ट्रैवल न्यूज : एशियाई शेरों के बाद अब गाय बनेगी गुजरात पर्यटन की विरासत, होंगे ये खास इंतजाम

गौशालाओं के अलावा इन यात्राओं में लोगों को गौचरों में भी ले जाया जाएगा. अब तक आणंद के पास का धर्माज गांव लोगों को खासा पसंद आया है.

By Pratima JaiswalEdited By: Publish:Mon, 22 Jan 2018 01:17 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jan 2018 01:18 PM (IST)
ट्रैवल न्यूज : एशियाई शेरों के बाद अब गाय बनेगी गुजरात पर्यटन की विरासत, होंगे ये खास इंतजाम
ट्रैवल न्यूज : एशियाई शेरों के बाद अब गाय बनेगी गुजरात पर्यटन की विरासत, होंगे ये खास इंतजाम

गुजरात पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन दिनों कई कदम उठाए जा रहे हैं. एशियाई शेरों के लिए मशहूर अब गुजरात में गाय पर्यटन योजना शुरु की है. गौसेवा आयोग अध्यक्ष का कहना है कि ‘गो पालन और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे गौमूत्र और गोबर से उत्पाद कैसे बनाए जाते हैं, यह जानने में लोगों की रूचि है. ऐसे लोगों को सबसे अच्छी गौशालाओं और ‘गौचर’ (चरागाह) में दो दिन के ट्रिप पर ले जाया जायेगा.’

उन्होंने कहा, ‘गाय पर्यटन, गायों को रखने के आर्थिक लाभों को समझने की दिशा में एक कदम है. अधिकतर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि हम गोबर एवं गौमूत्र का उपयोग करके जैव-गैस एवं दवाइयों जैसे बुनियादी उत्पादों का निर्माण कर एक अच्छी आय कमा सकते हैं. गाय पयर्टन का मकसद गाय से जुड़े धार्मिक एवं आर्थिक पहलुओं को जोड़ना है.’

गौमूत्र में औषधीय और कीटाणुनाशक गुण बताते हुए उन्होंने कहा सत्व ऑर्गेनिक फिनाइल और साबुन बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. वहीं गोबर बायो गैस, खाद और अगरबत्तियां बनाने में काम आता है.इस परियोजना में दो दिन के लिए लोगों को न केवल उन गौशालाओं में ले जायेंगे जहां उनकी अच्छी देखरेख होती है, बल्कि उन्हें गोमूत्र और गोबर से बने उत्पादों से पैसा कैसे कमाया जाता है, यह भी दिखाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को लाने की छोटी-सी अवधि में राज्य ने ऐसी कई यात्राओं की व्यवस्था की है.

 

गौशालाओं के अलावा इन यात्राओं में लोगों को गौचरों में भी ले जाया जाएगा. अब तक आणंद के पास का धर्माज गांव लोगों को खासा पसंद आया है. गौ सेवा आयोग के अनुसार जो लोग गायों के बारे में फिक्र करते हैं, इन यात्राओं में ऐसे उदाहरण देखकर वे प्रभावित होंगे और अपने गांव में भी ऐसा करेंगे.

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