लखनऊ के नवाबी अंदाज की तरह खास है ‘नेतराम मिठाई’ की मिठास, ‘खाने के किस्से-कहानियां’ में देखिए
15 अगस्त 1947 को आजादी के मौके पर नेतराम ने फ्री सर्विस देकर लोगों के साथ मिलकर आजादी का जश्न मनाया था।
आप जब खाना ऑर्डर करने के बारे में सोचते हैं, तो आप किसी स्पेशल डिश को उसी दुकान या रेस्टोरेंट से ऑर्डर करना पसंद करते हैं, जहां का जायका आप चख चुके हो या जहां कि कोई डिश बहुत ही फेमस है। आप अपने आसपास गौर करेंगे तो देखेंगे कि कोई दुकान किसी स्पेशल डिश या चीज की वजह से मशहूर हो जाती है। किसी डिश का उस रेस्टोरेंट से एक रिश्ता जुड़ जाता है बल्कि उस डिश से ही उस रेस्टोरेंट की पहचान होने लगती है। इसी तरह भारत के आइकॉनिक रेस्टोरेंट जिनके जायकों की कहानी बहुत पुरानी है। यहां की टेस्टी डिशेज आज भी उतनी ही मशहूर है, जितनी आजादी से पहले हुआ करती थी।
‘खाने के किस्से कहानियां’ जो आपको इनकी पहचान से रू-ब-रू करवाएंगी
‘जागरण डॉट कॉम’ लेकर आया है स्वाद की दुनिया से ऐसी ही कहानियां जिन्हें देखकर आप कह उठेंगे ‘वाह’। दैनिक जागरण के फेसबुक पेज पर शुरू ‘खाने के किस्से कहानियां’ सीरीज में आप देख पाएंगे इंडिया के अलग-अलग शहरों के आइकनिक रेस्तरां और उनकी कहानी। जिनकी फेमस डिशेज व खाने के स्वाद ने बरसों बाद भी लोगों को अपना बना रखा है।
‘खाने के किस्से कहानियां’ सीरीज के सातवें एपिसोड में हम आपको ले चलेंगे, ‘लखनऊ के मशहूर ‘नेतराम मिठाई’ के जायकेदार सफर पर।
जलेबी-कचौड़ी से शुरू हुआ जायके का सफर
लखनऊ के जायकों की बात करें, तो यहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के जायकों की मांग है। वहीं यहां की मिठाईयां चखने के लिए भी लोग लखनऊ की गलियों में आते हैं।
कचौड़ी और जलेबी की जब भी बात होती है, लोग अमीनाबाद, श्रीराम रोड पर स्थित ‘नेतराम’ जरूर आते हैं। ‘नेतराम मिठाई’ की शुरुआत 1854 में हुई थी। तब से लेकर आज तक खाने के स्तर को बनाए रखने के साथ नेतराम ब्रांड ने कस्टमर के साथ विश्वास और भावनाओं का रिश्ता भी कायम किया है। सबसे खास बात ये है कि ब्रिटिश काल में अपने जायकों को उनके सामने परोसने के अलावा, 15 अगस्त 1947 को आजादी के मौके पर नेतराम ने फ्री सर्विस देकर लोगों के साथ मिलकर आजादी का जश्न मनाया था।
वक्त के साथ आज नेतराम के मेन्यू में कुछ और जायके जुड़ चुके हैं।