'युद्ध की देवी' का मंदिर, जहां पाक सेना के 3000 बम भी हो गये थे बेअसर

भारत का एक प्राचीन मंदिर जो भारत-पाक युद्ध की यादें समेटे है। ये सिर्फ भारत ही नही बल्कि पाक सैनिकों की भी आस्था का केंद्र है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Fri, 30 Sep 2016 12:42 PM (IST) Updated:Fri, 18 Aug 2017 11:22 AM (IST)
'युद्ध की देवी' का मंदिर, जहां पाक सेना के 3000 बम भी हो गये थे बेअसर
'युद्ध की देवी' का मंदिर, जहां पाक सेना के 3000 बम भी हो गये थे बेअसर

जैसलमेर जिले में पाकिस्तान से सटी सीमा पर बना 1200 वर्ष पुराना तनोट माता मंदिर अपने आप में अद्भुत है।

ये मंदिर आस्था के साथ-साथ भारत-पाक के 1965 व 1971 के युद्ध का गवाह भी है। इनाडुडंडिया के अनुसार भारतीय सैनिकों का विश्वास है कि युद्ध के समय में तनोट माता ही हमारी रक्षा करती है। इस मंदिर में बीएसएफ के जवान भजन भी गाते हैं।

इस मंदिर से भारत-पाक युद्ध की कई अनोखी यादें जुड़ी हुई हैं। इस मंदिर की अनोखी बात यही है कि सिर्फ भारतीय जवानों के लिये ही नही बल्कि पाक सैनिक भी इस मंदिर में अपनी आस्था रखते हैं। इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना को परास्त कराने में तनोट माता की भूमिका को भी अहम माना जाता है।

यहां मान्यता है कि माता ने सैनिकों की मदद की और पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा। इस घटना की याद में तनोट माता मंदिर में बने एक छोटे से संग्रहालय में आज भी पाकिस्तान द्वारा दागे गये जीवित बम रखे हुए हैं। शत्रु ने तीन अलग-अलग दिशाओं से तनोट पर भारी आक्रमण किया। दुश्मन के तोपखाने जबरदस्त आग उगलते रहे। तनोट की रक्षा के लिए मेजर जय सिंह की कमांड में ग्रेनेडियर की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की दो कंपनियां दुश्मन की पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थीं। 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना कि तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर पर खरोंच तक नहीं ला सके, यहां तक कि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे तक नहीं।

पाक सेन तनोट पर कब्जा करना चाहती थी। अगर पाक सेना वहां अपना कब्जा कर लेती तो वहां वह अपना दावा कर सकती थी। इसलिये दोनों ही सेनाओं के लिये तनोट माता मंदिर एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया है।

पाक से युद्ध के दौरान जब दुश्मन की जबरदस्त आग उगलती तोपों ने तनोट को तीनों ओर से घेर लिया था और तनोट की रक्षा के लिये भारतीय सेना की कमान संभाले मेजर जयसिंह के पास सीमित संख्या में सैनिक और असलाह था। शत्रु सेना ने इस क्षेत्र पर कब्जा करने के लिये तनोट से जैसलमेर की ओर आने वाले मार्ग में स्थित घंटियाली के आस-पास तक एंटी टैंक माईन्स लगा दिये थे ताकि भारतीय सेना की मदद के लिये जैसलमेर के सड़क मार्ग से कोई वाहन या टैंक इस और न आ सके।

पाक सैनिकों ने तनोट माता मंदिर के आस-पास के क्षेत्र में करीब तीन हजार गोले बरसाये, लेकिन इनमें से अधिकांश अपना लक्ष्य चूक गये इतना ही नहीं पाक सेना द्वारा मंदिर को निशाना बनाकर करीब 450 गोले बरसाये गये लेकिर माता के चमत्कार से एक भी बम नहीं फटा और मंदिर को खरोंच तक नहीं आई और फिर माता के इन चमत्कारों से बढ़े भारतीय सेना के हौंसलों ने पाक सैनिकों को वापिस लौटने पर मजबूर कर दिया। इस घटना के गवाह के तौर पर आज भी मंदिर परिसर में 450 तोप के गोले रखे हुए हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिये भी ये आकर्षण का केन्द्र हैं।

इस मंदिर की देख-रेख खुद बीएसएफ के जवान करते हैं। इस मंदिर की महिमा को देखते हुए बीएसफ जवानों ने यहां अपनी चौकी बनायी है। इस मंदिर की सफाई से लेकर पूजा-अर्चना और श्रद्धालुओं के लिये सुविधाएं जुटाना भी बीएसएफके जवान ही संभालते हैं।

मंदिर की व्यवस्थाओं के अलावा ये जवान धर्मशालाएं, स्वास्थ्य कैम्प और दर्शनार्थियों के लिये वर्ष पर्यन्त निशुल्क भोजन की व्यवस्था भी करते हैं। नवरात्र के दिनों में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जाती है।


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