मध्‍यप्रदेश के धार जिले के नवादपुरा गांव में 99 प्रतिशत आबादी पिछड़ा वर्ग की , पर विकास में अव्वल

ग्राम पंचायत नवादपुरा की सरपंच सोनाली ने बताया कि ग्राम विकास में महिलाओं की भागीदारी काफी अहम है। साल 2014 से विकास के साथ गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध हो इसको लेकर महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Thu, 24 Nov 2022 06:00 PM (IST) Updated:Thu, 24 Nov 2022 06:00 PM (IST)
मध्‍यप्रदेश के धार जिले के नवादपुरा गांव में 99 प्रतिशत आबादी पिछड़ा वर्ग की , पर विकास में अव्वल
गांव नवादपुरा में शासकीय आंगनबाड़ी परिसर को सर्वसुविधा युक्त बनाया गया।-नईदुनिया

शैलेंद्र लड्ढा, धारः धार जिले की कुक्षी तहसील के नर्मदा किनारे बसा गांव नवादपुरा की कहानी युवा सोच और संकल्प की सफलता की कहानी है। एक विचार को मूर्त रूप देकर कैसे गांव की सूरत और सीरत बदली जा सकती है, इसका नवादपुरा से बेहतर उदाहरण नहीं मिल सकता केंद्र और राज्य शासन की योजनाओं के साथ भागीदारी जुटाकर यह गांव स्वच्छता, स्वावलंबन, आत्मनिर्भर, गो ग्राम, ग्रीन विलेज और महिला सशक्तीकरण के नित नए आयाम स्थापित कर रहा है। यही वजह है कि नवादपुरा गांव देश व प्रदेश में अन्य ग्राम पंचायतों के लिए रोल माडल बन चुका है। इस गांव को नवाचार पुरा के नाम से पहचाना जाने लगा है।

साल 2014 में सरपंच रेमसिंह पचाया के नेतृत्व में निर्विरोध ग्राम पंचायत चुनने के बाद गांव के कायाकल्प की कहानी की शुरुआत हुई थी। वर्तमान सरपंच सोनाली भी नवाचार की इसी परंपरा को आगे बढ़ा रही है। इनके नेतृत्व में ग्राम पंचायत निर्विरोध महिला प्रधान बनी है, जो अब गांव में महिला सशक्तीकरण के साथ विकास की नई इबारत लिख रही है।

99 प्रतिशत आबादी पिछड़ा वर्ग की , पर गांव विकास में अव्वल

नवादपुरा धार जिला मुख्यालय से 125 किलोमीटर दूर है। यहां की आबादी करीब 1200 है। इसमें 99 प्रतिशत लोग अजा, अजजा और पिछड़ा वर्ग से आते हैं। वर्ष 2014 में ग्राम पंचायत निर्विरोध निर्वाचित होने पर राज्य शासन ने पांच लाख रुपये पुरस्कार स्वरूप दिए थे। इस राशि से सरपंच रेमसिंह पचाया ने ग्राम पटेल रहे कमल पटेल के साथ मिलकर विकास कार्यों की शुरुआत करते हुए साल 2016 में आरओ वाटर एटीएम लगाया। हर घर महज दो रुपये में 20 लीटर शुद्ध पानी पहुंचाया जाने लगा। इसका परिणाम यह रहा कि गांव में शुद्ध पानी मिलने से मौसमी बीमारियां 80 प्रतिशत तक कम हो गईं। इसी साल ग्राम में कराधान से मिली राशि से सुरक्षा के लिए 20 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए।

मंदिर से मिलने वाली दान राशि से शिक्षा का उजियारा, मिला आइएसओ अवार्ड

साल 2017 में ग्राम ओडीएफ हुआ। इस साल गांव में सांवरिया सेठ का एक मंदिर बनाया गया। उसके ट्रस्ट में दान देने वालों को कराधान की 80जी से छूट मिलने लगी । इस दान राशि से गांव की दो शासकीय आंगनबाड़ी को स्मार्ट और वातानुकूलित बनाया गया। आंगनबाड़ी परिसर में बच्चों के लिए स्विमिंग पूल और खेल-खेल में शिक्षा देने के लिए खिलौने लाए गए। गांव में सामाजिक समरसता का भाव रहे, इसके लिए सभी घरों को गुलाबी रंग में रंगा गया। साथ ही घरों की दीवारों पर स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र बनाए गए। इस साल गांव को आइएसओ अवार्ड से नवाजा गया।

डिस्पोजल और प्लास्टिक पर प्रतिबंध के साथ शराबबंदी लागू

गांव में शासकीय माध्यमिक और प्राथमिक विद्यालयों को स्मार्ट बनाया गया। इसका परिणाम यह निकला कि अब गांव से माध्यमिक स्तर तक एक भी बच्चा बाहर के निजी स्कूल में पढ़ने नहीं जाता है, क्योंकि शासकीय स्कूल को ही निजी स्कूल के समकक्ष बना दिया गया है। इस साल नवाचारों के मामले में देश की 20 ग्राम पंचायतों में नवादपुरा को शामिल किया गया। गांव के आसपास की पहाड़ियों पर 25 हजार पौधे लगाए गए। ग्राम में डिस्पोजल और प्लास्टिक पर प्रतिबंध के साथ शराबबंदी लागू की गई।

महिलाओं ने कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया

ग्राम के विकास में महिलाओं की भागीदारी के साथ उन्हें रोजगार से भी जोड़ा गया। गो पालकों द्वारा दीपावली पर गोबर के दीपक, लक्ष्मीजी की मूर्तियां, तोरण द्वार आदि महिलाओं द्वारा बनाकर उसे बाजार में बेचा गया। वर्तमान में यहां एक शासकीय गोशाला में महिलाओं के समूह द्वारा गाय के गोबर से लकड़ी, धूपबत्ती, जैविक खाद, गो अमृत तैयार किया जाता है। इससे महिलाओं को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। इसी का सार्थक परिणाम यह निकला कि 2022 में पंचायत चुनाव में यहां सभी पदों पर निर्विरोध महिलाएं चुनी गईं।

हम बेहतर हुए अब दूसरों को बेहतर होने की दे रहे सीख

ग्राम पंचायत नवादपुरा की सरपंच सोनाली ने बताया कि ग्राम विकास में महिलाओं की भागीदारी काफी अहम है। साल 2014 से विकास के साथ गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध हो, इसको लेकर महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है। इससे हमारा भी हौसला बढ़ा है। अब पूरी ग्राम पंचायत की कमान महिलाओं के हाथ में है। ग्राम के विकास कार्यों को देखने के लिए प्रतिदिन अन्य पंचायतों से लोग आते हैं कि यह आप कैसे कर रहे हैं। हम उन्हें बताते हैं और हम भी लगातार कुछ नया करने के प्रयास में जुटे रहते हैं।

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