सौ में एक को होने वाली दुर्लभ बीमारी का शिकार है आठ वर्षीय प्रिंस, इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता न के बराबर होती

शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि यह बहुत ही दुर्लभ बीमारी है जो सौ में से किसी एक को होती है। यह बच्चों में ही रहती है कि क्योंकि इस बीमारी से ग्रसित बच्चों का जीवन बड़े होने के पहले ही समाप्त हो जाता है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Fri, 25 Feb 2022 04:13 PM (IST) Updated:Fri, 25 Feb 2022 04:13 PM (IST)
सौ में एक को होने वाली दुर्लभ बीमारी का शिकार है आठ वर्षीय प्रिंस, इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता न के बराबर होती
सौ में एक को होने वाली दुर्लभ बीमारी का शिकार है आठ वर्षीय प्रिंस

जबलपुर, जेएनएन । यह बहुत ही दुर्लभ बीमारी है जो सौ में से किसी एक को होती है। यह बच्चों में ही रहती है कि क्योंकि इस बीमारी से ग्रसित बच्चों का जीवन बड़े होने के पहले ही समाप्त हो जाता है। हंसते-खेलते प्रियांश उर्फ प्रिंस कोरी को देखकर कोई कह नहीं सकता कि इसे विस्काट एल्ड्रिच सिंड्रोम नामक एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमें किसी भी वक्त कुछ भी हो सकता है। फिर भी न तो प्रियांश हिम्मत हारता है और न ही उसकी मां। जबकि इस बीमारी से प्रियांश को केवल बोन मैरो ट्रांसप्लांट करके ही बचाया जा सकता है। जिसके लिए 22 लाख रुपयों की जरूरत है जिसमें से सिर्फ पांच लाख रुपये ही मां के पास किसी तरह जुड़ सके हैं। मां लक्ष्मी कोरी अपने बेटे के जीवन की डोर को टूटने से बचाने के लिए लोगों से मदद की गुहार लगा रही हैं। लक्ष्मी का कहना है कि डाक्टरों के अनुसार अब प्रियांश के पास ज्यादा समय नहीं है।

मालूम हो कि बड़ी मुश्किल से बीमारी की पहचान हो सकी थी। गोकलपुर, रांझी निवासी लक्ष्मी कोरी ने बताया कि उनके बेटे प्रियांश की उम्र अभी ढाई वर्ष है। उसकी बीमारी का पता तब चला था जब वह ढाई साल का था। दिल्ली व भोपाल अपोलो से इलाज चल रहा है। उस वक्त प्रियांश के पिता भी साथ थे लेकिन अब दोनों का तलाक हो चुका है और प्रियांश के इलाज की जिम्मेदारी लक्ष्मी व उसके माता-पिता उठा रहे हैं। लक्ष्मी के माता-पिता यानी प्रियांश के नाना मजदूरी करते थे अभी उनकी उम्र करीब 70 वर्ष है और नानी फैक्टरी से सेवानिवृत्त हैं और उनकी पेंशन से ही वे बीमारी के खर्च में मदद कर रही हैं। जब अस्पताल जाना होता है तब प्रियांश के नाना ही साथ जाते हैं। लक्ष्मी कालेज के विद्यार्थियों के लिए खाना बनाने का काम करती हैं। लक्ष्मी ने मदद के लिए सीएम हेल्पलाइन में भी आवेदन दिया था जहां से मदद मिल चुकी है।

जानकारी के अनुसार वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ, ने बताया कि यह बहुत ही दुर्लभ बीमारी है जो सौ में से किसी एक को होती है। यह बच्चों में ही रहती है कि क्योंकि इस बीमारी से ग्रसित बच्चों का जीवन बड़े होने के पहले ही समाप्त हो जाता है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता न के बराबर होती है जिससे शरीर में संक्रमण होने का खतरा हर समय बना रहता है। इसके अलावा एकि्जमा, शौच से खून जाना, त्वचा पर चकत्ते बनना इसके लक्षण हैं। इस बीमारी की खासियत है कि यह मेल में हाेता है फीमेल में नहीं। लेकिन बच्चों में इसकी वाहक मां ही होती है क्योंक यह एक्स-लिंक्ड होता है। बिल्कुल हीमोफीलिया की तरह। इस बीमारी से बचने का एकमात्र तरीका बोन मैरो ट्रांसप्लांट है। जो भी इच्छुक प्रियांश की मदद करना चाहते हैं वे- 9131427099 पर लक्ष्मी कोरी से संपर्क कर सकते हैं।

लक्ष्मी ने बताया कि शुरुआत में कई दिनों तक प्रियांश अस्पताल में रहा। एक बार इलाज कराने के बाद दो माह तक ठीक रहता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होता। अब तो सप्ताह भर काटना भी कठिन होता है। तीसरी कक्षा के छात्र प्रियांश को क्रिकेट बहुत पसंद है लेकिन खेलते समय ध्यान रखना पड़ता है। क्येांकि अचानक शरीर अकड़ जाता है। शौच से बहुत खून जाता है। इसी डर से स्कूल न भेजकर आनलाइन ही पढ़ाई कराई जा रही है। 

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