तीन प्रोजेक्ट में 10 करोड़ रुपए हो गए हैं बर्बाद
जनप्रतिनिधि बोले-अफसर नहीं देते निर्णयों की जानकारी

किस मामले में कितना खर्च

स्लाटर हाउस

01 करोड़ रुपए

रिटेनिंग वॉल

08 करोड़ रुपए

स्मार्ट सिटी

01 करोड़ रुपए

विधायकों के आवास का निर्माण भी रोका -अरेरा हिल्स पर विधायकों के आवास बनाने के फैसले को भी मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद वापस लेना पड़ा था। यहां पेड़ काट कर आवास बनाए जा रहे थे।

अफसरों ने भरोसे में नहीं लिया

स्लाटर हाउस को आबादी के बीच में बनाने के प्रस्ताव का मैं शुरू से विरोध कर रहा था। अफसरों ने जनता और जनप्रतिनिधियों को भरोसे में लिए बिना निर्णय ले लिया था।

-विश्वास सारंग, सहकारिता मंत्री


यह जनभावनाओं के साथ पर्यावरण से जुड़ा हुआ मुद्दा है। अफसरों को ऐसे निर्णय जनप्रतिनिधियों को भरोसे में लेकर करना चाहिए।-सुरेंद्रनाथ सिंह, विधायक


आबादी के बाहर स्लाटर हाउस बनाया जाएगा। मांस का निर्यात नहीं होगा। नगर निगम से जुड़े मुद्दे पर निर्णय लेने से पहले भी अफसरों ने हमें जानकारी नहीं दी।
- आलोक शर्मा, महापौर

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