खाने के किस्से कहानियां’ में देखिए, आजादी से पहले शुरू हुआ दोराबजी एंड सन्स रेस्टोरेंट’ का जायकेदार सफर
जिन दिनों दोराबजी की शुरुआत पुणे में हुई, उस समय भारतीयों के लिए पुणे में एक ही रेस्टोरेंट था.
जब हम किसी जायके की बात करते हैं, तो कुछ बेहतरीन पकवान ऐसे हैं, जो किसी खास रेस्टोरेंट्स से जुड़े हुए हैं। हम उन डिशेज को इस खास रेस्टोरेंट में ही खाना पसंद करते हैं। इस खास डिशेज से रेस्टोरेंट की पहचान जुड़ी हुई है।
जैसे, भारत के आइकॉनिक रेस्टोरेंट जिनके जायकों की कहानी बहुत पुरानी है. यहां की टेस्टी डिशेज आज भी उतनी ही मशहूर है, जितनी आजादी से पहले हुआ करती थी।
‘खाने के किस्से कहानियां’ में देखिए, इंडिया गेट से ऐसे शुरू हुआ ‘पिंडी रेस्टोरेंट’ का जायकेदार सफर
‘खाने के किस्से कहानियां’ जो आपको इनकी पहचान से रू-ब-रू करवाएंगी
‘जागरण डॉट कॉम’ लेकर आया है स्वाद की दुनिया से ऐसी ही कहानियां जिन्हें देखकर आप कह उठेंगे ‘वाह’।दैनिक जागरण के फेसबुक पेज पर शुरू ‘खाने के किस्से कहानियां’ सीरीज में आप देख पाएंगे इंडिया के अलग-अलग शहरों के आइकनिक रेस्तरां और उनकी कहानी। जिनकी फेमस डिशेज व खाने के स्वाद ने बरसों बाद भी लोगों को अपना बना रखा है।
‘खाने के किस्से कहानियां’ सीरीज के छठे एपिसोड में हम आपको ले चलेंगे, ‘दोराबजी एंड सन्स रेस्टोरेंट’, पुणे’ के जायकेदार सफर पर।
दोराबजी एंड सन्स रेस्टोरेंट की 1878 में शुरुआत हुई
जिन दिनों दोराबजी की शुरुआत पुणे में हुई, उस समय भारतीयों के लिए पुणे में एक ही रेस्टोरेंट था. ब्रिटिश राज होने की वजह से ज्यादातर रेस्टोरेंट विदेशी थे।
शुरुआत में चाय और बन मस्का के साथ एक छोटी-सी दुकान के साथ सफर आगे बढ़ा. इसके बाद ईरानी डिश के जायकों से खाने के शौकीनों को रूबरू कराया गया. इसके बाद डिमांड बढ़ने लगी और दोराबजी रेस्टोरेंट में कई जायके शामिल हो गए।