मनाली में 14 से 16 मई तक होने डूंगरी मेले में शामिल होकर देखें यहां के अनोखे कल्चर की झलक

हिडिंबा देवी के जन्मोत्सव पर हर साल 14 से 16 मई तक इस मेले का आयोजन होता है। तीन दिनों तक मनाए जाने वाले इस उत्सव के दौरान मनाली का नज़ारा बहुत ही खूबसूरत होता है।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Mon, 13 May 2019 04:45 PM (IST) Updated:Mon, 13 May 2019 04:45 PM (IST)
मनाली में 14 से 16 मई तक होने डूंगरी मेले में शामिल होकर देखें यहां के अनोखे कल्चर की झलक
मनाली में 14 से 16 मई तक होने डूंगरी मेले में शामिल होकर देखें यहां के अनोखे कल्चर की झलक

हिमाचल के मनाली में हर साल मई महीने में धूमधाम से मनाया जाने वाला डुंगरी फेस्टिवल, यहां के सबसे बड़े फेस्टिवल्स में से एक है। हिडिंबा देवी के जन्मोत्सव पर हर साल 14 से 16 मई तक इस मेले का आयोजन होता है। तीन दिनों तक मनाए जाने वाले इस उत्सव के दौरान मनाली का नज़ारा बहुत ही खूबसूरत होता है। लोग इस दिन देवी-देवताओं का जुलूस निकालते हैं। स्थानीय लोग खास तरह का नृत्य प्रस्तुत करते हैं। 

कब

14-16मई 

कहां

हडिंबा मंदिर, मनाली, हिमाचल प्रदेश

मंदिर के पीछे की रोचक कहानी 

देवी हडिंबा, भीम की पत्नी थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हडिंबा एक राक्षसी थी जो और कई दूसरे राक्षसों के साथ डूंगरी जंगल में रहा करती थी। अज्ञातवास के दौरान पांडव कुछ दिन के लिए यहां ठहरने आए थे। राक्षसों ने उन्हें अपना भोजन बनाने की सोची लेकिन हडिंबा भीम पर मोहित हो गई। हडिंबा के भाईयों ने भीम पर आक्रमण किया लेकिन भीम ने उन्हें युद्ध में हरा दिया। इसके बाद हडिंबा और भीम की शादी हुई और उनका एक पुत्र घटोत्कच हुआ। अज्ञातवास खत्म होने के बाद पांडव वहां से लौट गए लेकिन हडिंबा ने उस जंगल को नहीं छोड़ा। ऐसा माना जाता है कि जंगल और पहाड़ों की तरफ आने वाले लोगों की हडिंबा रक्षा करती थीं। इसके बाद हडिंबा की देवी के रूप में पूजा होने लगी। हडिंबा मंदिर फेस्टिवल को डूंगरी मेला के नाम से जाना जाता है।  

कल्चर और खानपान

डूंगरी मेले में शामिल होकर आप मनाली की अनोखी संस्कृति की झलक देख सकते हैं और साथ ही जायकेदार खानपान के भी मज़े ले सकते हैं। कई तरह के स्नैक्स फेस्टिवल सर्व किए जाते हैं। हर एक गांव के अलग-अलग देवी-देवता होते हैं। इस दिन गांव के लिए उन्हें अच्छे से सजा-धजाकर रथयात्रा निकालते हैं। 

फेस्टिवल में होता है खास

फेस्टिवल में खास तरह का इंस्ट्रूमेंट होता है जिसे करनाल के नाम से जाना जाता है को बजाने की परंपरा है। फेस्टिवल में यहां के लोकनृत्य और लोकगीत को एन्जॉय किया जा सकता है। गाना गाने वाले लोग एक सर्कल में बैठकर कुल्लू नाती लोकनृत्य के लिए तरह-तरह की धुनें निकालते हैं। घंटों तक चलने वाले कुल्लू नाती में ग्रूप में लोग डांस करते हैं।            

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