फैमिली संग गर्मी की छुट्टियों को बनाएं यादगार, डलहौजी की सैर के साथ

देवभूमि हिमाचल के रमणीय स्थलों की बात हो और डलहौजी का नाम न आए ऐसा हो नहीं सकता। देवभूमि में पर्यटन नगरी डलहौजी प्रकृति के अनगिनत नजारे संजोए है। तो आज चलेंगे इसके सफर पर...

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Mon, 01 Jul 2019 10:45 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2019 10:45 AM (IST)
फैमिली संग गर्मी की छुट्टियों को बनाएं यादगार, डलहौजी की सैर के साथ
फैमिली संग गर्मी की छुट्टियों को बनाएं यादगार, डलहौजी की सैर के साथ

ब्रिटिश शासनकाल में अस्तित्व में आई पर्यटन नगरी डलहौजी नैसर्गिक सौंदर्य के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी रखती है। हर साल देश-विदेश से हजारों की संख्या में सैलानी यहां आकर प्रकृति की गोद में सुकून के दिन गुजारते हैं। दिलकश प्राकृतिक नजारों से लबरेज पर्यटन नगरी डलहौजी में स्थित ब्रिटिशकालीन बंगले व कोठियां, गिरजाघर, देवदार व चीड़ के पेड़ों वाले पहाड़, हरे-भरे मौदान, कलात्मक वस्तुओं की खरीदारी का मोह, फ्लावर वैली, यहां के सुंदर गांव व पहाड़ी लोगों के रहन सहन सहित वन्य प्राणी जीवन को निहारने की चाह, पहाड़ी क्षेत्रों के सीढ़ीनुमा खेत, ऊंचे-ऊंचे देवदार के पेड़ व चंबा के राजा द्वारा जंद्रीघाट नामक स्थान पर बनवाया गया महल। जहां की कई ऐतिहासिक वस्तुओं का संग्रह है, बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। हालांकि डलहौजी के जंद्रीघाट पैलेस राजघराने की निजी संपत्ति होने के कारण यहां पर जनमानस अंदर प्रवेश नहीं कर सकते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो डलहौजी अपने अंदर संपूर्णता को सहेजे है। यहां आकर गर्मियों की छुट्टियां बिताना सबसे यादगार लम्हा बन जाता है।

देश के बेहतरीन बोर्डिंग स्कूल

यहां के बोर्डिंग स्कूल, गुरूनानक पब्लिक स्कूल, सेक्रेड हार्ट पब्लिक स्कूल यहां के टॉप स्कूलों में शामिल हैं। जहां न केवल देश बल्कि विदेशों से भी स्टूडेंट्स पढ़ने आते हैं।

डलहौजी में घूमने वाली जगहें

पंजपूला

डलहौजी के खास पर्यटक स्थलों में पहला नाम पंजपूला है। पंजपूला यहां स्थित स्वतंत्रता सेनानी देशभक्त सरदार अजीत सिंह की समाधि स्थल और यहां आयोजित होने वाली एडवेंचर एक्टिविटीज और बच्चों के लिए अलग-अलग तरह के झूलों के लिए मशहूर है। इसके अलावा रिवर क्रासिंग, हाईकिंग, ट्रैकिंग जैसी एक्टिविटीज भी सैलानियों को आकर्षित करते हैं। पंजपूला में खरीददारी के लिए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी हैं। जहां आर्टिफिशियल जूलरी, बच्चों के लिए खिलौने, हैंडीक्राफ्ट्स व मिंक ब्लैंकेट्स आदि की खरीददारी कर सकते हैं।

 

तिब्बतियन मार्केट डलहौजी

गांधी चौक के पास ही तिब्बतियन मार्केट स्थित है। इस संकरी लेकिन लंबी मार्केट में दोनों ओर दुकानें स्थित हैं। जहां अक्सर पर्यटकों की भीड़भाड़ रहती है। तिब्बतियन मार्केट में पर्यटक रेडीमेड कपड़े, जूते, आर्टिफिशियल जूलरी, लकड़ी के उत्पाद आदि की खरीददारी कर सकते हैं। इसी तरह की एक और तिब्बती मार्केट डलहौजी बस स्टैंड के पास भी स्थित है। स्थानीय बस स्टैंड के नजदीक होटल माउंट व्यू के परिसर में एंटीक शॉप स्थित है। यहां पर्यटक पीतल और तांबे से बनी विभिन्न प्रकार की मूर्तियों की खरीददारी कर सकते हैं। यहां पर पेटिंग्स और लोकल हैंडमेड चॉकलेट भी अवेलेबल हैं। 

