महात्मा गांधी ने खोला स्कूल, कस्तूरबा ने पढ़ाया था

शिक्षा का प्रकाश फैलाने के लिए भितिहरवा में पाठशाला के लिए दान मांगी जमीन, भितिहरवा मठ के बाबा राम नारायण दास ने बापू के आग्रह पर दी जमीन

By Babita KashyapEdited By: Publish:Mon, 10 Apr 2017 04:29 PM (IST) Updated:Tue, 11 Apr 2017 09:03 AM (IST)
महात्मा गांधी ने खोला स्कूल, कस्तूरबा ने पढ़ाया था
महात्मा गांधी ने खोला स्कूल, कस्तूरबा ने पढ़ाया था

मोहनदास करमचंद गांधी को चंपारण में किसानों की दुर्दशा सुनते हुए विद्यालय खोलने का विचार आया था। उनका मानना था कि अत्याचार इसलिए हो रहा, क्योंकि यहां अशिक्षा है। उन्होंने गांव के किसानों से थोड़ी सी जमीन मांगी थी। बेलवा कोठी के निलहे मैनेजर एसी एमन के डर से गांव का कोई भी किसान उन्हें जमीन देने को तैयार नहीं हुआ। तब बापू के आग्रह को देखते हुए भितिहरवा मठ के बाबा राम नारायण दास ने पूछा था, आप बताएं आपको कितनी जमीन और किसलिए चाहिए। बापू ने कहा कि मैं यहां एक पाठशाला बना कर बच्चों को शिक्षा देना चाहता हूं। जितनी भी जमीन आप दे देंगे, मैं उस पर पाठशाला बना लूंगा। चंपारण सत्याग्रह के दौरान बापू पहली बार 27 अप्रैल 1917 को भितिहरवा आए थे। 

भितिहरवा आश्रम के सेवक और गांधीवादी अनिरुद्ध प्रसाद चौरसिया कहते हैं कि 27 अप्रैल को गांधीजी ब्रज किशोर बाबू, रामनवमी बाबू, अवधेश प्रसाद सिंह तथा विंध्यवासिनी बाबू के साथ राजकुमार शुक्ल के घर पहुंचे। राजकुमार शुक्ल का घर मुरली भरहवा में था। बापू का कार्यक्रम बेलवा कोठी के मैनेजर से मिलने का था। बापू मैनेजर से मिले भी और उसी रात वे अमोलवा के संत राउत के घर ठहरे। वे भितिहरवा में महुआ के एक पेड़ के नीचे बैठ जब किसानों की समस्या सुन रहे थे। उसी दौरान उन्होंने यहां पाठशाला स्थापना की इच्छा जाहिर की।

बापू ने महसूस किया था कि इलाके में किसानों के शोषण की एक बड़ी वजह अशिक्षा भी है।

अप्रैल महीने के बाद गांधी जी दोबारा भितिहरवा 16 नवंबर 1917 में आए। तब उन्होंने गांव के किसानों के समक्ष पाठशाला स्थापित करने की बात उठाई तथा ग्रामीणों से जमीन का एक टुकड़ा मांगा। राम नारायण दास ने उनकी अर्जी स्वीकार की। चार दिन के अंदर फूस से पाठशाला तथा बापू के रहने के लिए एक कुटी का निर्माण भी कर दिया गया। 28 नवंबर के दिन बापू यहां दोबारा आए।

इस बार उनके साथ उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी थीं। चौरसिया बताते हैं कि कस्तूरबा ने पाठशाला में बच्चों को पढ़ाने का सारा दारोमदार अपने सिर ले लिया। पहली बार इस पाठशाला में इलाके के बारह वर्ष से कम उम्र के अस्सी बच्चों का नामांकन किया गया। इस पाठशाला में कस्तूरबा के अलावा महाराष्ट्र के सदाशिव लक्ष्मण सोमन, गजराज के बालकृष्ण योगेश्वर और डॉ. शंकर देव ने शिक्षक के रूप में कार्य किया। इन शिक्षकों के अलावा राजकुमार शुक्ल, संत राउत तथा प्रह्लाद भगत भी सहयोग देते। भितिहरवा में बापू द्वारा बनाई गई पाठशाला में बच्चों की पढ़ाई प्रारंभ होने की जानकारी मिलने के बाद बेलवा कोठी के मैनेजर ने बापू की कुटी तथा पाठशाला में आग तक लगवा दी। परन्तु, बापू ने  उसे कोई जवाब नहीं दिया। जवाब स्थानीय लोगों ने दिया। उन्होंने पाठशाला का निर्माण नए सिरे से करा दिया। इस बार ईंट से इसका निर्माण हुआ। इसे फूस से नहीं बल्कि ईट से बनाया गया। पाठशाला और कुटी दोबारा बनकर तैयार हो गई। आजादी मिलने के साथ ही इस आश्रम से पाठशाला को अलग कर दिया गया। 

बिहार होगा गांधीमय, चर्चा आज से होगी शुरू

 राज्य ब्यूरो, पटना : चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष समारोह का सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उद्घाटन करेंगे। इस दौरान गांधी परिवार के सदस्य राजमोहन गांधी, तुषार गांधी और तारा गांधी भी रहेंगी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। वह स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करेंगे। यह कार्यक्रम 17 अप्रैल को होगा। सोमवार को राज्य सरकार द्वारा आयोजित चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष का शुभारंभ होगा। शताब्दी वर्ष के दौरान पूरे साल कार्यक्रम चलेंगे और गांधी जी की स्मृतियों को ताजा किया जाएगा। उद्घाटन सत्र दो दिनों का होगा। इसमें गांधी और उनके चंपारण सत्याग्रह के साथ ही बापू के शिक्षा संबंधी दर्शन से लेकर युवाओं के बीच बापू की पहुंच तथा सामाजिक न्याय तक पर चर्चा होगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। फिल्म अभिनेता टॉम ऑल्टर इस दौरान गांधी पर आधारित नाटक 'वॉयस ऑफ डिगनिटी' का मंचन करेंगे। उधर मुजफ्फरपुर और चंपारण में भी शताब्दी वर्ष के मौके पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। 11 अप्रैल को मुजफ्फरपुर में गांधी नाटक का मंचन होगा। दूसरी ओर चंपारण में स्मृति यात्रा आयोजित की जा रही है। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी भाग लेंगे और पैदल मार्च करेंगे। यह कार्यक्रम 18 अप्रैल को होगा। 

सुनील राज, भितिहरवा 

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