बोट रेस की रौनक देखने के लिए अगस्त का महीना है केरल आने के लिए बेस्ट

केरल में हर साल होने वाले नेहरू ट्रॉफी बोट रेस की रौनक देखने के लिए अगस्त के दूसरे हफ्ते में यहां जाने का प्लान करें। मानसून की हरियाली और बैकवॉटर्स की सैर के अलावा बोट रेस की दीवानगी भी कुछ कम नहीं।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Thu, 09 Aug 2018 10:38 AM (IST) Updated:Thu, 09 Aug 2018 10:55 AM (IST)
बोट रेस की रौनक देखने के लिए अगस्त का महीना है केरल आने के लिए बेस्ट
बोट रेस की रौनक देखने के लिए अगस्त का महीना है केरल आने के लिए बेस्ट

डॉ. कायनात काज़ी

केरल के कोच्चि शहर से 80 किलोमीटर दूर बसे अलेप्पी की नेहरू ट्रॉफी बोट रेस प्रतियोगिता बहुत लोकप्रिय है। जो हर साल अगस्त के दूसरे शनिवार को आयोजित की जाती है। इस बार यह प्रतियोगिता 11 अगस्त को होने वाली है। यहां पुन्नमडा लेक में यह रेस आयोजित की जाती है। जिसमें हर साल बहुत सारी बोट हिस्सा लेती हैं। इस रेस में भाग लेने के लिए आसपास के गांवों से बोट्स आती हैं। हर गांव का अपना एक बोट होता है। इस बोट में 100 से लेकर 140 कुशल नाविक सवार होते हैं। इन नाविकों में हिंदू, ईसाई, मुस्लिम आदि सभी धर्मों के लोग मिलकर हिस्सा लेते हैं। सामुदायिक सौहार्द की इससे सुंदर मिसाल कहीं और देखने को नहीं मिलती। जहां मजबूत भुजाओं वाले नाविक एक लय में चप्पू से नाव को खेते हैं वहीं इनके बीच बैठे हुए गायक अपने साथियों का उत्साह बढ़ाने के लिए बोट सोंग्स गाते हैं। इन्हीं के साथ दो ड्रमर भी होते हैं जो बड़े उत्साह के साथ ड्रम बजा कर अपने नाविकों में जोश भरते हैं। 

हर नाव का एक टीम लीडर भी होता है, जो सबसे ज्यादा अनुभवी होता है। वह लगातार सीटी बजा कर नाविकों को निर्देश देता रहता है। उन लोगों का उत्साह देखने वाला होता है। स्थानीय लोगों की मानें तो यह रेस भारत में आयोजित होने वाले प्राचीनतम वॉटर स्पोर्ट्स में से एक है। 

बोट रेस का इतिहास

वैसे अगर इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाए तो आज से 400 साल पहले ट्रावणकोर के राजाओं में बोट रेस करवाने के प्रमाण मिलते हैं। सांप जैसी आकृति वाले इस बोट की लंबाई 128 फीट होती थी। यहां तक की प्रतिद्वंद्वी राजाओं द्वारा बनवाई जा रही बोट की जासूसी के लिए गुप्तचरों का सहारा भी लिया जाता था। उस दौर से लेकर आज तक केरल की इन बोट रेसों में प्रतिस्पर्धा अपने चरम पर देखी जाती है।

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