Dhar News: पशुहाट से विकास की पटकथा लिखता मध्य प्रदेश का सुंद्रेल गांव, सालाना होती है सवा करोड़ रुपये की कमाई

सुंद्रेल जैसे गांव पूरे देश के लिए एक मिसाल की तरह हैं। यहां के ग्रामीणों ने हाट के माध्यम से अपना विकास का माडल बनाया है। यहां घर-घर से कचरा उठाने की सुविधा है। वहीं बच्चों के परीक्षा में टाप करने पर उन्हें लैपटाप देकर सम्मानित किया जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Thu, 29 Dec 2022 12:12 AM (IST) Updated:Thu, 29 Dec 2022 12:12 AM (IST)
Dhar News: पशुहाट से विकास की पटकथा लिखता मध्य प्रदेश का सुंद्रेल गांव, सालाना होती है सवा करोड़ रुपये की कमाई
पशुहाट से विकास की पटकथा लिखता मध्य प्रदेश का सुंद्रेल गांव, सालाना होती है सवा करोड़ रुपये की कमाई

धार, प्रेमविजय पाटिल। गांवों का नाम आते ही आखों के सामने छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए संघर्ष की तस्वीरें तैरने लगती हैं लेकिन सुंद्रेल जैसे गांव को देखते ही यह धारणा बदल जाती है। यहां के कर्मवीरों ने अपने परिश्रम और लगन से न सिर्फ गांव को आत्मनिर्भर बनााया बल्कि वे सभी सुविधाएं भी ग्रामीणों के लिए जुटाई जो पहले उन्हें शहर में ही नजर आती थी।

गांव में लगने वाले पशुहाट को आय के स्रोत और माडल के रूप में विकसित कर लिया। इससे पंचायत को सालाना सवा करोड़ रुपए से अधिक की कमाई हो रही है। इसी आय की वजह से पंचायत ने कोविड काल जैसे कठिन समय में भी अपने सभी अस्थाई कर्मचारियों को न सिर्फ पूरा वेतन दिया बल्कि ग्रामवासियों को दी जा रही मुफ्त सुविधाएं भी बंद नहीं कीं। यह गांव है मध्य प्रदेश के धार जिले का सुंद्रेल।

मिशन बनी पेयजल आपूर्ति

सुंद्रेल ऐसा गांव है जहां ग्राम पंचायत हर घर में नल के माध्यम से पानी पहुंचा रही है। गांव के 1400 घरों के 9 हजार से अधिक लोगों को प्रतिमाह नि:शुल्क पानी दिया जा रहा है। जल जीवन मिशन के पहले से ही सुंद्रेल ने इसे मिशन के रूप में लिया और ग्रामीणों को यह सुविधाएं उपलब्ध करवा दी। नर्मदा जल को गांव तक लाना, शुद्ध कर घरों तक प्रदाय करने में आने वाला पूरा खर्च पंचायत ही वहन करती है।

ऐसी है विकास की कहानी

सुंद्रेल में बीते 55 वर्ष से पशु हाट लगती है। अच्छी व्यवस्थाओं की वजह से इसकी ख्याति आसपास के क्षेत्रों से निकलकर गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के इलाकों तक पहुंच गई। इन राज्यों के साथ-साथ मध्य प्रदेश के विभिन्न ग्रामों से यहां पर लोग पशु खरीदने आते हैं। यहां सर्वसुविधा युक्त पशुहाट बाजार ग्राम पंचायत ने बनवाया है। यहां खरीदी-बिक्री के लिए आने वाले पशुओं का शुल्क लिया जाता है। मवेशियों के लिए पानी चारा और उनके लिए छायादार स्थान उपलब्ध है। इससे पंचायत को सालाना एक करोड़ 25 लाख रुपए से अधिक की आमदनी होती है।

स्वच्छता पर विशेष ध्यान

ग्राम पंचायत स्वच्छता के मामले में विशेष ध्यान देती है। विगत 5 वर्षों से यहां स्वच्छता वाहन घर घर पहुंचता है। कचरे से लेकर अन्य सामग्री को संकलित करके उस कचरे से खाद बनाने का काम भी किया जाता है। इस खाद का उपयोग गांव के बगीचो में होता है। पंचायत ने अपने खर्च पर गांव की सफाई के लिए 12 कर्मचारी तैनात कर रखे हैं। स्वच्छता संबंधी जागरुकता के मामले में भी यह गांव आदर्श है और केंद्र सरकार द्वारा पुरस्कृत भी हो चुका है।

सामुदायिकता से समरसता

इस गांव में अहम बात यह भी है कि यहां सामुदायिकता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यही वजह है कि यहां हर मोहल्ले में अपना मांगलिक भवन है। गांव में कुल 8 भवन बनाए गए हैं। जहां पर लोग शादी-ब्याह से लेकर अन्य सार्वजनिक आयोजन करते हैं। यह व्यवस्था सामाजिक ताना-बाना बुनने के लिए भी महत्वपूर्ण होती है। पंचायत की अपनी 25 दुकानें हैं। जिनके माध्यम से भी आमदनी होती है इस तरह से पंचायती राज के सपने को यहां पर पूरा किया जा रहा है।

टापर को मिलता लैपटाप

इस गांव में शिक्षा को लेकर भी ग्रामवासी जागरूक हैं। यहां 10वीं और 12वीं में जो बच्चे मेरिट में या गांव स्तर पर प्रथम आते हैं, उनको लैपटाप या कंप्यूटर उपलब्ध कराया जाता है।

कोरोना महामारी की परिस्थिति में भी हमने सभी को रोजगार उपलब्ध कराया। ग्रामीणों और पंचायत कर्मचारियों को परेशान नहीं होने दिया। यहां पर महिलाओं की भी सहभागिता महत्वपूर्ण रहती है। विकास कार्यों को कई बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। यहां के पशु हाट के मैनेजमेंट को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। - बसंत बाई देसाई, पूर्व सरपंच, ग्राम पंचायत सुंद्रेल

हमारी पंचायत आत्मनिर्भर है। यही कारण है कि विकास कार्य में कोई बाधा नहीं आती। पूर्व में जो विकास कार्य किए गए थे, उनको सतत जारी रखा जाएगा। पंचायत आदर्श मानक पर पहुंचे इसके लिए प्रयास जारी हैं। हम अपने रहवासियों को और क्या सुविधाएं दे सकते हैं, इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। - धर्मेंद्र चौहान, सरपंच, ग्राम पंचायत सुंद्रेल

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