Madhya Pradesh: बेटी से दुष्कर्म के मामले में पिता को आजीवन कारावास की सजा

Madhya Pradesh ग्वालियर में कोर्ट ने बेटी के साथ दुष्कर्म करने वाले पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 11 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपित ने पिता के रिश्ते को कलंकित किया ऐसा व्यक्ति सहानुभूति का पात्र नहीं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sat, 09 Jul 2022 08:03 PM (IST) Updated:Sat, 09 Jul 2022 08:03 PM (IST)
Madhya Pradesh: बेटी से दुष्कर्म के मामले में पिता को आजीवन कारावास की सजा
मप्र में कोर्ट ने कहा, पिता ने रिश्ते को कलंकित किया, इसलिए सहानुभूति का पात्र नहीं। फाइल फोटो

ग्वालियर, जेएनएन। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में विशेष सत्र न्यायालय ने बेटी के साथ दुष्कर्म करने वाले पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, 11 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपित ने पिता के रिश्ते को कलंकित किया है, ऐसा व्यक्ति सहानुभूति का पात्र नहीं है।

जानें, क्या है मामला

नाबालिग पीड़िता ने 13 जून, 2018 को ग्वालियर थाने में आवेदन दिया था। उसने कहा था कि वह अपने नाना-नानी, भाई के साथ निवास करती है। उसके पिता उसके साथ गंदा काम करते हैं, जब मां रोकती है तो उनकी मारपीट करने लगते हैं। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया।

आरोपित ने बचाव में दिया ये तर्क

आरोपित ने बचाव में तर्क दिया कि पीड़िता ने परिवार के साथ मिलकर साजिश रची है। मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया है। वर्तमान में मेरी उम्र 39 साल है, घर में कमाने वाला अकेला हूं। दो साल से अधिक समय से जेल में हूं, इसलिए सजा देने में नरमी बरती जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सजा काटने के लिए दोषी को जेल भेज दिया गया।

इधर, हाई कोर्ट की युगल पीठ ने गत शुक्रवार को ग्वालियर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक डी श्रीनिवास वर्मा को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने बहस के दौरान कहा कि ये गरीब की बेटी है, इसलिए लचर जांच की जा रही है? क्या किसी बड़े आदमी की बेटी होती तो भी इस तरह की जांच की जाती? तीन-तीन एसआइटी बनाई गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। 20 जुलाई को पुलिस महानिरीक्षक फिर से मौजूद रहें। एसआइटी ने क्या जांच की, उसकी रिपोर्ट भी पेश करें। आरोपित पर पाक्सो क्यों नहीं लगाया गया।? गुना के आरोन रहवासी ने बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। यह याचिका 2017 से लंबित है।

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