सुभाष बावड़ी

डलहौजी के गांधी चौक से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर सुभाष बावड़ी नामक जगह है। ये बावड़ी का जल पीने से नेताजी सुभाष चंद्र बोस को स्वास्थ्य लाभ हुआ था। जिसके चलते बावड़ी का नाम सुभाष बावड़ी रखा गया। डलहौजी आने वाले पर्यटक यहां आना नहीं भूलते।

खज्जियार

डलहौजी से करीब 22 किमी की दूरी पर मिनी स्विटजरलैंड के नाम से मशहूर खज्जियार स्थित है। यहां खज्जी नाग का प्राचीन मंदिर स्थित है जहां कि नाग देवता की लकड़ी की प्रतिमाएं विराजमान हैं। खज्जी नाग के नाम से इस जगह का नाम खज्जियार पड़ा। देवदार के हरे पेड़ों से घिरे घने जंगल के बीच कटोरीनुमा मैदान स्थित है। मैदानों के बीचों-बीच झील है। यह जगह इतनी खूबसूरत है कि यहां आने के बाद वापस लौटने का दिल ही नहीं करता।

तलेरू बोटिंग प्वाइंट

डलहौजी से करीब 32 किमी की दूरी पर तलेरू बोटिंग प्वाइंट स्थित है। जो खासतौर से वॉटर एक्टिविटीज के लिए मशहूर है। बोटिंग प्वाइंट पर स्पीड बोट, क्रूज आदि की मजा ले सकते हैं। मीलों लंबी तलेरू झील पर बोटिंग करते हुए आसपास के खूबसूरत नज़ारों को देखना बहुत ही मजेदार होता है।

भद्रकाली भलेई मंदिर

डलहौजी से करीब 38 किमी की दूरी पर स्वयंभू प्रकट मां भलेई का मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि भद्रकाली मां भलेई भ्राण नामक स्थान पर स्वयंभू प्रकट हुई थीं और चंबा के राजा प्रताप सिंह द्वारा मां भलेई के मंदिर का निर्माण करवाया गया। 60 के दशक तक यहां महिलाओं को प्रवेश की मनाही थी। इसके बाद मां भलेई की एक अनन्य भक्त दुर्गा बहन को मां ने सपने में आकर दर्शन देकर आदेश दिया कि सबसे पहले वही मां भलेई के दर्शन करेंगी। जिसके बाद अन्य महिलाएं भी मां भलेई के दर्शन कर सकती हैं।

एक बार चोर मां भलेई की प्रतिमा को चुरा कर ले गए थे। चोर जब चौहड़ा नामक जगह पर पहुंचे तो एक चमत्कार हुआ। चोर जब मां की प्रतिमा को उठाकर भागते तो अंधे हो जाते और जब पीछे मुड़कर देखते तो सबकुछ दिखाई देता देता। इससे भयभीत होकर चोर चौहड़ा में ही मां भलेई की प्रतिमा को छोड़कर भाग गए थे। बाद में पूर्ण विधि विधान के साथ मां की दो फुट ऊंची काले रंग की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया। माना जाता है कि मां जब प्रसन्न होती हैं तो माता की प्रतिमा से पसीना निकलता है। पसीना निकलने का यह भी अर्थ है कि उनसे मांगी गई मुराद पूरी होगी।

डलहौजी में इसे न करें मिस

डलहौजी आने वाले पर्यटक यहां गर्म कपड़ों, चंबा चप्पल, चंबा जरीस (एक तरह का मीठा), चंबा चुख ( लाल और हरी मिर्च से तैयार मिश्रण), आर्टिफिशियल जूलरी, चंबा शॉल, पीतल और तांबे से बनी कलाकृतियां भी खरीद सकते हैं।  

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