बजट है कम और वीकेंड में कहीं बाहर जाकर करनी है मस्ती, तो रानीखेत है इसके लिए बेस्ट

वीकेंड में कहां बाहर जाकर मस्ती करने की सोच रहे हैं लेकिन कौन सी जगह बेस्ट है इसे लेकर कनफ्यूज़ हैं तो रानीखेत का प्लान बनाएं। जहां इन ख्वाहिशों को कर सकते हैं पूरा।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Tue, 14 May 2019 04:00 PM (IST) Updated:Tue, 14 May 2019 04:00 PM (IST)
बजट है कम और वीकेंड में कहीं बाहर जाकर करनी है मस्ती, तो रानीखेत है इसके लिए बेस्ट
बजट है कम और वीकेंड में कहीं बाहर जाकर करनी है मस्ती, तो रानीखेत है इसके लिए बेस्ट

शुक्रवार को सुबह से ही सोच-सोचकर बोरियत हो रही थी कि इस बार शनिवार-रविवार शायद घर में बैठना पड़ेगा और ये सोच मुझे बहुत ही परेशान कर देती है क्योंकि ट्रैवलिंग का ऐसा कीड़ा लग चुका है अंदर जो बड़ी ही मुश्किल से पूरे हफ्ते मैनेज करता है लेकिन वीकेंड आते ही एकदम से मुझपर हावी हो जाता है। खैर कोई प्लान न होने की वजह से मैं घर आकर अपना टीवी सीरियल देखने लगी थी तभी मेरी एक ट्रैवल फ्रेंड की कॉल आई कि यार बहुत बोर हो रही हूं कहीं चलते हैं ना...इतना कहना भर था उसका और मैंने हामी भर दी। एक घंटे का टाइम लिया पैकिंग का और बस अड्डे पर मिलना तय हुआ कि जहां कि बस मिलेगी वहां निकल लेंगे।

सुना तो था अचानक बनने वाला प्लान और भी मज़ेदार होता है अब बारी थी इसे एक्सपीरियंस करने की। तय समय और जगह पर हम दोनों दोस्त मिले और हरिद्वार, कोटद्वार, उत्तराखंड और शिमला की बसें लगी हुई थी तो हमने डिसाइड किया उत्तराखंड चलते हैं जहां से कई सारी जगह जाने का ऑप्शन होगा हमारे पास। दो लोग थे तो डिसीज़न लेने में वक्त बर्बाद नहीं किया और निकल पड़े उत्तराखंड की ओर।

रात का सफर था जो आसानी से कट गया और सुबह 6 बजे हम उत्तराखंड में थे। सोचा चाय की चुस्की लेते हुए डिसाइड करते हैं कि अब जाना कहां है। ऋषिकेश, मसूरी, नैनीताल, धनौल्टी ये सारी जगहें घूमी हुई थीं तो दोबारा जाने का कोई मतलब नहीं था। हां, रानीखेत हम दोनों के लिए नया था तो उसे एक्सप्लोर करने का प्लान बनाया। वहां के लिए बसें नहीं चलती। सूमो का ही ऑप्शन होता है। तो बिना चिकचिक किए हम सवार हो गए सूमो में और इतंजार करने लगे उसके भरने का क्योंकि गाड़ी तभी आगे बढ़ती है। 15-20 मिनट लग गए भरने में। फाइनली हम निकल पड़े रानीखेत की हसीन वादियों की ओर। सूमो से आराम से तो नहीं लेकिन कम पैसों में आप रानीखेत तक पहुंच सकते हैं तो अगर आप बजट ट्रैवलिंग के बारे में सोच रहे हैं तो ये बेस्ट रहेगा।  रानीखेत पहुंचकर हमने होटल लिया और थोड़ी देर रेस्ट किया और साथ ही साथ प्लानिंग भी कि कहां से घूमने-फिरने की शुरूआत की जाए। होटल के लोगों से बात की तो पता चला कि गोल्फ गाडर्न यहां के पॉप्लुयर टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है और पास भी है।

बस फिर निकल पड़े हम गोल्ड गाडर्न देखने। जहां कई सारी  गोल्फ कोर्स तो कई जगह मिल जाएगें 

गोल्फ गाडर्न    

रानीखेत का गोल्फ गाडर्न, एशिया का सबसे ऊंचा गोल्फ कोर्स है। जो मुख्य शहर से महज 5 किमी दूर स्थित है और साथ ही यहां देखने वाली अच्छी और खूबसूरत जगह। दूर-दूर तक बिछा हरे घास का मैदान और बर्फ से ढ़के पहाड़ का नज़ारा यहां से इतना बेहतरीन लगता है जिसे यहां आकर देखना ज्यादा अच्छा ऑप्शन होगा। हमने गोल्फ फोर्स के ज्यादातर जगहों को अपने कैमरे में कैद कर लिया। कुछ जगहों पर जाने की मनाही भी थी लेकिन हमारे पास इतने अच्छे-अच्छे लोकेशन्स की फोटोज़ आ चुकी थी जो संतुष्ट करने के लिए काफी थी।

अगला पड़ाव था झूला देवी मंदिर 

रानीखेत आने वाले लोग झूला देवी के दर्शन करने जरूर आते हैं तो हम भी उन्हीं में से एक थे। मां दुर्गा की यहां झूले पर प्रतिमा रखी हुई है और इसी वजह से इन्हें झूला देवी कहा जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि मां दुर्गा यहां के जंगली जानवरों की रक्षा करती हैं। यहां लोग अपनी मनचाही इच्छा को पूरा करने के लिए मंदिर में घंटी बांधते हैं और उसके पूरा हो जाने पर उसे खोलने आते हैं। इसी वजह से मंदिर में चारों ओर घंटियां ही नज़र आ रही थीं।

चौबटिया गार्डन

चौबटिया गार्डन भी रानीखेत में घूमने वाली अच्छी जगह है। गार्डन कई तरह के पेड़-पौधों और फूलों से सजा हुआ रहता है। वैसे चौबटिया खासतौर से सेब के बागानों के लिए मशहूर है। लेकिन इसके अलावा खुबानी, प्लम और आडू के भी पेड़ देखने को मिलेंगे। 600 एकड़ में फैले चौबटिया गाडर्न में हमने काफी अच्छा टाइम बिताया। सेब के अलावा चौबटिया शहद के लिए भी बहुत मशहूर है। 

इसके अलावा आर्मी म्यूज़ियम, कुमांऊ रेजिमेंट सेंटर और रानी झील जैसी और भी दूसरी जगहें हैं जो देखने लायक है लेकिन समय कम होने की वजह से इन्हें देखने का प्लान ड्रॉप करना पड़ा। होटल लौटकर आराम किया और वापसी में हमारे पास बहुत सारा वक्त था तो आराम से ट्रेन की टिकट कराई और निकल लिए रानीखेत की खूबसूरत यादें समेटकर। 

 

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